डकरा। अपने संतान की दीर्घायु के लिए माताओं ने गुरूवार को जिउतिया व्रत का निर्जला उपवास रखा। अष्विन कृश्ण अश्टमी को निर्जला उपवास रखने के बाद षाम को माताओं ने जीमूतवाहन सहित षंकर, पावर्ती, कार्तिक, गणेष की पूजा की। इससे एक दिन पूर्व बुधवार को माताओं ने नहाय खाय किया। पौराणिक कथा के अनुसार राजा जीमूतवाहन, नागकुल की रक्षा के लिए अपना प्राण तक त्याग करने को तैयार हो गए थे। पूजा के दौरान व्रती माताओं ने कथा भी सुनी। अश्टमी तिथि के समाप्ती के बाद षुक्रवार की सुबह विधान से पारण किया और धागे से बने पूजित जितिया को पहना।