आज उपायुक्त, श्री शशि रंजन द्वारा मुरहू प्रखण्ड का दौरा किया गया। इस दौरान उन्होंने मुख्य रूप से मुरहू प्रखंड के हेठगोवा पंचायत अंतर्गत गुटीगड़ा गांव के लीजानूरा नाले पर बोरीबांध निर्माण के लिए ग्रामीणों के साथ मिलकर श्रमदान किया।
जल संरक्षण को लेकर जिला प्रशासन और सेवा वेलफेयर सोसाईटी द्वारा संयुक्त रूप से चलाये जा रहे जनशक्ति से जलशक्ति आंदोलन से पानी की समस्या के समाधान के साथ सकारात्मक सामाजिक बदलाव भी प्रदर्शित हो रहा है।
बोरीबांध के बन जाने से ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें खेती करने में सुविधा होगी। बोरीबांध के निर्माण से अब पानी की समस्या नहीं होगी।
गुटीगड़ा गाँव के लीजानूरा नाले पर दो बोरीबांधों का निर्माण किया गया है। इसके अलावा केवड़ा पंचायत के डेहकेला और पंगूरा गांवों में भी एक-एक बोरीबांध का निर्माण आज किया गया है।
उपायुक्त द्वारा ग्रामीणों से चर्चा करने के क्रम में बताया गया कि ग्रामसभा ने इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने ग्रामीणों की सराहना की जिन्होंने सीमेंट की बोरियों में बालू और मिट्टी भरकर बांध बनाने का काम किया। मौके पर उपायुक्त ने कहा कि खूंटी जिले में अधिकतर जनसंख्या खेती पर सीधे रूप से निर्भर है। किसान खेती के लिए जल की समस्याओं के विरुद्ध जल संरक्षण के प्रभावशाली माध्यम को अपनाते हुए अग्रसर हुए हैं। इसी क्रम में उन्होंने बताया कि जहां पानी का उच्च स्तर हैं वहां लिफ्ट इरिगेशन की भी सुविधा की जाएगी, जिससे ग्रामीणों को सीधा लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि कुसुम, लाह आदि के लिए भी यहां पौधरोपण किया जाएगा। इसके साथ ही ग्रामीणों को मनरेगा के तहत मजदूरी भी मिलेगी। उपायुक्त द्वारा बताया गया मत्स्य पालन के लिए भी कार्य किये जायेंगे। ताकि इससे बहुआयामी लक्ष्यों को पूर्ण किया जा सके।
साथ ही उन्होंने बताया कि सेवा वेलफेयर सोसाइटी द्वारा इस दिशा में निरन्तर सहयोग करते हुए ग्रामीणों को प्रोत्साहित करने का कार्य किया गया है। उनके द्वारा ग्रामीणों से लगातार संपर्क स्थापित करते हुए उन्हें एकजुटता के लिए प्रोत्साहित किया गया। आगे उपायुक्त ने कहा कि इससे खेती व जल संरक्षण के साथ-साथ मवेशियों के पीने का पानी के लिए भी सहायक है। इससे गांवों में छाने वाले जल संकट छटी है तथा भूगर्भिय जलस्तर भी उपर आया है।
इन सभी संयुक्त प्रयासों के परिणामस्वरूप खूंटी में बोरीबांध सफलता की उंचाई तक पहुंची है।
उन्होंने कहा कि सामुहिक प्रयासों से बोरीबांध का क्रियान्वयन व्यापक रूप से सम्भव हुआ है।
साथ ही उन्होंने इसी प्रकार के प्रभावशाली माध्यमों से ग्रामीणों को जोड़ने व जल संरक्षण की ओर कदम बढ़ाने की बात कही।
ज्ञात हो कि आज गुटीगड़ा में एक, डेहकेला में दो और पंगूरा गांव में एक बोरीबांध का निर्माण किया गया। इन तीनों स्थानों पर 200 से ज्यादा ग्रामीणों ने श्रमदान किया। बोरीबांध फेज वन में पिछले वर्ष 96 बोरीबांध बनाये गए थे। फेज टू में अब तक कुल 10 बोरीबांधों का निर्माण किया जा चुका है। अड़की के मुरगीडीह में दो, मुरहू के पंगूरा में दो, डेहकेला में दो, गुटीगड़ा में दो, बुरूहातु में दो बोरीबांध बनाये जा चुके हैं। फज टू में बनाये गए बोरीबांधों से 100 एकड़ भूमि सिंचित हो सकती है।