पलामू प्रमंडल कम बारिश वाला क्षेत्र है। यहां कृषि जल की कमी है। ऐसी स्थिति में यहां के लिए सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली काफी आवश्यक है। टपक सिंचाई एवं फव्वारा सिंचाई पलामू प्रमंडल के लिए उपयोगी साबित होगा। विशेषकर सब्जियों की खेती कर रहे किसान सिंचाई व्यवस्था में इस विधि को अपनायेंगे, तो उन्हें फायदा भी अधिक होगा। सिंचाई में इस विधि के प्रयोग से 40-60 प्रतिशत पानी की बचत होगी। साथ ही फसल का उपज भी बढ़िया होगा। यह बातें क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र (जेडआरएस), चियांकी के सह निदेशक डॉ0 डीएन सिंह ने कही। वे आज *‘सब्जी फसलों में सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली का उपयोग‘* विषय पर किसानों के लिए आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत के अवसर पर बोल रहे थे। आत्मा लातेहार द्वारा वित्त संपोषित तीन दिवसीय प्रशिक्षण जेडआरएस, चियांकी में चल रहा है।कृषि वैज्ञानिक कुमार शैलेन्द्र मोहन ने पौधों में संतुलित उर्वरक के प्रयोग, विभिन्न पोषक तत्वों के महत्व एवं उर्वरक प्रबंधन के संबंध में किसानों को जानकारी दी।वैज्ञानिक प्रमोद सिंह ने कहा कि टपक सिंचाई तथा फव्वारा सिंचाई प्रणाली सब्जी की खेती एवं फलदार बगिचा वाले खेती के लिए उपयुक्त है। किसान अपने खेतों में इस सिंचाई प्रणाली को लगवायें। इसे लगवाने में सरकार द्वारा 50 से 90 प्रतिशत तक अनुदान की भी सुविधा है। इस प्रणाली से सिंचाई कर किसान खेती के मामले में ज्यादा प्रगति करेंगे। उन्होंने कहा कि जल संकट की स्थिति में टपक सिंचाई की उपयोगिता ज्यादा है। इस सिंचाई प्रणाली से पानी के बचत के साथ-साथ किसानों द्वारा लगाये गये फसलों का उत्पादन में 20-30 प्रतिशत तक की वृद्धि संभव है। वहीं सब्जी एवं फल की गुणवत्ता में सुधार होगी। साथ ही जमीन भी समतल करने की आवश्यकता नहीं होगी।प्रशिक्षण में लातेहार जिले के मनिका प्रखंड के रांकी कला गांव के किसान भाग ले रहे हैं। मौके पर जेडआरएस के सह निदेशक डॉ0 डीएन सिंह, वैज्ञानिक प्रमोद कुमार, कुमार शैलेन्द्र मोहन के अलावा सुरेन्द्र कुमार सिंह, उदय नाथ पाठक, युगेश्वर महतो, श्रवण यादव, मुकेश कुमार, किसान शिवनाथ राम, बसंत कुमार तिवारी, सीताराम महतो, सुजीत कुमार चंद्रवंशी, अजीत कुमार चंद्रवंशी, निखिल कुमार, रामलखन तिवारी, नागेंद्र तिवारी, अशोक तिवारी, अजय तिवारी सहित प्रशिक्षणरत अन्य किसान उपस्थित थे।