सुशीला देवी अब शराब नहीं बेचती। उसने गांव में अपनी पहचान किराना दुकान की संचालिका के रूप में स्थापित किया है और आज वह सम्मानपूर्वक जीवन-यापन कर रही है। रांची के कांके प्रखंड स्थित उपर कोनकी गांव निवासी सुशीला बताती है कि शराब-हड़िया बेचना उनकी मजबूरी थी। परिवार का भरण पोषण करना था। जमीन कम होने से परिवार के लिए जरूरत भर ही अनाज हो पाता था। आय के अन्य साधन नहीं थे। यही कारण था कि अतिरिक्त आमदनी के लिए शराब-हड़िया के व्यवसाय से जुड़ी।
*ऐसे आया बदलाव*
सुशीला कहती हैं कि शराब- हड़िया बेचने के क्रम में कई बार आत्म सम्मान को ठेस पहुंचती थी। लेकिन घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए अन्य विकल्प सूझ नहीं रहा था। सितंबर 2020 में उस समय मेरे जीवन में बदलाव आया, जब नवजीवन दीदियां और ग्राम संगठन की महिलाओं ने बताया कि शराब हड़िया बेचने के व्यवसाय को छोड़ अन्य व्यवसाय से जुड़ा जा सकता है। इसके लिए सरकार मदद भी करेगी। फिर क्या था, उसी क्षण मैंने फैसला लिया और सरकार द्वारा संचालित फूलो-झानो आशीर्वाद योजना से जुड़ने के प्रयास शुरू कर दिया। देखते-देखते योजना के तहत प्रोत्साहन, सहायता राशि और सखी मंडल की महिलाओं के सहयोग से किराना दुकान का शुभारंभ हुआ। यह मेरे जीवन में सकारात्मक बदलाव लेकर आया।
*मिलता है सम्मान, बेहतर हो रही है जिंदगी*
शराब-हड़िया के व्यवसाय को छोड़ फूलो-झानो आशीर्वाद योजना से लाभान्वित होकर सुशीला आज खुश है। सुशीला गर्वित हो कहती है- अब मुझे सम्मान मिलता है। सरकार की योजना ने मुझ जैसी महिला को सम्मान से जीवन यापन करने के लिए अवसर प्रदान किया।
यह कहानी सिर्फ सुशीला की नहीं, बल्कि राज्य भर की हजारों महिलाओं की है, जिन्होंने फूलो झानो आशीर्वाद योजना का लाभ लिया और वे सूक्ष्म उद्यम, खेती, रेशम उत्पादन, वनोपज, बकरीपालन, मछलीपालन जैसे आजीविका के विकल्प चुन अपने जीवन में बदलाव ला रही हैं। ऐसे बदलाव आये क्यों न। फूलो झानो आशीर्वाद योजना का उदेश्य ही हड़िया-शराब के निर्माण एवं बिक्री से जुड़ी महिलाओं को सम्मान जनक आजीविका उपलब्ध कराना जो है।