यह एक फैमिली फ्रेंडली फिल्म है और इसे सभी को देखना चाहिए।फिल्म ट्रेलर से विवादों में फंस गई थी और रिलीज के दिन भी इसका विरोध हुआ था। विरोध का कारण यह था कि फिल्म में आरएसएस को बढ़ावा दिया गया है। सेवा भारती केरल में आरएसएस द्वारा मुफ्त में चलाई जाने वाली एम्बुलेंस सेवा है। और यह सभी जातियों धरमी ओ को मुफ्त मे सेवा प्रदान करती है। क्योंकि इस एम्बुलेंस कार को फिल्म के एक दृश्य में दिखाया गया था, उन्होंने इसे राजनीतिक रंग देकर फिल्म का विरोध किया, लेकिन जब फिल्म रिलीज हुई और लोगों ने इसे देखा, तो उन्हे ऐसा कोई कदम नहीं दिखा आरएसएस वगैरह को बढ़ावा देने का। पहले विरोध करने पर फिल्म को खूब सराहा गया और फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपर डुपर हिट हो गई।इस फिल्म की कहानी सीधे दिल को छू लेने वाली है। जयकृष्णन और वर्की दो दोस्त हैं, वर्की एक लैंड डीलिंग एजेंट है जो उसके पास गांव में एक ईसाई परिवार की जमीन बेचने के लिए आती है। वे अपनी बेटी की शादी के लिए संपत्ति बेचना चाहते हैं। लेकिन बाद में दूसरे लेन-देन में वह वर्की को धोखा हो जाता है और उसे बहुत नुकसान होता है इसलिए वह उस भूमि सौदे से पीछे हट जाता है और जयकृष्णन को कहता हैं कि मैं यह भूमि सौदा नहीं कर सकता हम इसे नहीं लेना चाहते हैं लेकिन जयकृष्णन कहते हैं कि इस ईसाई परिवार ने अपने भरोसे पर लड़की की शादी फिक्स की और हमने उन्हें जमीन खरेदी ने की जुबान दी तो हम ऊस से मुह फेर नही सकते । (यहां के सभी सीन डायलॉग वाकई में रोंगटे खड़े कर देने वाले हैं) जयकृष्णन परिवार से मिलते हैं और कहते हैं कि मैं अपनी बात रखूंगा और मैं कुछ भी करूंगा लेकिन आपका व्यवहर पूरा करूंगा। वह बैंक जाता है लेकिन कोई भी उसे वित्त ऋण नहीं देता है और अंत में अनिच्छा से उसके पिता की संपत्ति बेचने के लिए ले तैयार हो जाते हैं। और एक निवेशक अशरफ हाजी से मिलता है और लेन-देन तय हो जाता है लेकिन अशरफ हाजी को पता चलता है कि वह financially फस गया है तो वह उसका गैर फायदा लेता है और एक मीटिंग जय कृष्णन से तय करता है और कहता है कि मैं इस राशि तक का लेनदेन कर सकता हूं यदि आप तेयार हो तो बात आगे बढाई जाय.जय कृषण उसके राशी पे तय्यार हो जाता हैजिस दिन जय कृष्णन अपनी संपत्ति अश्रफ हाजी को बेचता है, रजिस्ट्रार ऑफिस मे पंजीकृत करने के बाद उसे पुरा भुगतान मिल जाता है और वह उसी दिन ऊस परिवार को जमीन व्यवहार का पुरा पेमेंट दे कर आता हे! (इस परिवार की संपत्ति घर के मुखिया के नाम पर है और वह बीमार है।) उसी रात वह मुखीया गंभीर हो जाता है और उसे अस्पताल में भर्ती कराया जाता है, मूखिया की पत्नी जयकृष्णन को फोन करके कहते है की कल तुम्हारे नाम पर जमीन हस्तांतरित कर दो क्योंकि उसके पती के पास कुछ ही दिन बाकी हैं। लेकिन इस्का कहना है कि हम इसे ठीक होने के बाद करेंगे लेकिन महिला कहती है कि हमने देखा है कि आपको हमारी जमीन खरीदने में कितनी मेहनत करनी पड़ी, इसलिए यह हमारा कर्तव्य है कि हम आपकी संपत्ति जल्द से जल्द लौटा दें। दुसरे दीन सुभह दो डॉक्टर के साथ ऊस आदमी को अंबुलान्स (वही ambulance सेवा भारती की) मे डालकर सब-रजिस्ट्रार ऑफिस पहुंचते हे और जमीन ट्रान्स्फर करके पुरी सरकारी कारवाही पुरी करते हे । लेकिन लेकीन आगे फिल्म मे डायरेक्टर ने एक ट्विस्ट डाला है। यह ट्विस्ट क्या है यह जाणणे के लिये फिल्म देखिये! ऊस ट्विस्ट का फिल्म की शुरुआत में ही इशारा दिया है। लास्ट के 20 25 मिनिट बेहद भावुक कर देने वाला है. हम इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हमें भी लगता है कि जमीन का लेन-देन पूरा हो जाना चाहिए क्योंकि हमने जय कृष्णन का संघर्ष पुरा देखा हे । फिल्म्स से दर्शक स्टार्ट से एंड तक जुडे रहते है यह बहुत ही भावनात्मक रूप से दिल को छू लेने वाली फिल्म है। उन्नीमुकुंदन ने निभाया जयकृष्णन का किरदार और सैजू कुरूप वर्की का विष्णु मोहन जी का निर्देशन और कहानी बहुत अच्छी और सुंदर है पूर्ण और पूरी फिल्म को वास्तविक बनाया गया है मैं सभी को यह फिल्म देखने की सलाह देता हूं प्राईम व्हिडिओ पे मिल जायेगी शिवकांत ️