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Monday, December 23, 2024
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सीएम को गिरफ्तारी से छूट सिर्फ सिविल मामलों में, क्रिमिनल में नहीं…! पर सबसे बड़ा सवाल…! हेमंत से पूछताछ तो, रघुवर से क्यों नहीं…?

नारायण विश्वकर्मा

रांची : झारखंड में कई जिलों में ईडी-आईटी रेड के बाद राज्य का राजनीतिक माहौल गरमा गया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ईडी को अपनी गिरफ्तारी की चुनौती दे डाली है, जबकि गिरफ्तारी जैसी अभी कोई बात ही नहीं है. अलबत्ता उनपर ईडी का शिकंजा जरूर कसता जा रहा है. दरअसल, ईडी ने झारखंड में अवैध माइनिंग से संबंधित मामले में 1000 करोड़ से भी अधिक की मनी लॉन्ड्रिंग का पता लगाया है और इसी मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछताछ के लिए उन्हें 3 नवंबर को समन जारी किया था. लेकिन वे हाजिर नहीं हुए. अब एक बार फिर उन्हें समन जारी करने की तैयारी की जा रही है। दूसरी तरफ सीएम ने अपनी व्यस्तताओं का हवाला देते हुए तीन हफ्ते का समय मांगा है. सीएम के इस आग्रह पर ईडी ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है। सूत्रों के अनुसार, 15 नंवबर के बाद किसी भी दिन सोरेन को दूसरी बार समन भेजा जा सकता है। नियम यह है कि अगर तीन समन के बाद भी वे पूछताछ के लिए हाजिर नहीं होते हैं तो, ईडी आगे की कार्रवाई के लिए कोर्ट से वारंट का आग्रह कर सकता है.

केेस दर्ज होने पर गिरफ्तारी संभव

सवाल उठता है कि क्या एक मुख्यमंत्री को समन भेजने के बावजूद अगर वे ईडी कार्यालय में हाजिर नहीं होते हैं तो, क्या उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है?  दरअसल,  कोड ऑफ प्रोसिजर की धारा 135 के तहत प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य, मुख्यमंत्री, विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों को गिरफ्तारी से छूट मिली हुई है. ये छूट सिर्फ सिविल मामलों में है, क्रिमिनल मामलों में नहीं. इस धारा के तहत संसद या विधानसभा या विधान परिषद के किसी सदस्य को गिरफ्तार या हिरासत में लेना है तो, सदन के अध्यक्ष या सभापति से मंजूरी लेना जरूरी है. धारा ये भी कहती है कि सत्र से 40 दिन पहले, उस दौरान और उसके 40 दिन बाद तक ना तो किसी सदस्य को गिरफ्तार किया जा सकता है और ना ही हिरासत में लिया जा सकता है. लेकिन उसकी जानकारी अध्यक्ष या सभापति को देनी होती है. संविधान के तहत राष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपाल को सिविल के साथ-साथ क्रिमिनल मामलों में गिरफ्तारी से छूट मिली हुई है. राष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपाल को पद पर रहते हुए गिरफ्तार या हिरासत में नहीं लिया जा सकता है. उन्हें तभी गिरफ्तार किया जा सकता है, जब या तो कार्यकाल खत्म हो जाए या फिर वो पद से इस्तीफा दे दें. हालांकि ईडी ने हेमंत सोरेन को सिर्फ पूछताछ के लिए बुलाया है. उनके खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं किया है. अगर केस दर्ज होता है तो, ये मामला क्रिमिनल का होगा. ऐसे में सीएम को गिरफ्तार भी किया जा सकता है.

ईडी की सीएम से पूछताछ के मायने…?

सवाल ये भी उठता है कि हेमंत सोरेन से ईडी क्यों पूछताछ करना चाहता है? क्यों सीएमओ के तार अवैध खनन और मनी लॉंन्ड्रिंग से जुड़ते दिख रहे हैं. यही वजह है कि ईडी उनसे पूछताछ करना चाहती है. इसी साल 8 जुलाई को ईडी ने सोरेन के करीबी माने जानेवाले पंकज मिश्र के घर पर छापेमारी की थी. यहां से एजेंसी को हेमंत सोरेन की बैंक पासबुक, साइन किए हुए दो चेक और चेकबुक मिली थी. ईडी ने सितंबर में मामले में चार्जशीट दाखिल की थी. एजेंसी का कहना है कि अबतक की जांच उसे अवैध खनन में एक हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की हेराफेरी होने के सबूत मिले हैं. एजेंसी के मुताबिक इस मामले में अबतक ईडी ने 5.34 करोड़ रुपए की नकदी जब्त की है. साथ ही बैंक में जमा 13.32 फ्रिज कर दिए हैं. इसके अलावा 30 करोड़ रुपए का एक जहाज भी जब्त किया है. दावा है कि इस जहाज का इस्तेमाल अवैध खनन से निकाले पत्थरों को ले जाने के लिए किया जाता था. ईडी ने चार्जशीट में लिखा है कि पंकज मिश्रा अवैध खनन में शामिल था और उसने सीएम के निर्देश पर करोड़ों रुपए की हेराफेरी की. इस मामले में पंकज मिश्रा के अलावा बच्चू यादव और प्रेम प्रकाश को भी गिरफ्तार किया गया है.

पूर्व सीएम रघुवर दास से पूछताछ क्यों नहीं?

निर्दलीय विधायक सरयू राय यह सवाल बार-बार उठा रहे हैं कि हेमंत सोरेन को अगर ईडी समन जारी कर पूछताछ करेगा तो, बगैर पूर्व सीएम रघुवर दास के इस पूरे प्रकरण में इंसाफ नहीं होगा. उनका यह तर्क भी खारिज नहीं किया जा सकता. उनका मानना है कि ईडी सीएम हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा पर हुई चार्जशीट के आधार पर मुख्यमंत्री को बुला रही है, जो साहेबगंज एवं पाकुड़ में गिट्टी घोटाला से जुड़ा है। वे कहते हैं कि इस मामले में हेमंत सोरेन से ज्यादा घोटाला रघुवर दास के सीएम एवं खान मंत्री रहते हुआ है। इसका प्रमाण ईडी की उसी चार्जशीट में है, जिसके आधार पर हेमंत सोरेन को पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार पर तो बस गिट्टी घोटाले का आरोप है, जिसमें उनके प्रतिनिधि पंकज मिश्रा मुख्य अभियुक्त हैं, लेकिन रघुवर दास पर तो गिट्टी घोटाला के साथ ही मनरेगा घोटाले का आरोप भी है, जो ईडी  की उस चार्जशीट से साबित होता है, जिसमें पूजा सिंघल पर मुकदमा हुआ है। आरोप है कि ईडी चार्जशीट में रघुवर दास सीएम एवं खान मंत्री थे, तब 2015 से 2019 के बीच हर वर्ष रेलवे रैक से अवैध ढुलाई हुई है। यह ढुलाई 2015-16 से 2019-20 के बीच 233 रेक से हुई है तथा रघुवर दास सरकार में वसूली एजेंट प्रेम प्रकाश की कंपनी सीटीएस इंडस्ट्री ने यह अवैध ढुलाई की है। अगर ईडी निष्पक्ष ढंग से जांच को आगे बढ़ाना चाहता है तो उसे रघुवर दास से भी पूछताछ करनी चाहिए. वरना इसे एकतरफा कार्रवाई मानी जाएगी और जनमानस में भी इसका गलत संदेश जाएगा.

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