कठिनाइयों से उतपन्न विपरित परिस्थितियों में जब कोई आशा खो देता है तो जीवन की कल्पना भी मानो कठीन हो जाती है । खूंटी जिले के खूंटी(सदर) प्रखंड के बारूडीह पंचायत अंतर्गत अनीगड़ा गांव की निवासी पुष्पा देवी। पांच सदस्यों के एक परिवार में उसके पति एक किसान था और आसपास के स्थलों में मजदूर के रूप में काम करते थे। पुष्पा का परिवार बढ़ते परिवार की मांग और उनकी बुनियादी जरूरतों का सामना करने के लिए पर्याप्त नहीं था ।
निराश पुष्पा ने ‘राइस बीयर’ का उत्पादन करने का विकल्प चुना जिसे आमतौर पर ‘हडिया- ग्रामीण झारखंड का स्थानीय पेय’ कहा जाता है। वह एक दिन में 200-300 रुपये कमाती थी।
*जीवन में आया परिवर्तन*
=========================
प्रशासन का उद्देश्य है कि गांव की महिलाओं को हर स्तर पर आत्मनिर्भर बनाने के सार्थक प्रयास जारी रहें। जून 2016 में पुष्पा के जीवन में पहली उम्मीद की किरण आयी जब उन्होंने गरीब महिलाओं को जुटाने और सामुदायिक संस्था बनाने की मुहिम के दौरान सुरभि महिला मंडल से जुड़ी। वह एसएचजी से जुड़ी हुई और अपनी साप्ताहिक बचत के साथ-साथ एसएचजी के मानदंडों और नीतियों का पालन करना शुरू कर दिया। साथ ही वह एकेएम (आजीविका कृषक मित्र) के रूप में चुनी गई। कुछ प्रशिक्षणों के बाद, वह जमीनी स्तर पर लागू किए जाने वाले सर्वोत्तम प्रथाओं का सार इकट्ठा करने में सक्षम थी। जीवन मे आय इस सकारात्मक परिवर्तन से उन्होंने हड़िया बनाने का काम छोड़ दिया और खुद को पूरी तरह से समुदाय के लिए काम करने में लिप्त किया।
जिला अंतर्गत प्रशासन व जेएसएलपीएस के सहयोग से विभिन्न प्रशिक्षणों के दौरान, उन्हें जैविक खेती के पेशेवरों और रासायनिक खेती के सम्बन्ध में पूर्ण रूप से जानकारी दी गयी। उन्होंने जैविक उर्वरक और कीटनाशक बनाना शुरू किया और अपने स्तर पर इस विषय में जागरूकता फैलाने का प्रयास किया। कैडर के रूप में उन्होंने 260 किसानों की देखभाल की और उनहें जैविक खेती के उपयोग के सम्बंध में जागरुक किया।
एक बदलाव के लिए पुष्पा ने जैविक उर्वरक और कीटनाशक बनाना प्रारम्भ किया और उन्होंने निम्नलिखित चीजों का उत्पादन किया–
1. घनजीवामृत- डी.ए.पी. के विकल्प के रूप में क्षेत्र जुताई करते समय इस्तेमाल किया जाता है।
2. द्रवजीवामृत- फसलों के लिए विटामिन बूस्टर के रूप में उपयोग किया जाता है। डीएपी का विकल्प भी है।
3. बीजामृत- बुवाई से पहले बीजों के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है।
4. नीमास्त्र- अवांछित कीड़ों को मारने के लिए कीटनाशकों के रूप में उपयोग किया जाता है।
5. नाडेब- खाद उर्वरक के रूप में उपयोग किया जाता है।
ग्रामीणों को वैकल्पिक खेती के लिए प्रोत्साहित करने हेतु उन्होंने अपनी भूमि में सब्जी व धान की खेती के लिए इस्तेमाल कर जैविक उर्वरकों के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया गया। इसके अलावा वह अब 30 से अधिक किसानों के साथ काम कर रही हैं। एक देसी शराब विक्रेता ने लगभग 50 किसानों को प्रेरित किया और सतत कृषि पद्धतियों की ओर कदम बढ़ाएं।
इसके अलावा उन्हें सामुदायिक प्रबंधित सतत कृषि (सीएमएसए) कार्यक्रम के तहत जैविक खेती की प्रथाओं के विस्तार के लिए सामुदायिक संसाधन व्यक्ति (सीआरपी) के रूप में नामित किया गया था ।
*बाधाओं के साथ चुनौती और मुकाबला*
=================
पुष्पा के जीवन को विपरीत परिस्थितियों ने तब घेरा जब अक्टूबर, 2019 में उनके पति का निधन हो गया। पुष्पा को उन 3 बच्चों की जिम्मेदारी संभालनी थी। अपने पति के निधन के बाद पुष्पा ने जेएमडीआई और जेएसएलपीएस के तहत कार्यरत जोहार परियोजना के माध्यम से उन्नत कृषि विकल्पों के लिए आवेदन किया। इन परियोजनाओं के माध्यम से उन्नत माइक्रो ड्रिप सिंचाई और पॉली हाउस नर्सरी के साथ जरूरतमंदों और संभावित किसानों की सहायता की। अपनी कठिनाइयों में पुष्पा ने अपने बच्चों को बेहतर जीवन प्रदान करने एवं गौरवान्वित बनने के लिए स्वयं को एकेएम, जैविक उर्वरक व्यवसाय, सतत कृषि के लिए कई आजीविका के अवसर की ओर अग्रसर किया। इन्हीं सक्रिय प्रयासों से महिलाएं अब न केवल जीवन में आत्मनिर्भरता की कहानी गढ़ रही हैं बल्कि प्रशासन के सहयोग से उज्ज्वल भविष्य की ओर कदम भी बढ़ा रही हैं।