नारायण विश्वकर्मा
राजधानी के पॉश इलाके में गैरआदिवासियों ने भुईंहरी-आदिवासी कायमी ही नहीं, गैरमजरुआ आम जमीन भी हथिया ली. बड़गाई अंचल कार्यालय ने इस काम में बखूबी उनका साथ दिया. फर्जी कागजात के आधार पर रसूखदारों को रांची नगर निगम से बिल्डिंग बनाने का परमिशन भी मिल गया है. पहले एक झलक ऊपर की तस्वीर को देखें…आदिवासी जमीन पर लंबे समय से जैन बंधु का कब्जा है. कुछ साल पहले इस जमीन पर अस्थायी रूप से टीन का शेड बनाकर स्कूटी और पार्ट्स का गोदाम बनाया गया है. यह जमीन भुईंहरी जमीन पर आबाद लॉ विस्टा अपार्टमेंट (जैन बंधु) के पीछे की ओर है. अब इसके ठीक नीचे की तस्वीर देखें…यह जांच प्रतिवेदन है, जिसे बड़गाई सीओ ने दक्षिणी छोटानागपुर के आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी के सचिव को भेजा है. कमिश्नर ने सोशल एक्टिविस्ट इंद्रदेव लाल से प्राप्त आवेदन पर बड़गाई सीओ से जवाब मांगा था.
हड़प ली गई 16 डिसमिल सरकारी जमीन
अब जरा लाल घेरे में लिखी लाइन पर गौर फरमाएं…अंचल कार्यालय ने अपने जांच प्रतिवेदन में स्पष्ट किया है कि दाखिल-खारिज वाद सं-1185/2017-18 एवं 1079/2017-18 के ऑनलाइन अभिलेख के अनुसार आवेदक राजकुमार जैन वल्द स्व. हरखचंद जैन, मौजा मोरहाबादी, खाता सं-157, प्लॉट सं-1164, रकबा 16 डिसमिल गैर मजरुआ आम दर्जा जमीन रास्ता होने के कारण अस्वीकृत किया गया है. बड़गाई सीओ ने कमिश्नर ऑफिस को 1 जून को भेजे गए पत्र से यह स्पष्ट अंकित है. इसकी गहराई से छानबीन के बाद उपलब्ध कागजात के अनुसार गैरमजरूआ आम जमीन (16 डिसमिल) के अलावा 15 डिसमिल आदिवासी कायमी जमीन भी हड़प ली गई है. जमीन के चारों ओर चहारदीवारी है. बड़गाई अंचल के सीआई से जब इस संबंध में बात की तो, उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की.
बड़गाई सीआई को कुछ नहीं मालूम
भुईंहरी जमीन पर निर्मित पल्स अस्पताल पर इस वक्त बड़गाई अंचल सुर्खियों में है. पर सीओ मनोज कुमार का मोबाइल (9431827771) इनकमिंग की सुविधा उपलब्ध नहीं है, का राग अलापता है. मैंने जब इस बाबत सीआई से यह जानना चाहा कि कमिश्नर को भेजे गए जांच प्रतिवेदन में 16 डिसमिल जमीन को गैरमजरूआ आम और रास्ता बताया गया है, जबकि वहां न रास्ते का पता है न जमीन का. इसपर उन्होंने कहा कि ये तो हमें पता नहीं है. अगर काम हो रहा है, तो गलत हो रहा है. अंचल कार्यालय ने अबतक कार्रवाई क्यों नहीं की? इसके जवाब में सीआई ने कहा कि देखते हैं. इसके बारे में सीओ या कर्मचारी ही कुछ बता सकते हैं. मैंने कहा, सीओ का कोई और नंबर है? जवाब मिला हमें नहीं मालूम है. सीआई तमाम कार्यवाही से खुद को अलग बता रहा है. फोन पर उन्होंने कहा कि ये सब कर्मचारी से पूछिए…जब मैंने उनका नंबर मांगा तो फोन काट दिया.
एक ही प्लॉट के दो खाते नंबर
बड़गाई अंचल का कारनामा देखिए कि एक ही प्लॉट को दो खाते नंबर में दर्शाया दिया गया है. कमिश्नर को भेजे गए प्रतिवेदन में प्लॉट नं-1164 को खाता सं-157 का बताया गया, पर खाता नं- 80 में भी 1164 प्लॉट का जिक्र है. 18 जून 2019 को 2012 से लेकर 2019-20 तक की रसीद भी निर्गत कर दी गई है. रसीद गोपाल अग्रवाल और श्रीमती किरण पोद्दार के नाम से कटी है. रसीद के खाता सं-80 में 1164 के अलावा प्लॉट नं-1163, 1166, 1169 और 1170, रकबा 5 कट्ठा 10 छटाक दर्शायी गई है. वहीं पंजी-ii में गोपाल अग्रवाल, पिता- स्व.अरुण लाल अग्रवाल और श्रीमती किरण पोद्दार, पति पुरुषोत्तम पोद्दार, खाता सं-80 के प्लॉट नं-1163 में रकबा 5 कट्ठा 10 छटाक का जिक्र है, जबकि 1164, 1166, 1169 और 1170 में रकबा शून्य अंकित है. इसके अलावा बड़गाई अंचल में आवेदक (बायर) संजय जैन, पिता राजकुमार जैन और सेलर सच्चिदानंद लाल, पिता- स्व. मधुसूदन लाल अग्रवाल के नाम से म्यूटेशन के लिए आवेदन किया गया है. इसका केस सं- 2978/2021-2022 है. खाता सं-80 के प्लॉट नं-1162 और 1163, और रकबा 7.85 है. यह आवेदन 11 दिसंबर 2021 से लंबित हैं. जबकि प्लॉट नं-1164 को छोड़कर सभी जमीन के खतियानधारक आदिवासी कायमी परिवार हैं. उनके पास आज भी खतियान है, पर शायद वह सिर्फ कागज का टुकड़ा मात्र है. 35 साल पूर्व ही जैन बंधु ने गलत तरीके से कागजात बनवा कर उनकी जमीन हथिया ली है.
नोट: कल के अंक में पढ़ें… इस आदिवासी जमीन पर कैसे बिल्डिंग डेवलप के लिए रांची नगर निगम के आयुक्त ने परमिशन दे दिया है. इसके अलावा हम आदिवासी खतियानधारक से बातचीत के अंश भी प्रस्तुत करेंगे…!