देवघर। उपायुक्त कमलेश्वर प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में दीपावली व छठ पर्व के लेकर विधि-व्यवस्था, सुरक्षा-व्यवस्था व राज्य सरकार के जारी दिशा-निर्देशों के अनुपालन में सहयोग को लेकर प्रेसवार्ता का आयोजन समाहरणालय सभागार में किया गया। इस दौरान उपायुक्त ने मीडिया प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार व जिला प्रशासन द्वारा काली पूजा को लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश पूर्व में जारी किया गया है। इसके अलावे दीपावली को लेकर राज्य सरकार व एनजीटी द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के आलोक में सार्वजनिक स्थलों पर आतिशबाजी या पटाखा फोड़ने पर पूर्ण रूप से रोक लगाया गया है। साथ हीं देवघर जिला अन्तर्गत शहरी क्षेत्रों में वायु गुणवत्त स्तर प्रदूषित श्रेणी में आते हैं। ऐसे में केवल हरित पटाखे (Green Crackers) की बिक्री करने व फोड़ने की अनुमति दी गयी है। साथ हीं दीपावली, गुरू पर्व के दिन पटाखे शाम 8ः00 बजे से रात्रि 10ः00 बजे तक फोड़ने की अनुमति के अलावा छठ, क्रिसमस, नव वर्ष आदि त्यौहारों के समय मात्र दो घंटे तक हीं पटाखे चलाये जा सकेंगे। छठ पर्व में प्रातः 6ः00 से प्रातः 8ः00 एवं क्रिसमस एवं नव वर्ष के दिन मध्य रात्रि 11ः55 से मध्य रात्रि 12ः30 चलाये जा सकेंगे।
इसके अलावे उक्त निर्देशों के उल्लंघन करते हुए पाये जाने पर आईपीसी की धारा-188 एवं वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम 1981 की धारा-37 एवं अन्य संगत अधिनियमों के तहत विधिसम्मत कड़ी कार्रवाई की जायेगी। कोरोनाकाल में हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है कि मास्क या फेसकवर का उपयोग, सामाजिक दूरी का अनुपालन करते हुए स्वच्छता पर विशेष ध्यान देते हुए समय-समय पर हांथों की सफाई सैनेटाईजर या हैंण्डवाॅश करते रहें।
पे्रसवार्ता के दौरान उपायुक्त श्री कमलेश्वर प्रसाद सिंह ने सभी मीडिया प्रतिनिधियोें को दीपावली व छठ की शुभकामनाओं के साथ बधाई दी। साथ हीं लोगों को कोरोनाकाल में त्यौहारों के दौरान जागरूक व सतर्क करने में जिला प्रशासन का सहयोग करने की बात कही। इसके अलावे उन्होंने सभी से अपील करते हुए कहा कि कोरोनाकाल के इस दीपावली में प्रदूषण को कम करने के उद्देेश्य से कम से कम ग्रीन पटाखों का उपयोग करें और मिट्टी के दिये ही जलायें।
*ग्रीन पटाखे क्या हैं….*
प्रेसवार्ता के दौरान उपायुक्त द्वारा जानकारी दी गई कि ग्रीन पटाखे दिखने, जलाने और आवाज में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं, लेकिन इनसे प्रदूषण कम होता है। सामान्य पटाखों की तुलना में इन्हें जलाने पर 40 से 50 फीसदी तक कम हानिकारण गैस उत्पन्न होता है और ये कम हानिकारक होते हैं। ग्रीन पटाखों में इस्तेमाल होने वाले मसाले भी बहुत हद तक सामान्य पटाखों से अलग होते हैं।
*इस दौरान उपरोक्त के अलावे* जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी श्री रवि कुमार, सहायक जनसम्पर्क पदाधिकारी रोहित कुमार विद्यार्थी, विभिन्न मीडिया संस्थानों के प्रतिनिधि एवं संबंधित विभाग के कर्मी आदि उपस्थित थे।