आज समाहरणालय सभागार में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, नई दिल्ली के द्वारा बाल कल्याण संघ, रांची के सहयोग से मानव तस्करी से प्रभावित बच्चे एवं उनके परिवारों को चिन्हित कर लाभ दिलाने हेतु “संवर्धन कार्यक्रम” का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ माननीय केन्द्रीय मंत्री जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार श्री अर्जुन मुंडा एवं श्री प्रियंक कानूनगो, अध्यक्ष राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, नई दिल्ली द्वारा किया गया।
*हर स्तर पर बाल श्रम उन्मूलन की दिशा में संवेदनशीलता से कार्य जारी– माननीय केंद्रीय मंत्री, श्री अर्जुन मुंडा*
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कार्यक्रम को मुख्य अतिथि, श्री अर्जुन मुंडा, माननीय केन्द्रीय मंत्री जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अपने सम्बोधन में बताया गया कि समय के अनुसार बच्चों का संरक्षण करना हम सभी का दायित्व है। आज का संरक्षण से ही कल के बच्चों का भविष्य निर्भर करता है, आगे उन्होंने कहा कि मैं धन्यवाद देना चाहूंगा बाल कल्याण संघ और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का कि उन्होंने झारखंड प्रदेश को इस कार्य के लिए चुना है। आज संवर्धन कार्यक्रम के माध्यम से जिले के बच्चों को सरकार के द्वारा संचालित 35 प्रकार के सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ने की प्रक्रिया का शुभारंभ जिले में किया जाना बच्चों के लिए एक शुभ संदेश है, जो यह निर्धारित करेगा कि जिले से कोई भी बच्चा बाल तस्करी एवं बाल श्रम का शिकार ना हो, बल्कि वह सरकार की सभी योजनाओं का सुचारु रुप से लाभ ले सके।
उन्होंने कहा कि जिले के जितने भी कठिन परिस्थिति में रहने वाले बच्चे हैं उनका मैपिंग करने में जिला प्रशासन अपने स्तर से सहयोग प्रदान करें, ताकि हम एक नए जिले की ओर बढ़ सके और बाल सुरक्षा का मजबूत कवच तैयार कर सके। इस हेतु सभी लोगों को एक साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास होगा कि अधिक से अधिक इस कार्य में सहयोग कर झारखंड प्रदेश के बच्चों को तकदीर और तस्वीर बदलने में सहयोग हो।
*बाल संरक्षण के बेहतर कार्यों के लिए खूंटी जिला राज्य के लिए उदाहरण– उपायुक्त*
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कार्यक्रम के दौरान उपायुक्त, श्री शशि रंजन द्वारा अपने स्वागत भाषण में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, भारत सरकार के द्वारा जिला अधिकारियों के उन्मुखीकरण कार्यक्रम तथा जिले के कठिन परिस्थितियों में रहने वाले बच्चो का भेद्ता मानचित्रण/मैपिंग प्रक्रिया के शुभारंभ के अवसर पर वेबिनार कार्यशाला में उपस्थित माननीय केन्द्रीय मंत्री जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार , श्री अर्जुन मुंडा व अन्य अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया गया।
उन्होंने कहा कि ये हमारे लिए गौरव कि बात है कि आज के इस वेबिनार कार्यशाला के लिए खूंटी जिला का चयन किया गया है। मौके पर उन्होंने जिले में बाल तस्करी उन्मूलन की दिशा में किये गए कार्यों की जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि पूर्व से ही खूंटी जिला से बहुत से बच्चो की बाल तस्करी होती रही है बिगत तीन वर्षो में लगभग 152 बाल तस्करी/बाल श्रम/बाल यौन शोषण से पीड़ित बच्चो को दिल्ली,उत्तर प्रदेश,पंजाब एवं अन्य राज्यों से जिला प्रशासन द्वारा रेस्क्यू करा कर खूंटी जिला लाया गया है और सभी बच्चो का पुनर्वासन किया गया है ।
जिले में कठिन परिस्थितियों में रहने वाले बच्चों को बाल संरक्षण योजना के तहत स्पांसरशिप योजना के तहत बच्चो को लिंक किया गया है। जिले मे इस योजना के तह्त लछित कुल 40 बच्चो को लाभ दिया जा रहा है। इस योजना के तहत बच्चो को शिक्षा,पोषण एवं चिकित्सा के लिए प्रत्येक माह 2000(दो हजार रूपये} आर्थिक मदद तीन वर्षो के लिए दी जाती है खुंटी जिला राज्य भर मे इस योजना के तहत लछित संख्या को प्राप्त करनेवाला पहला जिला बना है।
दिसम्बर 2019 से अभी तक जिला प्रशासन द्वारा लगभग 2224 लोगो को जिला प्रशासन द्वारा चलायी जा रही बिभिन्न कल्याणकारी योजनाओ से लाभान्वित किया गया है।
आगे उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में बाल तस्करी/बाल श्रम/बाल यौन शोषण/देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले 29 बच्चियों का कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय में नामांकन की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि विगत तीन वर्षो मे खूंटी जिले के विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी के द्वारा देशीय दत्तक ग्रहन मे 41 बच्चो एवं अन्तेर्देसीय दत्तक ग्रहण मे 09 बच्चो को गोद दिया गया है। पिछले माह नई दिल्ली एवं एन सी आर के आश्रय गृहों में आवासित झारखण्ड राज्यों के ४४ बच्चों को लाने के लिए राज्यस्तरीय बनी दो एस्कॉर्ट टीमों में एक एस्कॉर्ट टीम का प्रतिनिधित्व खूंटी जिले के जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी द्वारा किया गया।
इसके साथ ही उनके द्वारा बताया गया कि जिले में बाल संरक्षण संबंधी समस्याओं यथा बाल तस्करी,बाल श्रम,बाल विवाह,बाल यौन शोषण के निराकरण के लिए जिला प्रशाशन द्वारा प्रत्येक ग्राम में बाल संरक्षण समिति को तेजस्विनी क्लब की किशोरियों को लिंक किया जा रहा है। इन किशोरियों को सशक्त बनाने के लिए बाल संरक्षण बिषय पर ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साथ ही प्रत्येक ग्राम में कठिन परिस्तिथियों में रहने वाले बच्चों की मैपिंग की जा रही है।
इस दौरान संजय कुमार मिश्र सचिव बाल कल्याण संघ-सह सदस्य, नीति आयोग (सीएसओ स्टेंडिंग कमिटी) ने कहा की झारखण्ड से प्रत्येक वर्ष 12 हजार से 14 हजार बच्चों को बिचौलियों द्वारा बेच दिए जाते है। कोविड-19 लॉक डाउन के दौरान बहुत सारे प्रवासी श्रमिक अपने प्रदेश में लौटकर आये है और उनके पास खेती के लिए जमीन नहीं होने के कारण आय के अवसर ना के बराबर दिखाई देता है ऐसी परिस्थिति में बच्चों के साथ परिवार भी मानव तस्करों के बहकावे में आसानी से फंस जा रहे है। गाँव स्तर पर इन प्रवासी श्रमिकों के पास सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ गाँव से बाहर रहने के कारण नहीं मिल पा रहा है। इस तरह की स्थिति में परिवार ना चाहते हुए भी बच्चों को तस्करों के हाथों में सौप रहे है।
बाल तस्करों द्वारा परिवार को बच्चों को पढ़ाने, नौकरी दिलाने एवं आर्थिक सहयोग करने के नाम पर बरगला का काम तेजी से फल फुल रहा है। वर्तमान में झारखण्ड से 30 हजार से 35 बच्चों का तस्करी होने की संभावना दिखाई देता है। बिचौलियों द्वारा कोविड -19 लॉकडाउन के अवधि में वापस लौटे परिवारों को बहलाने का कार्य किया जायेगा।
इसी आलोक में देश का पहला पाईल्ट प्रोजेक्ट “संवर्धन कार्यक्रम” का शुभारंभ आज खूंटी जिला में किया गया है। इस कार्यक्रम के परिणाम स्वरूप जिले के मानव तस्करी से प्रभावित बच्चे एवं परिवारों को सरकार के 35 प्रकार के सामजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़कर उन परिवारों एवं बच्चों की तस्वीर और तक़दीर बदलने का प्रयास किया जाएगा जिससे की जिले से मानव तस्करी को जड़ से समाप्त किया जा सके।
बाल कल्याण संघ पिछले 10 वर्षों से खूंटी जिले में मानव तस्करी एवं बाल श्रम को रोकने के लिए कार्य कर रहा है बाल कल्याण संघ के कार्यों को देखते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, नई दिल्ली द्वारा जिले के हितधारकों को संवेदनशील बनाकर इस कार्यक्रम से जोड़ने का संकल्प लिया है।
“संवर्धन कार्यक्रम” के माध्यम से झारखण्ड एवं सरकार एवं केंद्र सरकार द्वारा संचालित 35 प्रकार के सामाजिक सुरक्षा योजनाओं मानव तस्करी से प्रभावित बच्चे एवं परिवारों को जोड़ने का लक्ष्य रखा है।
इसी क्रम में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष, श्री प्रियंक कानूनगो ने कहा कि इस मैपिंग कार्यक्रम में पंचायत प्रतिनिधियों, आंगनबाड़ी सेविकाओं, स्कूल शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान है। इन सभी के साथ मिलकर हम प्रत्येक गांव के कठिन परिस्थितियों में रहने वाले बच्चों के सूची तैयार करें साथ ही उन परिवारों को सरकार के द्वारा संचालित 35 सरकार के सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को जोड़ने का प्रयास इस संवर्धन कार्यक्रम के माध्यम से किया जाएगा।
मौके पर द एशिया फाउंडेशन के नंदिता बरुआ ने कहा कि कोविड-19 के दौरान बहुत सारे प्रवासी मजदूर अपने घर वापस आए हैं, साथ ही उसके बच्चे भी वापस आए हैं। इन सभी को सुरक्षा प्रदान करने और बच्चों को संरक्षित करने के लिए यह मैपिंग कार्यक्रम का शुभारंभ खूंटी जिला में किया जा रहा है। जिसका शुभारंभ आज माननीय मंत्री जनजातीय कल्याण मंत्रालय द्वारा किया जाना सौभाग्य की बात है।