Taken from Facebook wall of Mr. Navaneet Kumar Sinha
पूरे एक दशक तक कोयला कम्पनी के सिरमौर रहे सी एम डी श्री गोपाल सिंह 31 जनवरी 2021 को अवकाश ग्रहण कर रहे हैं। यह नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है क्युंकि अपने व्यक्तित्व, निडर स्वभाव, आकर्षक भाषण शैली और लक्ष्य प्राप्ति के लिए सम्पूर्ण निष्ठा के कारण सारे कोयला उद्योग में जाने जाते रहे हैं। 2012 में जब इन्होने सी सी एल में सी एम डी के पद पर योगदान दिया, सी सी एल 42- 44 मिलीयन ट्न प्रति वर्ष के उत्पादन स्तर पर थी। आते के साथ युवा तेजतर्रार अधिकारियों की एक टीम बनाकर विजन 2020 की योजना बनाने को कहा गया जिसके अनुसार 2020 तक 100 मिलियन का उत्पादन सुनिश्चित करना था। टीम ने योजना बनायी, योजना पर काम शुरु हुआ। सबसे पहले 2013- 14 में आम्रपाली क्षेत्र में विपरित परिस्थीतियों में उत्पादन शुरु किया गया। कोयला प्रेषण के लिये सड़क नहीं थी और सबसे नजदीक का रेलवे साइडिंग 80 किलोमीटर की दूरी पर था। कोल इंडिया की एक नयी योजना के अनुसार उपभोक्ताओं को कोयला परिवहन का इन्तजाम कर 80 किलोमीटर दूर वाले टोरी साइडिंग से रेलवे रेक में लदान करने के लिय आमंत्रित किया गया। रिलायंस, बजाज और अदाणी जैसी कम्पनी आगे आई और देखते देखते सड़क बने, नयी साइडिंग तक ढुलाई शुरु हुई और सड़क मार्ग से हजारों ट्न कोयले का प्रेषण होने लगा। फिर मगध , बिरसा, कारो पैच से उत्पादन शुरु हुआ और बिल्कुल लक्ष्य के अनुसार सी सी एल की क्षमता 2020 में 100 मिलियन टन तक पहुंच गयी। ये और बात है कि कोरोना और बिजली कम्पनीयों में उतनी माँग ना होने के कारण उत्पादन को 75 से 80 मिलियन ट्न पर संयमित कर के रखना पड़ा। इन्होने सी सी एल सी एम डी रहते हुए कार्यवाहक अध्यक्ष कोल इंडिया के रूप में भी करीब 8-9 महिनों तक सफलता पूर्वक कार्य किया और इसी बीच बी सी सी एल के कार्यवाहक सी एम डी भी रहे। इस तरह से अध्यक्ष का कार्य देखते हुए दो दो कम्पनी को सी एम डी रह कर सफलता पूर्वक चलाना अपने आप में एक कीर्तिमान है। गोपाल सिंह सर ने सिर्फ़ उत्पादन पर ही ध्यान नहीं रखा बल्कि कम्पनी के हर क्षेत्र के कार्यालय भवन के रख रखाव पर विशेष ध्यान रखा। आज सी सी एल मुख्यालय, गाँधीनगर अस्पताल और क्षेत्रों के महाप्रबंधक, परियोजना पदाधिकारियों के कार्यालय भवनों की खूबसूरती देखते बनती है। आज अगर आप चतरा, हजारीबाग, गिरिडीह के कोयला क्षेत्रों की तरफ जाएंगे तो आप विकास की एक नयी तस्वीर देखेंगे। मानवीय संवेदना इतनी कि अवकाशप्राप्त कर्मचारियों के दवा वगैरह के पैसे का भुगतान करने के लिये अलग से इन्तेजाम किया गया। भुगतान में विलम्ब होने की खबर पर सम्बंधित लोगों की तत्काल जबाबदेही तय होती थी। यही नहीं रिटायर्ड लोगों के लिये भीष्म पितामह क्लब, जिसमे चालिस पचास लोगों की बैठने की व्यवस्था, टी वी, कौफी मशीन और अखबार, मैगजीन की व्यवस्था की गयी, सारे कोल इंडिया ही नहीं सभी सरकारी कम्पनियों के लिये अनूठा प्रयोग रहा।सारे प्रदेश के खेल जगत में भी उनकी एक अलग पहचान बनी जब उन्होने हर कोलियरी क्षेत्र में फुटबॉल की अलग अलग टीम बनवाने की पहल की और राज्य स्तरीय मैच आयोजित कराये। राज्य सरकार के साथ एम ओ यू कर के साझे में झारखंड स्टेट स्पोर्ट्स प्रोमोशन सोसायटी का गठन कर प्रति वर्ष सैकडों बच्चों के विभिन्न खेल विधा में ट्रेनिंग और मुफ्त पढाई का प्रबंध किया जो पूरे देश के लिये एक अनूठा प्रयोग था। आज इस सोसायटी के बच्चे राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मैडल तक जीत रहे हैं।कर्मचारियों से सीधे मुखातिब हो उनकी समस्याओं पर ध्यान देने की आदत ने ना जाने कितने दलाल नेताओं को इनका दुश्मन बना दिया। उनकी अवैध कमाई पर रुकावट सी होने लगी जिससे नाराज हो कर इनके खिलाफ बयानबाजी और अनर्गल आरोप लगने लगे। लेकिन इन्होने इन सारे आलोचनाओं को नजरन्दाज करते हुए अपने को लक्ष्य पर केंद्रित रखा और अपनी लगन और मेहनत से अनेक मील के पत्थर स्थापित किये। इनके आलोचक भी इनके तकनिकी विद्वता के कायल रहे हैं। कोई शक नहीं कि कोयला मंत्रालय इनकी तकनीकी क्षमता का इस्तेमाल इनके अवकाश ग्रहण के पश्चात भी करता रहेगा। कोयला उद्योग श्री सिंह के कम्पनी के विकास में योगदान को कभी भूल नहीं पायेगा।