रांची : रांची ज़िला प्रशासन ने आज देर शाम मोरहाबादी मैदान, रांची में आदिवासी सेंगेल अभियान द्वारा 22 दिसम्बर को घोषित मातृभूमि-मातृभाषा विजय दिवस के आयोजन की अनुमति दे दी है। अब 22 को पूर्व सांसद सालखन मुर्मू का राजभवन, रांची के समक्ष प्रस्तावित अनशन कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है। जिला प्रशासन के इस निर्णय पर मुर्मू ने आभार जताया है. कार्यक्रम को लेकर शुक्रवार की दोपहर में श्री मुर्मू ने मोरहाबादी मैदान के गांधी वाटिका में पत्रकारों से कहा था कि भव्य ऐतिहासिक आदिवासी आयोजन के अनुमति हमने सरकार से मांगी थी, लेकिन जवाब नहीं मिलने पर हमने राजभवन के समक्ष सांकेतिक अनशन करने को लेकर आज प्रेस कांफ्रेंस बुलाया था. उन्होंने कहा कि चूंकि 22 दिसंबर 1855 को संतालपरगना और संतालपरगना टेनेंसी कानून बना था और 22 दिसंबर 2003 को संताली भाषा 8वीं अनुसूची में शामिल किया गया था।
मुर्मू ने शिकायत ऊपर तक पहुंचायी थी
ज्ञातव्य हो कि पूर्व में 30 अप्रैल 2022 को प्रायोजित संताली राजभाषा महारैली, मोरहाबादी मैदान, रांची के मामले में भी आदिवासी विरोधी अफसरों ने केवल एक दिन पहले अर्थात 29.4.2022 को असहमति की सूचना देकर आदिवासी सेंगेल अभियान के साथ भारी धोखेबाजी का काम किया था। सेंगेल की शिकायत पर महामहिम राष्ट्रपति के कार्यालय ने इसका संज्ञान लेकर उचित जांच के लिए झारखंड के मुख्य सचिव को 7 सितंबर को पत्र प्रेषित किया गया है।
ये लोग थे शामिल
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सुमित्रा मुर्मू (केंद्रीय संजोजक), तिलका मुर्मू (केंद्रीय संयोजक-सेंगेल युवा छात्र मोर्चा), ज्योति मुर्मू, चेरवा खलखो (रांची प्रमंडल महासचिव), कजरू मुंडा (रांची ज़िला अध्यक्ष ), देवनारायण मुर्मू (सेंगेल झारखंड प्रदेश अध्यक्ष), किरण खलखो, चंद्रमोहन मार्डी (प्रदेश अध्यक्ष, सेंगेल माझी परगना मंडवा) आदि मौजूद थे।