CCL की प्रस्तावित संघमित्रा और चंद्रगुप्त परियोजना को बहिष्कार किया जाएगा.. नयी R&R Policy के कारण ! जिसमें नियोजन के बजाय मुआवजा राशि का वैकल्पिक लाना प्रत्यक्ष रुप से पूंजीपतियों को लिए सुगम बनाकर आम भू-रैयतों का शोषण करना जैसा उक्त नीति है..
Coal india की नई नीति के खिलाफ भू स्वामी किसी भी परिस्थिति मे भुमि नही सौंपेंगे, उनका कहना है कि सीसीएल की प्रस्तावित संघमित्रा और चंद्रगुप्त परियोजना में भू-रैयतों को हर हाल में नियोजन या भुमि अधिग्रहण एक्ट – 2013 के अनुसार मुआवजा राशि देना होगा अन्यथा कोल इंडिया की नई नीति स्वीकार नहीं होगी।
भू-रैयतों ने कहा कि भूमि अधिग्रहण करने के बाद खनन करने से वहां पर पर्यावरण, धूल, पानी का स्तर इत्यादि को बुरी तरह से प्रभावित होता है। इसके मद्देनजर प्रभावित होने वाले व्यक्तियों को नियोजन के साथ-साथ ही पुर्नवास, विस्थापन आदि की समुचित व्यवस्था होनी जरूरी है। अन्यथा टंडवा,चतरा जिले मे सीसीएल की प्रस्तावित संघमित्रा और चंद्रगुप्त परियोजना को चालू नहीं दिया जाएगा चुंकि जमीन उपजाऊ के कारण बारहमासी फसल उगाई जाती है, सालों भर खेती करने के फलस्वरूप लोगों का जीवनयापन हर्षोल्लास से बीतती है!
भू-रैयत और बरकुटे(टंडवा) के स्थानीय निवासी श्री विश्वनाथ साहु ने कहा कि संघमित्रा परियोजना के अंतर्गत चतरा जिले के दस गांव की 4243 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गयी है। इसमें बरकुटे गांव से 254 एकड़, सोपारम से 524 एकड़, कोयद से 794 एकड़, नौडीहा से 167 एकड़, कुंडी से 462 एकड़, सराढु से 635 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई है। वहीं, लातेहार जिले के बानालात गांव से 649 एकड़, मनातू से 585 एकड़, बनवार से 89 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गयी है।
चंद्रगुप्त परियोजना के अंतर्गत सात गांव से 3341 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गयी है। हजारीबाग जिले से बुकरु से 997 एकड़, पचड़ा से 722 एकड़, सिझुवा से 565 एकड़, जोरदाग से 545 एकड़, चटी बारियातु से 204 एकड़, नौवाखाप से 139 एकड़ और चतरा जिले के उडसु गांव से 185 एकड़ भूमि अधिग्रहित की गयी है।
कोल इंडिया की ओर से रैयत को जमीन के बदले नियोजन या वैकल्पिक के रुप मे मुआवजा युपीए सरकार का ही स्वीकार होगा मासिक किस्तों में मुआवजा के प्रावधान का प्रस्ताव दिया गया है, जो स्वीकार नही होगा भ-स्वामियों को..
हाल मे ही Coal india की नई R&R Policy के तहत जमीन के बदले वैकल्पिक वाला मुआवजा का पुरजोर विरोध किया जाएगा
उमेश प्रसाद ने कहा कि coal india management द्वारा जमीन के बदले नौकरी का प्रावधान खत्म करने एक शुरुआती कदम है जो पूंजीपतियों व कार्पोरेट घरानों के लिए आधिपत्य का मार्ग प्रशस्त कर रही है इस प्रकार रैयतों को प्रति डिसमिल ₹150 मुआवजा भुगतान करने की नई नीति बनाई है जिसे किसी भी स्थिति में लागू नहीं होने दिया जाएगा .
कोल इंडिया की नई नीति का विरोध में उपरोक्त गांवों के रैयतों ने किया है। इस मुहिम में कुलेश्वर साहु, नवीन कुमार,रोशन कुमार,प्रवीण कुमार,संदीप, सत्यनारायण साहु, प्रमोद ठाकुर,उपेन्द्र पाठक, राहुल ठाकुर, विवेक प्रसाद, कैलाश साहु,पप्पू सिंह, अरविंद,सिंटू साहु, बनवारी साहु, नरेश राणा, सुभाष राम, विकाश यादव सहित अन्य स्थानीय निवासी शामिल हैं ..