रांची – राजधानी के पर्यटक स्थलों में आने वाले पर्यटकों को किसी भी तरह की अनहोनी से बचाने के लिए पर्यटक मित्रों की भूमिका काफी अहम होती है. अपनी जान जोखिम में डालकर वे पर्यटकों को बचाते हैं. लेकिन आज यहीं पर्यटक मित्रों के आगे भुखमरी की नौबत आ चुकी है.
दरअसल, इन पर्यटक मित्रों को पिछले आठ माह से मानदेय नहीं मिला है. बकाया मानदेय अक्टूबर से फरवरी 2019 और सितंबर से दिसंबर 2020 तक का है.
बता दें कि 2009 से ही पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय स्तर पर पर्यटन मित्रों की नियुक्ति हुई थी. तब से पर्यटन स्थानों पर वाहन पड़ाव और पर्यटकों के लिए जो शुल्क लगता है, उसे रसीद के साथ वसूल कर यहीं पर्यटन मित्र पर्यटन विभाग में जमा करते हैं. फिर विभाग उनको मानदेय के रूप में सात हजार रुपये प्रतिमाह देता है.
झारखंड के जितने भी पर्यटक मित्र हैं, वे पर्यटन स्थलों को साफ-सुथरा करने से लेकर पर्यटकों की सुरक्षा का काम करते हैं. नये साल में जब हजारों पर्यटक इन स्थलों पर पिकनिक मानने जा रहे है, तब भी वे भुखमरी की हालत में पर्यटकों को सुरक्षा व पर्यटन स्थलों की साफ-सफाई का जिम्मा संभाले हुई हैं.
ये पर्यटन मित्र सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक जमे रहते हैं. वे देखते हैं कि पर्यटन स्थानों पर किसी पर्यटक के साथ कोई परेशानी न हो. किसी को कोई मेडिकल इमरजेंसी की जरूरत पड़ी या कोई मनचला पर्यटकों के साथ कोई छेड़खानी ना करें, इसका भी ध्यान रखते हैं.