ब्रिटिश काल की किताबों सहित विभिन्न जिलों के गज़ेटियर मिलेयह किताबें पलामू की धरोहर है इन्हें संरक्षित करने की जरूरत है। इन किताबों को ठीक ढंग से संरक्षित कर कैटलॉगिंग करवाएं ताकि पुराने पलामू जिले से सम्बंधित शोधार्थियों एवं जानकारी के इच्छुक लोगों को सहूलियत हो सके। उक्त बातें उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी श्री शशि रंजन ने कही। वे आज तकरीबन 35 वर्षों से बंद पड़ी उपपेक्षित पलामू उपायुक्त के पुराने पुस्तकालय की किताबों की स्थिति का मुआयना कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने ब्रिटिश काल की विभिन्न पुस्तकों सहित कई दूसरे संदर्भ पुस्तकों को देखा। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस वर्चुअल दुनिया मे पढ़ने के संस्कृति का लोप होना एक गंभीर विषय है। डिजिटल प्लेटफार्म के सर्च इंजन मन मस्तिष्क के ज़रूरतों को पूरा करने में अभी भी असक्षम हैं। किताबों के अध्ययन से विचारों को जो विस्तार मिलता है वह वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर सम्भव नही है। कंप्यूटर कभी भी मानव मस्तिष्क का स्थानापन्न नही बन सकता है। यह एक टूल है और टूल हमे ज्ञानार्जन में सहायता कर सकता है। मन की जरूरतें पुस्तकें ही पूरा कर सकती हैं। मौके पर मौजूद जिला जनसंपर्क पदाधिकारी- सह- उप निदेशक पलामू श्री आनंद ने बताया कि वे काफी दिनों से इस लाइब्रेरी की खोज में लगे हुए थे। इसके लिए उन्होंने पुराने समाहरणालय भवन को भी खंगाल लिया था। लोगों से पता चला कि पुराने समाहरणालय भवन में मौजूद लाइब्रेरी की किताबों को जिला परिषद के एक कमरे में शिफ्ट कर दिया गया है। आज उपायुक्त के निर्देशानुसार जिला परिषद में मौजूद उस कमरे को जहां पर किताबें मौजूद थी उसका ताला तोड़ा गया। ताला टूटने पर अंदर सैकड़ों किताबें अलमीरों में बंद पायी गयीं। किताबों में बड़ी संख्या में सन्दर्भ पुस्तकें ब्रिटिश राज में प्रकाशित पुस्तकें सहित विभिन्न जिले के गैजेटियर मौजूद है। साथ ही साथ प्रसाशनिक व्यवस्था, आजादी से पूर्व के सरकारी गज़ट के साथ-साथ पिछले कई सेंसस की किताबें देखने को मिली है। इन सभी किताबों को जल्द ही उपायुक्त के निर्देशानुसार संरक्षित किया जाएगा। इसके लिए सभी किताबों को सन्दर्भ पुस्तकालय के तर्ज पर कैटलॉगिंग की जाएगी जिससे लोगों को इनके अवलोकन में आसानी होगी।