आजादी के बाद भारत ने जिस चीज को सबसे पहले खोया, वो था जंगल का उसेन बोल्ट ‘चीता’. 1948 में देश में आखिरी चीता दिखा था, उसके बाद ये विलुप्त करार दे दिया गया. अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में 74 साल बाद चीता फिर से भारत की भूमि पर कदम रखने जा रहा है. इस ऐतिहासिक मौके की एक खास बात ये भी है कि आज के दिन यानी शनिवार को ही पीएम मोदी 72 साल के होने जा रहे हैं.प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीतों का स्वागत करने आज मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क पहुंचेंगें. इसी पार्क में नामीबिया से लाए जा रहे 8 चीतों को रखा जाएगा.
प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी कार्यक्रम के मुताबिक, पीएम मोदी सुबह 9 बजकर 20 मिनट पर ग्वालियर एयरपोर्ट पर पहुंचेंगे. इसके बाद वह श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क के लिए रवाना हो जाएंगे. ये दूरी लगभग 165 किलोमीटर की है. इसके बाद वह चीतों को रिलीज किए जाने की पहली साइट पर लगभग 10 बजकर 30 मिनट पर पहुंचेंगे और दूसरी साइट पर 10 बजकर 45 मिनट पर चीतों को छोड़ेंगे.नामीबिया से आ रहे चीतों में 5 मादा और 3 नर हैं. ये चीते एक स्पेशल जंबो जेट से पहले सवेरे 6 बजे ग्वालियर पहुंचेंगे. उसके बाद वायुसेना के हेलीकॉप्टर उन्हें कूनो नेशनल पार्क तक लाएंगे. इन चीतों को शुरुआत में एक स्पेशल बाड़े में रखा जाना है. वो इस बाड़े में कुछ वक्त के लिए क्वारंटीन रहेंगे, उसके बाद उन्हें खुले जंगल में छोड़ा जाएगा. पीएम मोदी पिंजड़े का लीवर खींचकर इन चीतों को इसी बाड़े में छोड़ने वाले हैं. चीतों को छोड़ने के बाद पीएम मोदी यहां एक इंटरेक्शन में भाग लेंगे.
चीतों को भारत लाने के बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय ने गुरुवार को एक बयान में कहा था कि ये पीएम मोदी के भारत के वन्यजीवन को पुनर्जीवित और विविध बनाने के प्रयासों का हिस्सा है. भारत में चीतों को वापस लाने वाला ‘Project Cheetah’ दुनिया के सबसे बड़े वाइल्ड लाइफ ट्रांसलोकेशन प्रोजेक्ट में से एक है.चीतों के भारत में वापस आने से घास के मैदानी इलाकों और खुले जंगल में पारिस्थितिकी संतुलन बनाने में मदद मिलेगी. वहीं ये जैव विविधता को भी बरकरार रखेगा.नेशनल पार्क के आसपास रहने वाले लोग चीतों से डरकर उन्हें नुकसान न पहुंचाएं, इसके लिए सरकार ने ‘चीता मित्र’ भी बनाए हैं. अपने कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी इन चीता मित्रों से मुलाकात करेंगे. सरकार ने कुल 90 गांवों के 457 लोगों को चीता मित्र बनाया है. इनमें सबसे बड़ा नाम रमेश सिकरवार का है. वो पहले डकैत थे और अब उन्होंने चीतों की रक्षा करने की कसम खाई है.