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Monday, December 23, 2024
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अधिवक्ता प्रशांत भूषण अवमानना के मामले में दोषी करार, 20 अगस्त को सजा पर फैसला

नयी दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका के प्रति कथित रूप से 2 अपमानजनक ट्वीट करने के मामले में बता दें कि प्रशांत भूषण ने प्रधान न्यायाधीश एस०ए० बोबडे और सुप्रीम कोर्ट के 4 पूर्व प्रधान न्यायाधीश को लेकर अपमानजनक टिप्पणी की थी, जिस पर कोर्ट ने स्वत:संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी।
शुक्रवार को प्रशांत भूषण को दोषी करार दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट अब 20 अगस्त को सजा तय करेगी। बता दें कि प्रशांत भूषण ने मुख्य न्यायाधीश बोबड़े और सुप्रीम कोर्ट के 4 पूर्व CJI को लेकर अपमानजनक टिप्पणी की थी, जिस पर कोर्ट ने स्वत:संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी।
इससे पहले अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अपने ट्वीट को लेकर बचाव किया था, जिसमें कथित तौर पर अदालत की अवमानना की गई थी। उन्होंने कहा था कि वे ट्वीट न्यायाधीशों के खिलाफ उनके व्यक्तिगत स्तर पर आचरण को लेकर थे और वे न्याय प्रशासन में बाधा उत्पन्न नहीं करते. न्यायालय ने इस मामले में प्रशांत भूषण को 22 जुलाई को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
पीठ ने सुनवाई पूरी करते हुए 22 जुलाई के आदेश को वापस लेने के लिए अलग से दायर आवेदन खारिज कर दिया था। इसी आदेश के तहत न्यायपालिका की कथित रूप से अवमानना करने वाले दो ट्वीट पर अवमानना कार्यवाही शुरू करते हुए नोटिस जारी किया गया था।
●क्या था विवादित ट्वीट में ?
प्रशांत भूषण ने अपने ट्वीट के जरिए कहा था कि पिछले 6 सालों में देश में लोकतंत्र को बर्बाद करने में 4 प्रधान न्यायाधीशों की भूमिका रही है। इसके बाद प्रशांत भूषण ने एक और ट्वीट किया, जिसमें मौजूदा प्रधान न्यायाधीश एस०ए० बोबडे की उस तस्वीर को लेकर किया था, जिसमें वो हार्ले डेविडसन बाइक पर बैठे नज़र आए थे। भूषण ने प्रधान न्यायाधीश एस०ए० बोबडे पर बाइक पर बिना हेलमेट और मास्क के बैठने का आरोप लगाया था।
◆न्यायपालिका से जुड़े मसलों पर उठाते रहे हैं सवाल
प्रशांत भूषण न्यायपालिका से जुड़े मसलों पर पहले भी सवाल उठाते रहे हैं। हाल के दिनों में कोरोना के दौरान लगाए गए लॉकडाउन में दूसरे राज्यों से पलायन करने वाले प्रवासियों को लेकर भी शीर्ष अदालत के रवैये की आलोचना की थी। इसी तरह भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी वरवर राव और सुधा भारद्वाज जैसे जेल में बंद नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले कार्यकर्ताओं के साथ हो रहे व्यवहार के बारे में बयान भी दिये थे।

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