नेशनल हाईवे आथिरिटी आफ इंडिया (एनएचएआइ) 10 किलोमीटर लंबा फ्लाई ओवर का निर्माण कर रही है। जो चौका से शुरू होकर जमशेदपुर से होते हुए महुलिया में जाकर समाप्त होगी। टाटानगर रेलवे स्टेशन पर दैनिक जागरण से बात करते हुए एनएचएआइ के महाप्रबंधक कर्नल अजय कुमार ने यह जानकारी दी।उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग 33 में चलने वाले भारी वाहनों को शहर की आबादी में घुसने से रोकने व ट्रैफिक से निजात दिलाने के लिए यह पहल की जा रही है। उन्होंने बताया कि इस फ्लाई ओवर के लिए डीपीआर तैयार किया जा रहा है। इसमें 1800 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। वहीं उन्होंने बताया कि रांची, खूंटी, चक्रधरपुर, चाईबासा से होते हुए जैतगढ़ के लिए 200 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण भी एनएचएआइ कर रहा है। कर्नल अजय ने बताया कि इस सड़क के निर्माण में भी स्लैग का इस्तेमाल किया जाएगा।टाटानगर रेलवे स्टेशन पर पत्रकारों से बात करते हुए सीएसआइआर के प्रिंसिपल साइंटिस्ट सतीश पांडेय ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि स्लैग में काफी मात्रा में चूना, फ्रोजेन गैस सहित कैल्शियम कार्बोनेट होता है। पानी के संपर्क में आने पर वह फूलता है और सड़क में दरारें पड़ जाती हैं। लेकिन सीएसआइआर व सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआइ) ने नई टेक्नोलाजी के इस्तेमाल से स्लैग को पर्यावरण अनुकूल बनाया है।पानी का जमाव के बावजूद नहीं आएंगी दरारेंपानी के जमाव के बावजूद उसमें दरारें नहीं आएंगे और सड़क की लाइफ बढ़ जाएगी। छह लेन वाली एक किलोमीटर की सड़क में एक लाख टन स्लैग का इस्तेमाल किया जा रहा है। मुंबई-गोवा और मुंबई बड़ौदा रोड़ निर्माण में भी स्लैग का इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं, उन्होंने बताया कि सीएसआइआर प्लास्टिक वेस्ट, फेरो क्रोम वेस्ट, कापर स्लैग, शहरी कचरे से सड़क निर्माण सहित पेबर्स ब्लाक व लाल मिट्टी से सेरामिक बर्तन का निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा पेट्रोलियम के अवांछित उत्पादों का इस्तेमाल किया जा रहा है।उन्होंने बताया कि स्लैग से ही टाटा से आदित्यपुर व खड़गपुर के बीच थर्ड लाइन का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मिट्टी की जांच में यदि वे अम्लीय पाए जाते हैं तो उसकी उर्वरकता क्षमता को बढ़ाने के लिए भी स्लैग का इस्तेमाल किया जा रहा है।
News Source – Jamshedpur SteelCity FB Page