पटमदा प्रखंड में एक गांव है डांगा जहां के अधिकांश ग्रामीण खेती पर निर्भर हैं, उनमें से एक किरीट महतो एक युवा किसान हैं जिन्होंने खेती-किसानी को जीवकोपार्जन बनाकर दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत का काम किया है। खरीफ के मौसम के दौरान किरीट धान एवं मौसमी सब्जियाँ, तेल, बीज और दलहनी फसल उपजातें है। किरीट के पास लगभग 5 एकड़ खेत है, उन्होंने उच्च शिक्षा हासिल नहीं की है लेकिन उन्हें कृषि कार्य में गहरी अभिरूचि है। शुरुआती चरण में पैसे की कमी और खेती के अपर्याप्त ज्ञान के कारण उन्होंने थोड़ी फसल उगाई, वर्ष 2009 में वह आत्मा में एक किसान मित्र के रूप में चयनित हुए और कृषि कार्य में सघनता से लग गये। जिला कृषि पदाधिकारी श्री मिथिलेश कालिंदी के सहयोग से किरीट खेती की नई तकनीक सीखने के लिए महाराष्ट्र, कानपुर, रांची आदि जगहों में परिभ्रमण कार्यक्रम में गए। आत्मा में शामिल होने और विभिन्न राज्यों में भ्रमण के उपरांत और वैज्ञानिकों से प्रशिक्षण लेने के बाद उन्होंने पूरी दिलचस्पी के साथ नए तरीके से खेती करना शुरु किया। आत्मा के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना अन्तर्गत मूँग एवं हरित क्रांति योजना अन्तर्गत हाईब्रीड धान की खेती इन्होने किया। धान के एकाध फसल से उनके परिवार का सही तरीके से भरण-पोषण नहीं होता देख किरीट मौसमी सब्जियों का खेती करने लगे। वह अपना उत्पाद पास के ही काटीन बाजार एवं जमशेदपुर के मानगो सब्जी हाट आदि में बेचते हैं जिससे उन्हें सलाना लगभग डेढ़ लाख से अधिक का आय प्राप्त होता है। वह हमेशा पटमदा प्रखण्ड एटीक सेंटर में आते रहते है।
किरीट अपने खेती के कामों के अलावा अन्य किसानों से नवीनतम तकनीक एवं खेती के तरीकों के बारे में विचारों का आदान-प्रदान करते हैं साथ ही कृषक मित्र होने के नाते लगातार कृषि विभाग एवं आत्मा के द्वारा संचालित विभिन्न सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार भी किसानों के बीच करते हैं। किरीट कहते हैं कि पूर्वी सिंहभूम जिले में कृषि कार्य को लेकर लोगों को जागरूक किया जाये तो यहां कृषि, रोजगार का बड़ा साधन बन सकता है। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग के साथ मिलकर वे लगातार कृषकों के बीच जाकर खेती किसानी की नई तकनीक से उन्हें अवगत कराते हैं साथ ही आत्मा द्वारा आयोजित होने वाले कृषक गोष्ठी में शामिल होने के लिए प्रेरित करते हैं ताकि खेती किसानी के कार्य को तकनीक की मदद से करते हुए ज्यादा लाभ कमा सकें।