नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के 13वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में आयुक्त जटा शंकर चौधरी ने बतौर मुख्य अतिथि ऑनलाइन शिरक्त किया। उन्होंने कहा कि मानव सभ्यता के प्रारंभ से अर्जित पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण के साथ-साथ नवीन ज्ञान के संरक्षण, संग्रहण एवं प्रसार में विश्वविद्यालय की महती भूमिका है। वर्ष 2009 में स्थापित इस विश्वविद्यालय ने उत्तरोत्तर प्रगति की है। विश्वविद्यालय के चार अंगीभूत महाविद्यालय वर्चुअल क्लासरूम के साथ जुड़े हैं। कोरोना काल में भी यहां ऑनलाइन क्लास जारी रहे हैं, जिससे विद्यार्थियों को पढ़ाई में सहूलियत हुई है। जीएलए कॉलेज परिसर में 25 एकड़ के क्षेत्र में विश्वविद्यालय का अपना भवन बनकर तैयार है, जहां से सभी प्रशासनिक एवं अकादमिक कार्य केंद्रीकृत रूप से किए जाएंगे। उन्होंने विश्वविद्यालय परिवार, विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं छात्रों के अभिभावकों से आह्वान किया कि सबके प्रयास एवं पारस्परिक सहयोग से विश्वविद्यालय ज्ञान विज्ञान का महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में मिसाल कायम करेगा। पलामू की आर्थिक एवं भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखकर हुआ विश्वविद्यालय का आर्विभाव उन्होंने पलामू प्रमंडल की आर्थिक एवं भौगोलिक स्थिति की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय का आर्विभाव यहां की आर्थिक एवं भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखकर हुआ है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय से अपेक्षा रही है कि शैक्षणिक क्षेत्र में पलामू को अगले पायदान पर लाकर सतत विकास की प्रक्रिया तीव्र एवं बलवती हो। शिक्षा एवं ज्ञान की सार्थकता तभी है- जब समाज को इससे नई दिशा, नई ऊर्जा मिले, जो प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से समेकित विकास के लिए उत्प्रेरक का कार्य करें।छात्र-छात्राओं के व्यक्तित्व विकास के कार्यक्रमों को मिले और गति विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के अवसर पर आयुक्त ने कामना किया कि राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर पर शिक्षा एवं शिक्षण की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए नए नए पाठ्यक्रम, शैक्षणिक कार्यक्रम एवं सेल्फ फाइनेंस कोर्स प्रारंभ किए गए हैं। सत्र नियमित रहे एवं विद्यार्थियों को बहुमूल्य समय जाया न हो। अकादमिक एवं शिक्षकेतर कर्मियों की कोई कमी नहीं रहे। छात्र-छात्राओं के व्यक्तित्व विकास के कार्यक्रमों को और गति दी जाए। शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे नए परिवर्तनों का ध्यान रखा जाए, ताकि विद्यार्थियों को कभी कोई कमी नहीं रहे।नीलांबर-पीतांबर के नाम पर ज्ञान केंद्र का नामकरण गर्व की बात स्थापना दिवस के अवसर पर पलामू के सपूत अमर शहीद नीलांबर-पीतांबर को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए आयुक्त ने कहा कि नीलांबर-पीतांबर के नाम पर इस ज्ञान केंद्र का नामकरण किया जाना गर्व की बात है। इन दोनों पराक्रमी भाइयों के नेतृत्व में हुए विद्रोह में अंग्रेजों को मुंह की खानी पड़ी थी। बाद में छल- कपट का रास्ता अख्तियार कर अंग्रेजों ने इन्हें बंदी बनाया और फांसी दे दी। एकेडमिक एक्सीलेंस के क्षेत्र में नया मुकाम हासिल करेगा विश्वविद्यालय आयुक्त ने कहा कि विश्वविद्यालय में 2017 से ही स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम एवं 2018 से स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लागू है, जो नई शिक्षा नीति का महत्वपूर्ण अवयव है। परीक्षा की प्रणाली को पूरी तरह से कंप्यूटराइज किया गया है। हाल ही में विश्वविद्यालय की दो अंगीभूत इकाई जीएलए कॉलेज एवं जीएस कॉलेज को नैस का मान्यता प्राप्त हुआ है, जो स्वागत योग्य है। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि निकट भविष्य में ही विश्वविद्यालय को भी नैस की मान्यता प्राप्त होगी एवं एकेडमिक एक्सीलेंस के क्षेत्र में विश्वविद्यालय नए मुकाम हासिल करेगा।नियमित तकनीकी एवं व्यवसायिक पाठ्यक्रमों के साथ अतिरिक्त गतिविधि को भी प्रमुखता उन्होंने कहा कि नियमित स्नातकोत्तर एवं स्नातक पाठ्यक्रमों के अलावा यहां एमबीए, बीबीए, एमसीए, मास कम्युनिकेशन जैसे व्यवसायिक पाठ्यक्रम संचालित हैं। साथ ही एमबीबीएस एवं नर्सिंग के तीन कॉलेज भी संचालित हैं। विश्वविद्यालय के अधीन 12 कॉलेजों में बीएड की पढ़ाई हो रही है। नियमित तकनीकी एवं व्यवसायिक पाठ्यक्रमों के साथ अतिरिक्त गतिविधि को भी प्रमुखता दी गई है। एनसीसी एवं एनएसएस के माध्यम से भी विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास पर बल दिया जा रहा है।स्थापना दिवस कार्यक्रम में कुलपति प्रो. डॉ. राम लखन सिंह, प्रति कुलपति प्रो. डॉ. दीप नारायण यादव ने संबोधित किया। मौके पर सेवानिवृत्त शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मियों को सम्मानित किया गया। कुलसचिव डॉ. राकेश कुमार ने सभी का स्वागत किया। मौके पर अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. अंबालिका प्रसाद सहित विश्वविद्यालय के अधिकारी, प्रोफेसर एवं कर्मचारी उपस्थित थे।