रांची – कोरोना वायरस के महामारी की इस दौर में देश के करोड़ों लोगों के जीवन आज खतरे में है , खासकर देश का वो तबका जो आर्थिक दृष्टिकोण से काफी पिछड़ा हुआ है , कोरोना महामारी ने इन सबसे पिछड़े तबके जिसे आप मजदूर कह लें या प्रवासी मजदूर कहें इनके वजूद पर ही देश में खतरा पैदा हो गया है , क्योंकि लॉक डाउन पीरियड में जिस तरह प्रवासी मजदूरों के साथ दोनों या तीनो सरकारों का रवैया रहा बहुत ही दुखद था , तीनो सरकारों से मेरा तातपरय ये है कि मजदूर का गृह राज्य एवं जहा प्रवास कर मजदूरी कर रहे थे साथ ही केंद्र की सरकार . इनके अलावा जिस फैक्ट्री में रहकर उन्होंने उस फैक्ट्री को शुन्य से शिखर तक पहुँचाया , उनका रवैया भी एकाएक इन मजदूरों के प्रति बदल गयी और ऐसा व्यवहार किया की फिर उन्हें मजदूरों से कोई जरुरत ही नहीं पड़ेगी .ये बहुत ही दुर्भाग्य था , कई गृह राज्य की सरकारें जिनकी नीति और नियत ख़राब होने के कारन ये मजदूर प्रवासी मजदूर बनकर दूसरे राज्यों में काम कर आजीवका पालन हेतु मजबूर है , वे उन्हें अपनाना और घर वापस आने देने को तैयार नहीं थे .प्रवासी राज्य जिनकी अमीरी इन्ही गरीब मजदूर के मीहनत पर टिकी है उन्होंने भी सौतेला व्यवहार इन मजदूरों के साथ किया है .लम्बी लम्बी हांकने वाली केंद्र सर्कार को तो लॉक डाउन करने से पहले और डेढ़ माह बाद तक यह अंदाज भी नहीं था की हमारे भारत में मजदूरों की इतनी बुरी हालत होगी की हजार डेढ़ हजार किलोमीटर की यात्रा कर मजदूर घर की और पैदल भागेंगे , केंद्र सरकार को बिलकुल ही इस विस्फोटक स्थिति का अंदाज नहीं था , हमारे लाखों मजदूर सड़क और रेल की पटरी पर पैदल ही घरों के लिए निकल पड़ेंगे .कई राज्य सरकार आरम्भ में तो बिलकुल ही मजदूरों को वापस अपने राज्य आने ही नहीं देना चाहते थे , किन्तु झारखण्ड की हेमंत सोरेन सरकार ने बड़ा दिल दिखते हुए , जो प्रयास किये है , निश्चय ही गरीब मजदूरों के लिए एक विस्वास और अपनापन पैदा किया है , सम्पूर्ण भारत में प्रवासी मजदूरों की पहली श्रमिक स्पेशल ट्रैन रांची पहुंची , फिर निरंतर सभी जगह से अभी ट्रेनों में भरकर आ ही रहे हैं सभी को कोरोंटइन कर घर भेजा जा रहा है , हेमंत सरकार की संवेनशीलता की तारीफ होनी चाहिए जो आज उन्होंने भारत में सर्वप्रथम एयरलिफ्ट कर मजदूरों को लेह लद्दाख से झारखण्ड लाकर घरों तक भेजवाने का कार्य किया है , ये बहुत बड़ी मिशाल है ..पड़ोस के राज्य बिहार में डबल इंजन की सरकार है फिर भी वहाँ इंतजाम सही नहीं है , किन्तु झारखण्ड की हेमंत सरकार ने वाकई में प्रवासी मजदूरों का एयर लिफ्ट कर उनके मन में एक विस्वास भरा है , जिससे की भविस्य में भी वो कही जाकर जी खा सकते है , अन्य सरकारों को भी मजदूरों के प्रति अपनी संवेदना दिखानी चाहिए | लेखक – सुवीर कुमार परदेशी एक जाने माने लेखक , समाजसेवी और शिक्षाविद हैं