घाटशिला प्रखंड के कालचित्ती पंचायत अंतर्गत दीघा ग्राम के रहने वाले छतिश तिरिया प्रखंड के पहले ऐसे प्रगतिशील किसान हैं जिन्होंने मल्चिंग एवम् ड्रिप इरीगेशन पद्धति का सफलतापूर्वक प्रयोग करते हुए कृषि कार्य को मुनाफे का कारोबार बनाया। छतिश तिरिया बताते हैं कि उन्होने समय-समय पर कृषि विभाग घाटशिला के द्वारा दिए जाने वाले ग्राम स्तरीय प्रशिक्षण एवं कार्यशाला में भाग लेकर, प्रखंड स्तरीय रबी एवं खरीफ कार्यशाला में भाग लेकर तथा केवीके के वैज्ञानिकों के परामर्श एवं तकनीकों का अनुपालन करते हुए कृषि उत्पादों में बढ़ोतरी की एवं कृषि को ही अपना व्यवसाय चुना तथा उसमें सफलतापूर्वक प्रगति कर रहे हैं।
खेती-किसानी के तकनीकी जानकारी में जिला व प्रखंड के पदाधिकारियों का मिलता है सहयोग- छतीश तिरिया
श्री तिरिया बताते हैं कि उनके खेतों में सभी प्रकार की उपज वैज्ञानिक पद्धति से किए जाते हैं साथ ही समय-समय पर घाटशिला प्रखंड के कृषि विभाग द्वारा अनुदानित राशि पर जो कृषि उपकरण उपलब्ध कराए जाते हैं उसका प्रयोग वे अपने खेतों में करते हैं । वहीं समय-समय पर जिला स्तरीय पदाधिकारी गण भी क्षेत्र भ्रमण के दौरान उनके खेतों में आते हैं और उनके कार्य शैली की काफी प्रशंसा करते हैं तथा जिला स्तर से भी यथा संभव मदद दिए जाने का प्रयास किया जाता रहा है। उन्होंने बताया कि हाल में ही कुसुम परियोजना के तहत मिलने वाले सोलर पंप के लिए उन्होंने प्रखंड के कृषि विभाग में आवेदन किया था जो कि स्वीकृत हो गया है।
*हर मौसम में 2 से 3 एकड़ जमीन पर करते हैं सिर्फ सब्जी की खेती, सालाना 2 से 3 लाख रू होती है आय *
छतिश तिरिया द्वारा हर मौसम में चार से पांच सब्जियों की खेती करीबन 2 से 3 एकड़ की जमीन पर की जाती है जिससे उनके सालाना आय दो से ढाई लाख रुपए तक होता है। वर्तमान में टमाटर, झींगा,करेला एवं बैगन की खेती कर रहे हैं। उन्होने बताया कि सब्जियों की खेती में भी मंचिंग एवम् ड्रिप इरीगेशन विधि का प्रयोग करते हैं जिसमें ड्रिप इरीगेशन के लिए उपकरण उन्हें प्रखंड कार्यालय से प्राप्त हुआ है। मंचिंग प्रक्रिया के इस्तेमाल से जो भी सब्जियां फलती है वे भूमि पर नहीं फैलती और ना ही बर्बाद होती तथा तार के सहारे उनको सहारा दिया जाता है जिससे उत्पाद में वृद्धि होती है, और उन्हें तोड़ने में भी आसानी होता है। वहीं डीप इरीगेशन के माध्यम से पानी का खपत कम होता है, पानी के साथ-साथ बीज एवं खाद की भी कम खपत होती है और पानी सीधे पौधे के जड़ों तक जाता है।
धान
वर्तमान में छतिश तीरिया द्वारा एक एकड़ की जमीन में धान लगाया गया है जिसमें कि स्वर्णा हाइब्रिड धान एवं नॉर्मल फाइनल वैरायटी शामिल है। धान की खेती में उनके द्वारा सीड ड्रम का प्रयोग किया गया है जिसमें कि चारा लगाने की जरूरत नहीं होती है, सीधे बीज की बुआई की जाती है जिससे बीज का खपत कम होता है और उपज ज्यादा होता है।
दूसरे किसान भी चले छतिश तिरिया की राह
धान एवं सब्जी की खेती से प्रगतिशील कृषक छतिश तिरिया को सालाना लगभग 3.5 लाख रुपए का आय होता है जिससे प्रभावित होकर आसपास के गांव के लोग भी वैज्ञानिक पद्धति की खेती अपना रहे हैं। दूसरे किसानों को अपने संदेश में श्री तिरिया कहते हैं कि देश की अनमोल धरोहर मिट्टी है और यह मिट्टी सोना देती है पर हम सभी किसान भाई मेहनत करना नहीं चाहते हैं, गांव से दूर जाकर शहरों में दैनिक मजदूरी में काम करते हैं पर अपने खेतों को बंजर छोड़ देते हैं। सरकार हर संभव प्रयास किसानों के जीवन को सुधारने एवं उनके विकास के लिए हर संभव प्रयास कर रही है आवश्यकता है कि उसका लाभ उठाया जाए। कुसुम परियोजना के तहत सोलर पंप,केसीसी एवं अन्य योजनाओं के माध्यम से आय को दोगुना किए जाने का प्रयास किया जा रहा है। सभी कृषक यदि अपना ध्यान वैज्ञानिक पद्धति का इस्तमाल कर खेती बाड़ी में करें, दूसरे प्रदेशों में जाकर रोजगार ढूंढने की जगह अपने खेतों में ही मेहनत करें तो यह रोजगार का सबसे बड़ा जरिया होगा और देश के आर्थिक विकास में हम सभी कृषक भी भागीदार बनेंगे।