गिरिडीह (कमलनयन) सिख समुदाय के धार्मिक समागम कार्यक्रम में भाग लेने गिरिडीह से रांची जाने के क्रम में हजारीबाग में हुई बस दुर्घटना के 48 घंटे बाद भी सोमवार को उन आठ सिख परिवारों के घरों में पसरा मातम दिल को झकझोर देनेवाला रहा। असमय अपनों को खोनेवालों के परिजनों की आंखें गम से रोते-रोते पथरागई है. गिरिडीह के इतिहास में यह पहला मौका था, जब रविवार को बरमसिया मुक्ति धाम में एक साथ आठ अलग-अलग चिताएं जल रही थीं। और इस अत्यंत दुखद मार्मिक बेला में पूरे गिरिडीह के लोग अंतिम प्रणाम के लिए शोक मुद्रा में खड़े थे। इनमें श्री गुरुसिंह सभा, मारवड़ी युवा मंच, लायंस क्लब, रोटरी क्लब, गिरिडीह चैंबर ऑफ कॉमर्स, रेड क्रॉस सोसायटी, व्यवसायी संघ के अलावा भाजपा ,झामुमो, कांग्रेस, राजद, जदयू, भाकपा माले समेत विभिन्न धार्मिक, सामाजिक संगठनों के लोग शामिल थे।
समाजसेवियों का श्मशान घाट पर लगा रहा तांता
इस ह्रदयविदारक घटना की व्यापकता का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है कि इस दुखद घटना ने देश के राष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री सूबे के राज्यपाल, मुख्यमंत्री शोकाकुल परिवारों के प्रति अपनी ओर से संवेदना व्यक्त कर शेष घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। संवेदना व्यक्त करनेवालों में इलाके के सांसद, पूर्व सांसद, विधायक, पूर्व विधायक एंव बीसियों समाजसेवियों का श्मशान घाट पर तांता लगा रहा। गिरिडीह इलाके की चाय पान की दुकानों में, घार्मिक उपासना स्थलों में ,स्कूलों में, कोचिंग क्लासों से लेकर, खेतों तक में इस मार्मिक घटना को लेकर परस्पर चर्चा हो रही है. इन चर्चाओं में लोग कहते सुने गये कि मानव मात्र को एक न एक दिन देह का त्याग करना विधि का विधान है, लेकिन समय से पहले चले जाने की पीड़ा जानेवालों के परिजनों को कई दशकों तक झेलनी पड़ेगी और इससे उबरने में परिवार को संत्रास के दौर से गुजरना पड़ेगा।
सिख समाज के 52 लोग रांची आ रहे थे
गौरतलब है कि रांची में आयोजित धार्मिक समागम में भाग लेने के लिए शनिवार को एक एसी बस से सिख समाज के 52 महिला-पुरूष श्रद्धालु रांची के रातु रोड गुरुद्वारा जा रहे थे। सभी वाहे गुरू का जयकारा लगाते ढोलक मंजीरा बजाते हुए यात्रा कर रहे थे। इस दौरान अचानक हजारीबाग के सेवाने नदी में बस अनियंत्रित होकर गिऱ गई। इस घटना में गिरिडीह के आठ लोगों की दर्दनाक मौत हो गई है। शेष घायल हैं. इनमें से इलाजरत अब कई मौत से जूझ रहे हैं.