कोरोना के तीसरी लहर के संक्रमण की गति कम होने के कारण दो वर्षों के लम्बे अंतराल के बाद पुनः विद्यालयों को खोला गया है परन्तु विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति बहुत की कम है जो चिंतनीय विषय है।जिला प्रशासन की पहल से विद्यालयों में पुनः बच्चों की पहुँच एवं उपस्थिति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से ‘‘देलाबु इसकुल तेबुआ’’(आओ स्कूल चलें)कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ माननीय केंद्रीय मंत्री, जनजातीय मामले, भारत सरकार, श्री अर्जुन मुंडा द्वारा किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। कस्तूरबा गांधी विद्यालय, कालामाटी की बच्चियों के द्वारा स्वागत गान की प्रस्तुति की गई। ■ *माननीय केंद्रीय मंत्री ने उपायुक्त व जिला प्रशासन की सराहना की*================■ *अभियान की सफलता से खूंटी जिला राष्ट्र के लिए बनेगा सफल उदाहरण।*================■ *शिक्षा व्यवस्था में होगा नया आयाम स्थापित– माननीय केंद्रीय मंत्री*================ कार्यक्रम के दौरान माननीय केंद्रीय मंत्री द्वारा बताया गया कि जिला प्रशासन की यह पहल सराहनीय है। उन्होंने कहा कि सुविधाओं के अभाव में भी बिना किसी भय के हम सफल हो सकते हैं। संघर्ष सबके जीवन में है उन्हीं संघर्षों के बीच से अपनी राह बनानी है। उन्होंने कहा कि संघर्ष से निश्चित ही सफलता मिलेगी। शिक्षा एक निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है। इसके लिए मेहनत और लगन के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रतिस्पर्धा के वातावरण में उचित रूप से स्वयं को ढालने का प्रयास करें। इस अभियान को चुनौती की भांति दृढ़ संकल्प के साथ पूर्ण करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन के इस सराहनीय प्रयास को न केवल राज्य के लिए बल्कि पूरे देश के लिए सफल उदाहरण बनाया जाएगा। बच्चें हमारा भविष्य हैं और इस भविष्य को हमें सशक्त बनाने की आवश्यकता है। देश के निर्माताओं को इस प्रकार के अभियान से जोड़कर हमें सफलता मिलेगी। उन्होंने कहा कि मजबूत इच्छाशक्ति हर मुकाम तक पहुंचा जा सकता है। छात्र-छात्राओं को प्रेरित किया कि अपने जीवन का लक्ष्य तय करें और उसे पूर्ण करने हेतु सभी सम्भव प्रयास करें। उन्होंने कहा कि अमृत मोहोत्सव के तहत पूरे देश में कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। यह हमारा निश्चय है, हम सच्चे भाव से दिन प्रतिदिन भारत को शक्तिशाली बनाने का प्रयास करेंगे। हम भारत के उज्ज्वल भविष्य की कल्पना करते हैं।■ *कोई भी बच्चा अपने शिक्षा के अधिकार से वंचित ना रहे– उपायुक्त*==================■ *विद्यालयों की आधारभूत संरचना को विकसित कर सकारात्मक वातावरण का निर्माण भी सम्भव हो सकेगा– उपायुक्त*===================■ *पंचायत स्तरीय कैम्प में वृहद जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा– उपायुक्त*====================■ *बच्चों के कौशल विकास के साथ-साथ उन्हें कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जाएगा– उपायुक्त*===================== जिले के ड्राप आउट बच्चों को विद्यालय से जोड़ने एवं उन्हें बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से देलाबु इसकूल तेबुआ’’ (आओ स्कूल चलें) चलाया जा रहा है। इसमें बच्चों व उनके परिवारों को शिक्षा की महत्ता से अवगत कराते हुए उन्हें विद्यालय से जोड़ा जाएगा। इस अभियान का उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा अपने शिक्षा के अधिकार से वंचित ना रहे। बच्चें देश के भविष्य के निर्माता है, आवश्यक है कि उनके भविष्य को बेहतर बनाया जाय। ऐसे बच्चों को भी लक्षित किया जाएगा जिन्होंने कोरोना काल के बाद विद्यालय नहीं आ रहे। उन्हें जागरूक व प्रेरित किया जाएगा। ताकि यह मुहिम पूरे जिले में सफल हो सके। छात्र-छात्राओं के बहुआयामी विकास व शिक्षण व्यवस्था को सुदृढ़ करने हेतु प्रयास किये जा रहे हैं। उन्हें छात्रवृत्ति योजनाओं से जोड़ा जाएगा। साथ ही सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी एवं इसका लाभ सहज रूप से मिल सकेगा। उपायुक्त ने कहा कि बच्चों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाएगा। साथ ही तेजस्विनी की बच्चियों के लिए भी विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि कौशल विकास भी सुनिश्चित हो सके। विद्यालयों के छात्र-छात्राओं के अकादमिक सफलता के साथ-साथ इनका विकास सुनिश्चित कर इन्हें उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर करना उद्देश्य है। इसके लिए जिले को 44 जोन में निर्धारण कर पर्यवेक्षकों की प्रतिनियुक्ति की गई है। साथ ही वरीय प्रभार में प्रखण्ड के वरीय पदाधिकारी रहेंगे। इसके अतिरिक्त पंचायत स्तरीय कैम्प में वृहद जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। साथ ही उन्हें पोषण वाटिका व इसके महत्वों से भी अवगत कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह अभियान न केवल शिक्षण व्यवस्था को सुदृढ़ करने का माध्यम बनेगा बल्कि इससे विद्यालयों की आधारभूत संरचना को विकसित कर सकारात्मक वातावरण का निर्माण भी सम्भव हो सकेगा। स्कूल बैंक के माध्यम से इक्छुक लोग भी कर सकते हैं सहयोग इस अभियान में आमजन भी अपना अहम योगदान दे सकते हैं। इसके लिए स्कूल बैंक खोला जाएगा जिसमें जिले के अधिकारियों/कर्मियों सहित इक्छुक लोग डोनेशन के रूप में सहयोग कर सकते हैं। आगे उपायुक्त ने कहा कि हमारे बच्चें अपनी धरोहर, शहीदों व शहीद स्थलों की जानकारी से भी वंचित हैं। उनके अकादमिक शिक्षा के साथ-साथ उन्हें इन जानकारियों से भी अवगत कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं के विकास से क्षेत्र का समग्र विकास सुनिश्चित होगा। ● 6-18 आयुवर्ग के विद्यालय नहीं आने वाले शत-प्रतिषत बच्चों को पुनः विद्यालय में उपस्थिति एवं ठहराव हेतु विद्यालय प्रबंधन समिति एवं पंचायत प्रतिनिधि की भागीदारी/जवाबदेही सुनिश्चित करना। ● विगत दो वर्षों से कोरोना महामारी के कारण 06 से 18 आयुवर्ग के अनामांकित/छिजित/कोरोना महामारी के कारण जिन बच्चों के माता-पिता की मृत्यु हो गई है, वैसे बच्चे ‘‘देलाबु इसकुल तेबुआ’’(आओ स्कूल चलें) मुख्य लक्ष्य समूह होंगे। जन प्रतिनिधि एवं पंचायत प्रतिनिधि विशेष रूप से मुखिया, सभी विभागों के जिला स्तरीय पदाधिकारी, प्रखण्ड विकास पदाधिकारी, क्षेत्र शिक्षा पदाधिकारी एवं प्रखण्ड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी, बी.आर.पी./सी.आर.पी., गैर सरकारी संस्थानों के प्रतिनिधि की महत्वपूर्ण भूमिका है। ● उन्होंने बताया कि प्रखंड स्तर पर दिनांक 24/02/2022 को प्रखण्ड विकास पदाधिकारी की अध्यक्षता प्रखण्ड स्तरीय बैठक का आयोजन किया जाएगा, जिसमें जन प्रतिनिधि, प्रखण्ड स्तरीय सभी विभागों के प्रखण्ड स्तरीय पदाधिकारी, प्रखण्ड षिक्षा प्रसार पदाधिकारी, मुखिया, विद्यालय प्रबंधन समिति/विद्यालय प्रबंधन एवं विकास समिति के अध्यक्ष, बी.आर.पी. एवं सी.आर.पी., कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय की वार्डन शामिल होंगे। प्रखण्ड के सबसे दुर्गम एवं सुदूर क्षेत्र एवं अधिकक्तवच व्नजवाले चिन्हित विद्यालय में अभियान के क्रियान्वयन, सघन अनुश्रवण एवं आपेक्षित सहयोग की रणनीति एवं ससमय प्रतिवेदन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी तय की जाएगी। इसके अतिरिक्त दिनांक 25/02/2022 को अध्यक्ष, विद्यालय प्रबंध समितिकी अध्यक्षता में जन प्रतिनिधि, ग्राम सभा सदस्य, विद्यालय प्रबंधन समिति के सभी सदस्य, सभी अभिभावक/माता समिति, स्वयं सहायता समूह, संबंधित सी.आर.पी., गैर सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधि की बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें अभियान के सम्पूर्ण कार्यक्रम की जानकारी दी जाएगी। ● विद्यालय स्तर पर कार्यक्रम के क्रियान्वयन पर सभी भागीदार यथा- अध्यक्ष, सभी सदस्य विद्यालय प्रबंधन समिति, ग्राम सभा सदस्य, सभी अभिभावक समिति के साथ बैठक एवं चर्चा। ● विद्यालय के पोषक क्षेत्र में जागरूकता हेतु टोलों, मोहल्लों में विद्यालय प्रबंधन समिति के सभी सदस्य, सभी अभिभावक, स्वयं सहायता समूह, छात्र-छात्राओं द्वारा विद्यालय में प्रभातफेरी का आयोजन किया जाएगा। ● विद्यालय के पोषक क्षेत्र का सघन भ्रमण कर 6 से 18 आयु वर्ग के कोरोना महामारी के कारण विद्यालय से बाहर रहने वाले और अनामांकित/ड्रॉपआउट बच्चों को चिन्हित करना। ● विद्यालय का रंगरोगन के पश्चात विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्यों द्वारा जागरूकता कार्यक्रम। ● जिन बच्चों का आधार कार्ड नहीं बना है उनका आधार निर्माण केंद्र संबंधी प्रखंड संसाधन केंद्र में जाकर आधार बनवाना। ● जिन बच्चों का बैंक खाता नहीं खुला है उनका बैंक/ डाकघर के माध्यम से आवेदन समर्पित कर बैंक खाता खुलवाना। ● विद्यालय विकास अनुदान की राशि से विद्यालय का रंग रोगन। ● विद्यालय अपने परिसर में पोषण बगीचा बनाने हेतु स्थल का चयन करते हुए इसकी सूचना विद्यालय से बाहर रहने वाले अनामांकित/ड्रॉपआउट बच्चों को अपने विद्यालय में लाना/ नामांकन सुनिश्चित करना। ● प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय यह सुनिश्चित करेंगे कि पांचवी कक्षा उत्तीर्ण सभी बच्चों का उच्च प्राथमिक कक्षा में नामांकन हो। संबंधित संकुल/प्रखंड साधन सेवी इस कार्य में समन्वय करेंगे। ● प्रत्येक मध्य विद्यालय यह सुनिश्चित करेंगे कि आठवीं कक्षा में उत्तीर्ण सभी बच्चों का उच्च विद्यालय में नामांकन हो। प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, क्षेत्र शिक्षा पदाधिकारी इस कार्य में समन्वय करेंगे। ● उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक अपने निकट मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक से संपर्क स्थापित कर आठवीं कक्षा उत्तीर्ण छात्रों का नामांकन सुनिश्चित करेंगे। ● बच्चों के बौद्धिक एवं मानसिक विकास तथा वातावरण निर्माण हेतु विद्यालय स्तर पर निबंध एवं चित्रांकन प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। चयनित बच्चों को पुरस्कृत किया जाएगा। मौके पर जानकारी दी गयी कि भारत सरकार द्वारा विकलांग व्यक्तियों के लिए “स्वावलंबन कार्ड/ यूडीआईडी कार्ड” योजना लाई गई है। इस स्वावलंबन कार्ड के माध्यम से भारत में विकलांग व्यक्ति कई योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं। जानकारी के क्रम में उपायुक्त ने बताया कि भारत सरकार के आदेशानुसार जिले के दिव्यांग जनों का यूनिक आईडी कार्ड बनाया जाना है। उन्होंने कहा कि प्रखंडों में कैंप का आयोजन कर दिव्यांग जनों को चिन्हित करें तथा स्वावलंबन पोर्टल पर उनकी एंट्री सुनिश्चित कराई जाएगी। इसके पश्चात जिला स्तर पर मेडिकल टीम द्वारा इनके डाटा एंट्री को सत्यापित किया जाएगा। तत्पश्चात इनका रिपोर्ट पोस्टल विभाग को भेजा जाएगा। पोस्टल विभाग के द्वारा सभी दिव्यांग जनों का प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। यूनिक विकलांगता आईडी कार्ड के लिए आवश्यक दस्तावेज निम्नलिखित हैं:- 1. आधार कार्ड 2. जाति प्रमाण पत्र, 3. आय प्रमाण पत्र, 4. बैंक खाता विवरण एवं 5. स्थायी निवासी प्रमाण पत्र होना चाहिए। इसके अलावा उपायुक्त ने बताया कि सभी दिव्यांगों को यूनिक विकलांगता आईडी (यूडीआईडी) कार्ड विशिष्ट पहचान दी जाएगी। दिव्यांगों को यूनिक डिसएबिलिटी आईडी (UDID) नंबर मिल जाएगा। इससे दिव्यांगों को प्रमाण पत्र लेकर नहीं घुमना पड़ेगा। एक स्मार्ट कार्ड में ही दिव्यांग से संबंधित सभी जानकारी होगी, यह जानकारी ऑनलाइन रहेगी। इससे दिव्यांग सभी प्रकार की सुविधाएं प्राप्त कर सकेंगे। ■ *प्रबल इच्छाशक्ति और दृढ़ निश्चय से अभियान की सफलता है– पुलिस अधीक्षक*================ कार्यक्रम के दौरान पुलिस अधीक्षक, श्री आशुतोष शेखर द्वारा बताया गया कि यह अभियान निश्चित ही शिक्षा की दशा और दिशा को सफल रूप प्रदान करेगी। मेहनत के बल पर आप किसी भी क्षेत्र में ऊंचाईयों तक पहुंच सकते हैं। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं को जिला प्रशासन द्वारा अपेक्षित सहयोग कर उन्हें उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर करने हेतु हर सम्भव प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस दिशा में पुलिस प्रशासन भी सजग होकर कार्य करेगी। हम सभी के सामूहिक प्रयास से अभियान सफल बनेगा। इसी कड़ी में उप विकास आयुक्त ने अपने सम्बोधन में कहा कि ड्रॉप आउट बच्चों को विद्यालय से जोड़ना एक सार्थक पहल है। उच्च शिक्षा के लिए मार्ग प्रशस्त करना और पढ़ाई में आने वाली आर्थिक कमी को दूर कर उनके निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचाने की जिला प्रशासन की एक सकारात्मक पहल है। हर स्तर पर किये जाने वाले ये प्रयास निश्चित ही सफल होंगे और शिक्षा का स्तर बढ़ेगा। इसी कड़ी में माननीय केंद्रीय मंत्री एवं उपायुक्त द्वारा हरी झंडी दिखाकर जागरूकता रथ को रवाना किया गया। जागरूकता रथ के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में देलाबु इसकुल तेबुआ” (आओ स्कूल चलें) अभियान का वृहद प्रचार-प्रसार किया जाएगा।