खूंटी – जिला प्रशासन का उद्देश्य है कि खूंटी जिले की महिला किसानों को खेती के साधनों से आत्मनिर्भर जीवन की दिशा मिले। साथ ही महिला सशक्तिकरण का विचार सार्थक सिद्ध हो सके।महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना के अंतर्गत खूँटी जिले के तिलमा, सिलदा व कालामाटी गाँव के 203 किसानों को जे.एस.एल.पी.एस के माध्यम से 500 किलो ब्रूड लाह की कुसुमी प्रजाति उपलब्ध करायी गयी है। लाह उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सिलदा ग्राम अंतर्गत गठित रौशनी महिला उत्पादक समूह की 76 महिला किसान लाह की खेती कर वनोपज को बढ़ावा दे रही हैं। कुसुमी लाह की खेती आम तौर पर बैर के वृक्ष पर की जाती है। लाह की खेती के लिए इस मौसम को उपयुक्त माना गया है, इसकी खेती के लिए ब्रूड लाह के 2 से 3 डंठलों को एक साथ रस्सी से बांध कर बैर वृक्ष के टहनियों पर बाँध दिया जाता है। बांधे गये डंठलों को प्रत्येक 3 दिनों पर उसी वृक्ष के दूसरे स्थानों पर रखा जाता है। यह प्रक्रिया 3 बार दोहरायी जाती है. डंठल डालने के 21 दिनों के पश्चात लाह तैयार हो जाता है, जिसे टहनियों से अलग कर प्रसंस्करण के लिए भेज दिया जाता है। लाह से खूँटी जिले में विशेष तौर पर चूड़ियों का निर्माण किया जाता है, जो आजीविका का एक बेहतरीन स्त्रोत है।इसके साथ ही महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना के अंतर्गत तसर की खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जेएसएलपीएस द्वारा खूंटी जिले के मुरहू व रनिया प्रखण्ड में BSR(बेसिक सीड रेयरिंग) के लिए रनिया प्रखण्ड के ग्रामीण सेवा केंद्र को DFL (डिजीज फ्री लेयिंग्स) उपलब्ध कराया गए हैं।इन कल्याणकारी परियोजनाओं से लाभुकों को जोड़ने का यह प्रयास महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाता है। साथ ही रोजगार सृजन की दिशा में अग्रसर भी करता है।