बड़कागांव – झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान दिन बृहस्पतिवार को बड़कागांव विधायक सह सदस्य प्राक्कलन समिति एवं महिला बाल विकास समिति सुश्री अंबा प्रसाद ने झारखंड राज्य में जन वितरण प्रणाली के द्वारा लाभुकों को मिलने वाली गेहूं चावल एवं अन्य जरूरत के सामानों के संबंध में ग्रामीणों द्वारा मिल रही शिकायतों से संबंधित मामले को विधानसभा के पटल पर रखी। विधायक अंबा प्रसाद ने राज्य के खाद्य सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग झारखंड सरकार के मंत्री रामेश्वर उरांव को प्रश्न करते हुए पूछा कि सरकार द्वारा आवश्यक वस्तुएं चावल, किरासन तेल, गेहूं, चीनी, नमक इत्यादि का आपूर्ति जन वितरण प्रणाली द्वारा किया जाता है इस पर मंत्री जी ने अपना जवाब देते हुए कहा यह बात सही है के जन वितरण प्रणाली द्वारा खाद्यान्न संबंधी वस्तुओं का वितरण लाभुकों के बीच किया जाता है विधायक अंबा प्रसाद ने मंत्री जी को सवाल पूछते हुए कहा की पूरे राज्य में जन वितरण प्रणाली के दुकानों से गेहूं ना मिलने की शिकायत प्राप्त होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह शिकायत और भी ज्यादा है। ग्रामीण क्षेत्रों के अनुसार जन वितरण प्रणाली की दुकानों में सिर्फ और सिर्फ चावल ही मिलती है। बल्कि गेहूं लाभुकों को नहीं मिल पाती है.इस सवाल पर मंत्री रामेश्वर उरांव ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि शहरी क्षेत्र में गेहूं की खपत ज्यादा है। इस वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में गेहूं की उपलब्धता कम हो जा रही है .इस दिशा में उचित सार्थक पहल करते हुए सरकार द्वारा किस स्थान पर कितने गेहूं एवं चावल की खपत है ,उसकी जानकारी एकत्र की जा रही है और तत्पश्चात इस दिशा में महत्वपूर्ण ठोस निर्णय लिए जाएंगे।विधायक अंबा प्रसाद ने मंत्री का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि हमारा क्षेत्र ग्रामीण बहुल क्षेत्र है और ग्रामीणों द्वारा हमेशा जन वितरण प्रणाली के दुकान से गेहूं प्राप्त ना होने की शिकायत प्राप्त होते रहती है। मंत्री रामेश्वर उरांव के जवाब पर प्रतिक्रिया देते हुए विधायक अंबा प्रसाद ने कहा कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों को एक समान नजरों से देखा जाए ग्रामीण क्षेत्र के लाभुकों को भी गेहूं उचित मात्रा में उपलब्ध कराया जाए| इस पर मंत्री रामेश्वर उरांव ने जवाब देते हुए कहा पहले ग्रामीण क्षेत्रों में चावल की ज्यादा एवं शहरी क्षेत्रों गेहूं की खपत ज्यादा होती थी। पूरे राज्य में राशन की कितनी खपत है कितनी जरूरत है उसकी गणना के बाद केंद्र सरकार को अवगत कराकर निश्चित अनुपात में सरकार राशन मुहैया कराएगी।