आज सिध्हो कान्हू सभागार में आंगनबाड़ी केंद्रों पर 3 से 6 साल आयु तक के बच्चों को शालापूर्व शिक्षा एवं ई रिसोर्सेस मेटेरियल की अनूठी पहल पर कार्यक्रम आयोजित की गई।
कार्यक्रम में बताया गया कि साहिबगंज ज़िले के तालझारी प्रखण्ड से 100 आंगनबाड़ी केंद्रों को चिन्हित किया गया है जहां 03 से 06 साल के आयु के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से पिरामल फाउंडेशन एवं ज़िला प्रशासन के सहयोग से पाठ्यक्रम बनाया गया है जिसमें बच्चों को प्रखर, मुखर और रचनात्मक बनाने उन्हें भविष्य में अच्छा करने एवं शिक्षति समाज का निर्माण कर ग्रामीण जीवनशैली में सुधार और उन्नति की ओर बढ़ने आदि विषयों को ध्यान में रख कर तैयार किया गया है।
इसी क्रम में आज उप विकास आयुक्त द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों में शुरुआत हो रहे पाठ्क्रम एवं बच्चों को पढ़ाये जाने वाले कहानी की पुस्तक हमें क्या लगता है का विमोचन किया गया।
★उप विकास आयुक्त द्वारा संबोधन….
उप विकास आयुक्त प्रभात कुमार बरदियार ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सेविकाओं से कहा की 3 से 6 साल आयु के बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दें एवं अभिवावकों को बच्चों को और बेहतद शिक्षा देने के साथ नैतिक शिक्षा देने के लिए भी प्रेरित करें।
उन्होंने तालझारी प्रखण्ड की सेविकाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि यह एक अच्छा अवसर है जो बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए आपसे शुरू हो रहा है।
◆शालापूर्व शिक्षा क्या है ??
कार्यक्रम में बताया गया कि कक्षा 01 में जाने के लिए घर छोड़कर विद्यालय में बैठने एवं अंकों का ज्ञान प्राप्त कर पेंसिल पकड़ने की शिक्षा,अपने समान अन्य बच्चों से बात करना एवं अपनी भावनाएं दूसरों से साझा करना ताकि बच्चा प्रखर और प्रगतिशील हो सके की शिक्षा आंगनबाड़ी केंद्रों में देना शालापूर्व शिक्षा है।
◆सहिया दीदियों की भूमिका क्या है ??
कार्यक्रम में महिला प्रशिक्षक ने सहिया दीदी को बताया कि आंगन केंद्र गांव, समुदाय में बच्चों की शिक्षा की ओर पहला कदम है और बच्चों को शिक्षा से जोड़ने की प्रथम कड़ी है जहां बच्चे शुरुवाती ज्ञान प्राप्त करते हैं।
आंगनबाड़ी केंद्रों में 3 से 6 साल के बच्चों का समग्र विकास
कर उन्हें जिज्ञासु बनाने, खोजी बनाने, उन्हें नैतिक ज़िमेदारी के प्रति प्रेरित करने, तथा बच्चों को उनके भविष्य के बारे में उनकी अपनी सोच विकसित करने में मदद करना सहिया एवं सेविका दीदियों की जिम्मेदारी है।
कार्यक्रम में पिरामल फाउंडेशन के प्रशिक्षकों ने सेविकाओं को आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को विभिन्न तरीकों से पढ़ाने,अंको का ज्ञान देने, अक्षर अक्षर जोड़कर शब्द बनाने, कहानियों के माध्यम से नैतिक शिक्षा देने रचनात्मक बनने तथा उन्हें अभिभावक और दोस्त बनकर सीख देने के लिए प्रेरित किया।
इस क्रम में विभिन्न सेविकाओं ने आंगनबाड़ी केंद्रों से जुड़े अपने अपने अनुभव साझा किए ….