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Monday, December 23, 2024
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साहिबगंज – बाल यौन शोषण के खिलाफ जागरूकता हेतु रथ किया रवाना

बाल संरक्षण इकाई द्वारा वर्ल्ड विज़न के सौजन्य से बाल यौन शोषण रोकने के लिए पाक्सो प्रावधान के प्रचार प्रसार हेतु आज समाहरणालय परिसर से उपायुक्त राम निवास यादव एवं जिला वन पदाधिकारी विकास पालीवाल द्वारा हरि झंडी दिखाकर दो जागरूकता रथ रवाना किया गया।
जागरूकता रथ का मुख्य उद्देश्य आम जनों के बीच बाल यौन शोषण के खिलाफ चुप्पी तोड़ना है। ज्ञात हो कि पॉक्सो प्रावधान के तहत बाल यौन शोषण में लिप्त लोगों पर दंडवत कार्रवाई का प्रावधान है। इसके लिए हर व्यक्ति को आगे आना होगा एवं समाज मे मौजूद ऐसे लोगों को पहचान कर उनके ख़िलाफ़ बोलना होगा।
जागरूकता रथ रवाना करने के क्रम में उपायुक्त राम निवास यादव,वन पदाधिकारी विकास पालीवाल, अपर समाहर्ता अनुज कुमार प्रसाद, जिला आपूर्ति पदाधिकारी मिथिलेश झा, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी अलका हेंब्रम, बाल संरक्षण पदाधिकारी पूनम कुमारी, वर्ल्ड विजन के सदस्य एवं अन्य उपस्थित थे।
क्या है पॉक्सो एक्ट किस धारा के तहत कौन कौन सी सज़ा हो सकती है ?
प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012 यानी लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012. इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है. यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है।
इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है. जिसका कड़ाई से पालन किया जाना भी सुनिश्चित किया गया है।
इस अधिनियम की धारा 4 के तहत वो मामले शामिल किए जाते हैं जिनमें बच्चे के साथ दुष्कर्म या कुकर्म किया गया हो. इसमें सात साल सजा से लेकर उम्रकैद और अर्थदंड भी लगाया जा सकता है।
पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के अधीन वे मामले लाए जाते हैं जिनमें बच्चों को दुष्कर्म या कुकर्म के बाद गम्भीर चोट पहुंचाई गई हो. इसमें दस साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है और साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
इसी प्रकार पॉक्सो अधिनियम की धारा 7 और 8 के तहत वो मामले पंजीकृत किए जाते हैं जिनमें बच्चों के गुप्तांग से छेडछाड़ की जाती है. इसके धारा के आरोपियों पर दोष सिद्ध हो जाने पर पांच से सात साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
पॉक्सो एक्ट की धारा 3 के तहत पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट को भी परिभाषित किया गया है। जिसमें बच्चे के शरीर के साथ किसी भी तरह की हरकत करने वाले शख्स को कड़ी सजा का प्रावधान है।
18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार इस कानून के दायरे में आ जाता है। यह कानून लड़के और लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है. इस कानून के तहत पंजीकृत होने वाले मामलों की सुनवाई विशेष अदालत में होती है।

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