पोषण अभियान के अंतर्गत पौष्टिक आहार एवं उचित पोषण के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से जिले के विभिन्न प्रखंडों/ ग्राम पंचायतों तथा आंगनबाड़ी केंद्रों में 01 सितम्बर से 30 सितम्बर तक पोषण माह चलाया जा रहा है। इसी आलोक में आज कृषि विज्ञान केंद्र, गिरिडीह में आंगनबाड़ी सेविका को न्यूट्री गार्डेन (पोषण वाटिका) से संबंधित प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान विशेष रूप से पोषण वाटिका के महत्व के संबंध में चर्चा की गई। तथा धात्री/गर्भवती महिलाओं/किशोरियों/बच्चे को पौष्टिक आहार एवं उचित पोषण से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराई गई। साथ ही ग्रामीणों महिलाओं/धात्री माताओं और किशोरियों को पौष्टिक आहार एवं उचित पोषण के प्रति जागरूक करने हेतु प्रशिक्षण दिया गया। पोषण अभियान के तहत 01 सितंबर से 30 सितंबर तक चलने वाले पोषण माह को पूरे गिरिडीह जिले में “हर घर पोषण” का त्यौहार के रूप में मनाया जा रहा है। इस क्रम में कृषि विज्ञान केंद्र गिरिडीह में आंगनबाड़ी सेविकाओं को न्यूट्री गार्डन (पोषण वाटिका) से संबंधित प्रशिक्षण दिया गया।
कार्यक्रम में आंगनबाड़ी सेविकाओं को बताया गया कि वर्तमान समय में पोषण वाटिका से उत्पादित सब्जी का ही सेवन हर व्यक्ति को करना चाहिए। विशेषकर गर्भवती महिला और धात्री महिलाओं को इसे विशेष रूप से खाना चाहिए। जिससे उनका पोषण स्तर सही रह सके तथा वे स्वस्थ और निरोग रह सकेंगे। प्रशिक्षकों ने आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकाओं को बताया कि कैसे वह अपने आस-पास की जमीन का उपयोग कर पोषण वाटिका का निर्माण कर सकती हैं एवं किस मौसम में कौन-कौन सी सब्जी लगा सकती हैं। कार्यक्रम का इसका मुख्य उद्देष्य पोषण स्तर को सुधारना है तथा कार्यक्रम अंतर्गत रसायनिक खाद से उत्पादित सब्जी का प्रयोग नहीं करने की सलाह दी गयी। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक ने प्रशिक्षण ले रहे सभी सेविका को अपने घरों के आसपास किचन गार्डन बनाकर हरी सब्जी का उत्पादन करने की सलाह दी तथा कहा कि जैविक खाद एवं वर्मी कम्पोस्ट का खेत में प्रयोग करें। उन्होंने बताया बगीचों में नीम आधारित दवाओं का प्रयोग तथा छिड़काव जरूर करना चाहिए। कार्यकम में पालक, मूली, मेथी, धनिया, गाजर आदि के बीजों का वितरण आंगनबाडी सेविकाओं के बीच किया गया। आंगनबाड़ी केंद्रों में पर्याप्त भूमि हैं जहां पर वह पोषण वाटिका का निर्माण कर सकती हैं एवं समाज को पोषण के क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए जागरूक भी कर सकती है, साथ ही साथ कार्यक्रम में अन्य ग्रामीण महिलाओं ने प्रशिक्षण लिया जो अपने घरों के आस-पास पोषण वाटिका बना सकती हैं। इसके साथ ही समाज को पोषण के क्षेत्र में जागरूक करने के साथ-साथ अन्य ग्रामीण महिलाओं को अपने घरों के आसपास पोषण वाटिका बनाने हेतु प्रेरित किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में बिरनी, सरिया, तिसरी, बेंगाबाद और जमुआ की कुल 26 आंगनबाड़ी सेविकाओं को प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही सभी के बीच बीज का वितरण किया गया।
*- पोषण अभियान के अंतर्गत व्यापक प्रचार प्रसार के उद्देश्य से गिरिडीह जिले के विभिन्न प्रखंडों में पोस्टर एवं पंपलेट लगाए गए हैं…*
पोषण अभियान के अंतर्गत पौष्टिक आहार एवं उचित पोषण की जानकारी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से गिरिडीह जिले के विभिन्न प्रखंडों में पोस्टर एवं पंपलेट लगाए हैं। ताकि पोषण अभियान से संबंधित जानकारी धात्री माताओं/गर्भवती महिलाओं तथा किशोरियों को उपलब्ध कराया जा सकें। पोषण अभियान का मुख्य उद्देश्य 0-6 माह के बच्चे, धात्री माताओं/गर्भवती महिलाएं/नवजात शिशु/किशोरियों एवं बच्चों में व्याप्त कुपोषण, एनीमिया को दूर कर उनके पोषण स्तर में सुधार करना इसके तहत पोषण अभियान के 5 सूत्रों का पालन सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में किया जा रहा है। गिरिडीह जिले के विभिन्न प्रखंडों में पोस्टर एवं पंपलेट तथा हरी सब्जियों से रंगोली एवं कागज पर चित्रकारी के माध्यम से बच्चों एवं किशोरियों को जागरूक किया जा रहा है। पोषण अभियान के तहत विभिन्न तरह की गतिविधि आयोजित कर नियमित पौष्टिक आहार व उचित पोषण की जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है ताकि कुपोषण को मिटाया जा सके। गिरिडीह जिले के विभिन्न क्षेत्रों में पोषण अभियान से संबंधित पोस्टर/फ्लेक्स लगाए हैं। साथ ही आंगनबाड़ी सेविका घर घर जाकर पोषण अभियान से संबंधित पंपलेट वितरण कर महिलाओं को जागरूक कर रही है।