रांची : डोरण्डा कॉलेज के संस्कृत विभाग एवं संस्कृत भारती, रांची के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित छह दिवसीय संस्कृत सम्भाषण वर्ग का विधिवत समापन हुआ। समापन कार्यक्रम के मुख्य वक्ता तथा संस्कृतभारती के प्रान्त शिक्षण प्रमुख डा. चन्द्रमाधव सिंह ने कहा कि मात्र छह दिन के प्रशिक्षण के उपरान्त छात्र-छात्राएं जिस प्रकार से संस्कृत में अनुभव कथन, सखी सम्वाद, तथा चलभाष सम्वाद की प्रस्तुति कर रहे हैं, वह प्रशंसनीय है। यदि यह विद्यार्थी निरन्तर अभ्यास करेंगे तो संस्कृत सम्भाषण में प्रवीण हो जायेंगे। स्वामी विवेकानन्द ने भी कहा है कि यदि भारत को जानना है तो संस्कृत को जानना व समझना नितान्त आवश्यक है।
संस्कृत भाषा का पठन-पाठन गौरव का विषय : डा. दीपचन्द
संस्कृत भारती के प्रान्तमन्त्री डा. दीपचन्द राम कश्यप ने कहा कि संस्कृत भाषा का पठन-पाठन व वाचन गौरव का विषय है। उन्होंने संस्कृत भाषा को राष्ट्रभाषा व लोकभाषा बनाने हेतु विद्यार्थियों से आह्वान किया। अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य बी.पी.वर्मा ने कहा कि संस्कृत भाषा हमारी संस्कृति की संवाहक है। इस भाषा को प्रयोग में लाना चाहिए तथा सामान्य बोल-चाल की भाषा के रूप में प्रयोग करना चाहिए। जीवन के गूढ़ रहस्यों को जानने के लिए संस्कृत भाषा पर अधिकार बहुत आवश्यक है। छह दिवसीय संस्कृत सम्भाषण वर्ग में प्रशिक्षकों के रूप में डा. पारंगत आर्य, रमेश कुमार जगदम्बा प्रसाद सिंह का योगदान सराहनीय रहा।अतिथियों का परिचय व स्वागत विभागीय प्राध्यापिका डा. दीपिका टोप्पो तथा धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष डा.निमिषा कुमारी ने किया। मंच संचालन प्राची प्रिया द्वारा किया गया। विभागीय प्राध्यापिका डा.अनिमा तथा डा.पूनम पाण्डेय ने अतिथियों का स्वागत किया। इस वर्ग में लगभग 60 प्रशिक्षार्थियों ने। प्रशिक्षण प्राप्त किया इस अवसर पर सभी छात्र-छात्राएं तथा प्रशिक्षक उपस्थित रहे।