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Saturday, January 11, 2025
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झारखंड संवैधानिक संकट की दहलीज पर, कहीं हेमंत सोरेन का गेम ओवर करने का प्लान तो नहीं…!

नारायण विश्वकर्मा
झारखंड में अगले 48 घंटे में राजनीतिक परिदृश्य बदल सकता है. 5 सितंबर से पूर्व ही हेमंत सरकार संवैधानिक संकट से घिरने लगी है. राज्यपाल के दिल्ली कूच करने के बाद एक बार फिर रांची में राजनीतिक माहौल गरम हो उठा है. फिर सूत्रों पर आधारित खबरें आने लगी हैं. सभी के अपने-अपने सूत्र हैं. अब यह चर्चा जोरों पर हैं कि ऑपरेशन लोटस के तहत दिल्ली के रणनीतिकारों ने हेमंत सोरेन का गेम ओवर करने की फिराक में लगे हैं. चुनाव आयोग हेमंत सोरेन की विधायकी लेने के साथ उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा सकता है. अगर ऐसा हुआ तो हेमंत सोरेन पद छोड़ने के बाद दोबारा शपथ नहीं ले सकेंगे। इस स्थिति में उनकी पार्टी झामुमो और महागठबंधन को नया नेता चुनना होगा। विधायक दल का नया नेता झारखंड के अगले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेगा। इसके बाद उन्हें विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा। ये उनके लिए अग्निपरीक्षा साबित होगा.

5 सितंबर के विशेष सत्र पर संशय बरकरार

दिल्ली सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हेमंत सरकार द्वारा बुलाये गए एक दिवसीय विधानसभा सत्र से पहले आफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में हेमंत सोरेन पर राज्यपाल का फैसला आ सकता है. बड़ा सवाल यह है कि यदि हेमंत सोरेन की सदस्यता गई तो फिर 5 सितंबर को आहूत सत्र होगा या नहीं? इसपर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है. कहा जा रहा है कि सत्र बुलाने की अनुमति राज्यपाल से राज्य सरकार लेती है. जबकि आहूत विशेष सत्र मॉनसून सत्र की विस्तारित अवधि है. इसपर राज्यपाल से अनुमति की जरूरत नहीं है. यहां आकर पेंच फंस रहा है. संविधान के जानकार बताते हैं कि स्पीकर द्वारा समन जारी हो जाने के बाद सत्र को स्थगित करने का अधिकार स्पीकर को ही है. वह भी वे सदन के अंदर ही कर सकते हैं. लेकिन यह भी अहम सवाल है कि जब सदन नेता की सदस्यता ही चली जायेगी, तो बिना नेता सदन के सत्र का क्या औचित्य रह जाता है? ऐसी हालत में 5 सितंबर के सत्र पर संशय बरकरार है.

क्या झारखंड में शिंदे की खोज हो गई है…?

सूत्र बताते हैं कि राजनीतिक धुरंधरों का रांची से लेकर दिल्ली तक बैटिंग जारी है. हेमंत सरकार का गेम ओवर करने का प्लान तैयार किया गया है. न खाएंगे न खाने देंगे, की तर्ज ऑपरेशन लोटस चलाया जा रहा है. बता दें कि सरकार गिराने का पहला प्रयास जुलाई 21 में हुआ था. हमने पहली बार इस खबर को ब्रेक किया था. लेकिन साल भर बाद भी अभी तक आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर नहीं की गई और सरकार गिराने के आरोपी छूट गए. दूसरी बार कैश कांड के तहत सरकार गिराने के चक्कर तीन विधायक बुरी तरह से क्लीन बोल्ड हो गए. खबर है कि बाकी बचे खिलाड़ी अभी बैटिंग कर रहे हैं. ये अंतत: हेमंत सरकार का गेम ओवर करने की फिराक में हैं. दरअसल, झारखंड में महाराष्ट्र की तर्ज पर ही काम हो रहा है. कहा जा रहा है कि झारखंड में शिंदे को खोज लिया गया है. चर्चा है कि हेमंत सरकार में कांग्रेस-झामुमो के कुछ वरिष्ठ विधायक व मंत्री शक्ति परीक्षण के समय दगा दे सकते हैं. झारखंड कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो अभी भी झारखंड कांग्रेस के कई विधायक सीधे आरपीएन सिंह के संपर्क में हैं। लगातार इनकी दिल्ली में आरपीएन सिंह से मुलाकात हो रही है। यही कारण है कि अविनाश पांडे कांग्रेस को बचाने की मुहिम में रांची-रायपुर का मोर्चा संभाले हुए हैं. बताया जा रहा है कि सारे विधायक पांच सितंबर को रायपुर से लौटेंगे. सभी विधायक सुबह 8 बजे रायपुर से झारखंड सरकार के विशेष विमान से रांची एयरपोर्ट पहुंचेंगे. वहां से सीधे विधानसभा पहुंचेंगे.

झारखंड की राजनीति को करीब से समझनेवालों का कहना है कि झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने की कोशिश पर काम हो रहा है. यह कयास लगाना शायद गलत होगा कि भाजपा जोड़तोड़ की राजनीति के तहत अपनी सरकार बनाने पर आमादा है. लेकिन ये ऐसा नहीं मानते. इनका कहना है कि राज्य के हालात ऐसे बनाए जा रहे हैं कि ताकि राष्ट्रपति शासन का मार्ग खुल जाए. मुमकिन है कि राष्ट्रपति शासन के दौरान मध्यावधि चुनाव की घोषणा कर दी जाए. दरअसल, राज्य में संवैधानिक संकट की दस्तक साफ सुनाई दे रही है. खैर ये सब तो आनेवाला समय बताएगा, पर इतना तय है कि राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल तैयार हो चुका है.

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