आज समाहरणालय सभागार में उपायुक्त, श्री शशि रंजन की अध्यक्षता में वन धन योजना एवं एम.एफ.पी से सम्बंधित बैठक का आयोजन किया गया। इस दौरान वन धन विकास केंद्रों द्वारा किये जा रहे कार्यों के सम्बन्ध में चर्चा की गई।
मौके पर डीपीएम जे.एस. एल.पी.एस द्वारा बताया गया कि खूँटी जिले के सदर प्रखंड के सिलादोन गांव एवं मुरहू प्रखण्ड अंतर्गत पेरका में स्थित वन धन विकास केंद्र (VDVK) के माध्यम से संगठित हुए 300-300 किसान अपनी-अपनी उपज को एकत्रित करते हैं। इन एकत्रित किए गये सामग्रियों की गुणवत्ता के अनुसार छटाई भी की जाती है। छटाई के पश्चात प्रसंस्करण के लिए भेजा जाता है, जहाँ सम्बन्धित सामग्रियों का निर्माण होगा।
इस दौरान उपायुक्त द्वारा लाह के माध्यम से महिलाओं द्वारा चूड़ियों का निर्माण कर उन्हें खुले बाज़ार में बेचने आदि के सम्बंध में विस्तार से चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि लाह की चूड़ियां बेहतर गुणवत्ता एवं आकर्षक रूप से बनाई जाय ताकि उचित बाजार मिल सके। इसके साथ ही उपायुक्त द्वारा बताया गया कि हमारा मुख्य उद्देश्य है कि उत्पादन, प्रसंस्करण एवं पैकेजिंग के चेन को सुदृढ किया जाय। साथ ही जिले में एम.एफ.पी उपलब्धता में इमली, करंज बीज, साल बीज, महुआ बीज, साल के पत्ते, चिरौंजी आदि के सम्बन्ध में चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि उत्पादित वस्तुओं की पलाश ब्रांडिंग की जाय।
इसके साथ हीं प्राथमिक प्रसंस्करण एवं मूल्य वर्धन से सम्बंधित जानकारी उपस्थित वन धन केंद्र के प्रबंधकों को दी गयी। जिससे उनके कार्यकुशलता में वृद्धि होगी और वन धन विकास केंद्रों के माध्यम से उन्हें सीधा लाभ मिल सके। मौके पर उपायुक्त द्वारा बताया गया कि इसके लिए उचित प्रशिक्षण उपलब्ध कराए जाय। उपायुक्त द्वारा निर्देशित किया गया कि सभी प्रखण्डों में वन धन विकास केंद्र खोले जाय। साथ ही प्रोसेसिंग प्लांट खोले जाने के सम्बन्ध में विशेष विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने कहा कि खूंटी व मुरहू प्रखण्ड के सम्बन्धित वन धन विकास केंद्रों के बीच आपसी समन्वय स्थापित किया जाना आवश्यक है। इसके साथ ही उन्होंने निर्देश दिए कि वन विभाग से समन्वय स्थापित कर गाँव-गाँव में बैठकों का आयोजन कर लोगों को इससे सम्बन्धित जानकारियां दी जाय। उन्होंने कहा कि वन धन केंद्रों को बेहतर रूप से विकसित किया जाना चाहिए।
इस दौरान उपायुक्त द्वारा बताया गया कि वन उत्पादन के मूल्यवर्धन के लिए कौशल उन्नयन और क्षमता निर्माण प्रशिक्षण भी प्रदान करना महत्वपूर्ण है। इस योजना के तहत वन धन विकास केंद्र में माइनर फारेस्ट प्रोडक्ट्स एवं क्षेत्र में पायी जाने वाली अनेक प्रकार की जड़ी बूटियों के रख-रखाव की ट्रेनिंग एवं मार्केटिंग से सम्बंधित प्रशिक्षण दिया जाए। जिससे कार्यकुशलता में वृद्धि होगी।