जिले में जल संरक्षण को लेकर चलाये जा रहे जनशक्ति से जलशक्ति अभियान के साथ एक और अभियान की शुरूआत की गई है, जिसका नाम दिया गया है बनई (नदी) बचाओ अभियान। मुरहू प्रखंड के जलटंडा से लेकर अंतिम छोर पर बसे तुरांग गांव तक बहने वाली 40 किमी लंबी इस नदी को बचाने की मुहिम गुरूवार को माहिल जामटोली और घाघरा गांवों के सीमान पर की गई। जिसका नेतृत्व जिला प्रशासन, सेवा वेलफेयर सोसाईटी और नदी के किनारे बसे गांवों के ग्रामसभाओं के द्वारा किया जा रहा है।मुहिम की शुरुआत उपायुक्त, श्री शशि रंजन द्वारा की गई।इसके पहले दिन जिले के उपायुक्त, अनुमण्डल पदाधिकारी, श्री हेमंत सती, प्रखण्ड विकास पदाधिकारी, श्री प्रदीप भगत, मुरहू के प्रभारी चिकित्सक डा सुजीत मांझी, जगदीश मुंडा, जगन्नाथ मुंडा, सेवा वेलफेयर सोसाईटी के अध्यक्ष समेत जामटोली और घाघरा गांव के डेढ़ सौ ग्रामीण महिला-पुरूष अभियान से जुड़े। संयुक्त रूप से मदईत (श्रमदान) से चंद घंटों में 150 फीट बोरीबांध का निर्माण किया गया। इस मौके पर ग्रामीणों ने कहा कि अब वे नदी की संरक्षण और संवर्द्धन करेंगे। सबने एक स्वर में इस अभियान की प्रसंसा की। मौके पर उपायुक्त द्वारा बताया गया कि जल संरक्षण के महत्व को ग्रामीण समझ रहे हैं। अब गांव के लोग जागरूक हो गए हैं और पारंपरिक तरीके से जल संरक्षण का काम कर रहे हैं, जो सराहनीय है। यहां काफी बड़े क्षेत्र में किसानों के द्वारा तरबूज की खेती की गई है। किसानों की मांग सोलर पंपसेट है, जिसे पूरा करने का प्रयास जिला प्रशासन के द्वारा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन दोनो गांवों के ग्रामीण तीन बोरीबांध का निर्माण बनई नदी पर करेंगे। बनई बचाओ अभियान की प्रसंसा करते हुए उन्होंने कहा कि अब ग्रामीणों में जागरूकता आ गई है। अब नदी का पुर्नउत्तान सहज हो गया है। बोरीबांध एक ऐसा माध्यम से जिससे जल संरक्षण तो होगा ही, ग्रामीणों को नदी से जोड़ा जा सकेगा। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के प्रयास से ही नदी को बचाया जा सकता है।