सरकार ने 15वें वित्त आयोग की अनुदान राशि से नये सिरे से पंचायती राज कर्मियों को संविदा पर रखने कै फैसला किया है. मुख्य सचिव की अध्यक्षता में ग्रामीण विकास विभाग की हाई लेवल मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया है. पंचायतों में व ग्रामीण निवासियों को सेवाएं प्रदान करने के लिए वार्षिक रख-रखाव अनुबंध, सेवा अनुबंध करने पर हाई लेवल मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक की कार्यवाही पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपना अनुमोदन दे दिया है. हालांकि इसमें इस बात का जिक्र नहीं किया गया है कि 14वें वित्त पंचायती राज कर्मियों की सेवा विस्तार किया जायेगा या नहीं. मालूम हो कि करीब 1600 संविदाकर्मी आंदोलनरत हैं और अपनी सेवा विस्तार की मांग कर रहे हैं. शुक्रवार को बिरसा चैक के पास इन कर्मियों के धरना-प्रदर्शन पर पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया है.बैठक में निर्णय लिया गया कि वार्षिक रख-रखाव अनुबंध, सेवा अनुबंध के लिए कर्मियों का भुगतान संबंधित पंचायत 15वें वित्त आयोग की राशि से कर सकेगी. लेखा लिपिक-सह-कंप्यूटर ऑपरेटर तथा कनीय अभियंता की शैक्षणिक योग्यता, अहर्ता, राशि भुगतान की प्रक्रिया तथा अन्य शर्तें ग्रामीण विकास विभाग (पंचायती राज) द्वारा अलग से निर्धारित की जायेंगी.*पुराने पद व मानदेय पर ही होगी संविदा*इस बार होनेवाली संविदा पर नियुक्ति पुराने 14वें वित्त आयोग के तहत रखे गये संविदा कर्मियों के पदों की संख्या और मानदेय पर ही होगी. हाई लेवल मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक में आवश्यकता एवं अन्य पहलुओं पर विचार करते हुए पंचायतों के तकनीकी कार्यों के संपादन के लिए प्रति प्रखंड 2 कनीय अभियंता और प्रति 05-06 पंचायत में 01 लेखा लिपिक-सह-कंप्यूटर ऑपरेटर वार्षिक रख-रखाव अनुबंध पर रखने का प्रस्ताव है. सेवा अनुबंध संबंधित ग्राम पंचायत स्तर से ही किया जा सकेगा. लेखा लिपिक-सह-कंप्यूटर ऑपरेटरों को मासिक मानदेय दस हजार रुपए एवं कनीय अभियंताओं को मासिक मानदेय 17 हजार रुपये देय होगा।।