रांची: हिन्दी साहित्य के इतिहास में अपने विरल व्यक्तित्व और विलक्षण प्रतिभा के कारण सूर्यकांत त्रिपाठी निराला अनुपम, अद्वितीय और अपराजेय रहे। कभी-कभी साहित्यिक परिदृश्य में ऐसे साहित्यकार उत्पन्न होते हैं, जिनके जोड़ का साहित्यकार कोई दूसरा नहीं होता। रविवार को ये बातें रांची विश्वविद्यालय के पीजी हिन्दी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ जंगबहादुर पांडेय ने कही। वे साहित्यिक काव्य नाटक अपराजेय निराला का मुहूर्त कार्यक्रम में बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन रांची प्रेस क्लब के सभागार में किया गया था। उन्होंने कहा कि तीन अंकों के नाटक अपराजेय निराला में स्व. प्राचार्य रामेश्वर सिंह काश्यप ने सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के जीवन को गागर में सागर की तरह समाहित करने की कोशिश की है और इसमें कुछ पात्र वास्तविक और कुछ काल्पनिक है। यह एक पूर्णतया साहित्यिक नाटक है।
निराला बेहद स्वाभिमानी थे: डॉ सुरेश प्रसाद सिंह
इस अवसर पर विजय तेन्दुलकर रचित नाटक चीफ मिनिस्टर का भी मुहूर्त निकाला गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय भोजपुर के पूर्व कुलपति प्रो. डॉ सुरेश प्रसाद सिंह ने कहा कि निराला बेहद स्वाभिमानी थे। एक बार जब राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें बुलाया तो वे नहीं गये और कहा कि आपको काम है तो मेरे पास आइए, आप राष्ट्रपति हैं तो मैं भी साहित्यपति हूं। कार्यक्रम में साहित्यकार डॉ अशोक प्रियदर्शी, राज्यसभा सांसद और साहित्यकार महुआ माजी और साईंनाथ यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ एसपी अग्रवाल ने भी अपने विचार रखे और सभाधान संस्था के प्रयासों की सराहना की। आगत अतिथियों का स्वागत बुके नहीं, बुक (श्रीमद्भगवद्गीता) से संयोजक डा बी.एन सिंह ने और धन्यवाद ज्ञापन डा ओम प्रकाश ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ सुशील अंकन ने किया।
ये लोग थे शामिल
मुहूर्त कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकार डा श्री निवास ठाकुर, डा तारामणि पाण्डेय, विनोद कुमार सिंह और गणमान्य अतिथि उपस्थित थे। कतिपय कलाकारों ने नाटक का पाठ भी किया उनमें शशिकला पौराणिक, सुकुमार मुखर्जी, राकेश रमण और विनय कुमार प्रमुख हैं। गौरतलब है कि नव निर्मित नाट्य संस्था समाधान के तत्वावधान में स्व. प्राचार्य रामेश्वर सिंह ‘कश्यप’ उर्फ लोहा सिंह प्रणीत साहित्यिक काव्य नाटक ‘अपराजेय निराला’ का मंचन नये साल के जनवरी अथवा फरवरी 2023 में प्रस्तावित है।