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Monday, December 23, 2024
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रामगढ़ – टीकाकरण के माध्यम से विभिन्न रोगों के उपचार, एएफपी, एईएफआई के संबंध में दिया गया प्रशिक्षण

रामगढ़: सोमवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मांडू में स्वास्थ्य कर्मियों के लिए एकाएक लुंज पुंज लकवा, खसरा, गलघोटू, काली खांसी, नवजात टेटनस सहित टीकाकरण के माध्यम से विभिन्न रोगों के उपचार के संबंध में प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।
प्रशिक्षण के दौरान रामगढ़ जिला अंतर्गत डब्ल्यूएचओ के एस एम ओ डॉक्टर अमोल शिंदे एवं एफएम मिथिलेश कुमार के द्वारा मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों को नवजात बच्चों में विभिन्न तरह के रोगों को पहचानने एवं टीकाकरण के माध्यम से उनके उपचार के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई।
उनके द्वारा एकाएक लुंज पुंज लकवा- पिछले 6 माह के दौरान 15 वर्ष तक का कोई भी बच्चा जिसका कोई भी अंग किसी भी कारण से अचानक लुंज अथवा कमजोर पड़ गया हो, खसरा- यदि किसी व्यक्ति को बुखार के साथ चकत्ते/लाल दाना हो एवं खासी, बहती नाक या लाल आंखें इन में से कोई भी लक्षण हो, गलघोटू- यदि किसी व्यक्ति को बुखार गले में दर्द एवं टॉन्सिल का लाल होना क्या खांसी के साथ आवाज भारी होना एवं टॉन्सिल या उसके आसपास वाइट/ डार्क ग्रे थक्का/झिल्ली होना, काली खांसी- यदि किसी व्यक्ति को कम से कम 2 सप्ताह से खांसी हो एवं इनमें से कोई भी एक लक्षण हो खांसी का लगातार होना/खाँसने के बाद सांस लेने की जोरदार आवाज होना/ खांसने के तुरंत बाद उल्टी होना अन्य स्पष्ट चिकित्सीय कारण अस्थमा, टीवी ना होना, नवजात टिटनेस- जीवन के पहले 2 दिन के दौरान चूसने एवं रोने की सामान्य क्षमता वाला कोई भी नवजात जिसे 3 दिन से 28 दिन की और शरीर का कड़ापन/अकड़ाहट/ चमकी का लक्षण होना आदि के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई।
इसके साथ ही उनके द्वारा सभी स्वास्थ्य कर्मियों को पोलियो बीमारी, पोलियो की प्रजातियों, पोलियो कैसे फैलता है, पोलियो उन्मूलन के उपाय आदि के संबंध में भी जानकारी दी गई।
प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने सभी को बताया कि पोलियो के अलावा भी बच्चों में लकवा के कई अन्य कारण है, जिनके लक्षण पोलियो से मिलते जुलते होते हैं। एएफ़पी निगरानी के द्वारा हम सभी लुंच लकवा ग्रस्त बच्चों को खोज कर उनके मल की जांच करवाते हैं। अगर किसी लुंच लकवा ग्रस्त बच्चे के मल में पोलियो का वायरस मिलता है, तभी बच्चे को पोलियो रोग से पीड़ित माना जाता है। अगर किसी लांच लकवा ग्रस्त बच्चे के मल में पोलियो का वायरस नहीं मिलता है तो बच्चे को लकवा किसी अन्य (पोलियो रोग के अलावा) कारण से हुआ माना जाता है।

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