नई दिल्ली – उच्चतम न्यायालय ने भारतीय नौसेना से रिटायर हो चुके विमानवाहक पोत आईएनएस विराट को तोड़ने पर बुधवार को रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने खरीदने वाले को नोटिस भी जारी किया है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया है कि एक ग्रुप भविष्य के लिए इसे संरक्षित करना चाहता है और खरीदार को 100 करोड़ रुपये की पेशकश की गई है. खरीदार ने इसे कबाड़ बनाने के लिए खरीदा है। गुजरात के भावनगर के श्रीराम ग्रुप ने आईएनएस विराट को खरीदा था और उसे कबाड़ के तौर पर तोड़ा जा रहा है। इसके बाद एनविटेक मरीन कंसल्टेंट्स लिमिटेड नाम की कंपनी ने 100 करोड़ रुपये का भुगतान कर आईएनएस विराट को बतौर संग्रहालय संरक्षित करने की मांग की थी। करीब 30 साल भारतीय नौसेना की शान रहे आइएनएस विराट को छह मार्च, 2017 को भारतीय नेवी की सेवा से मुक्त कर दिया गया था। ये जहाज भारत से पहले ब्रिटेन की रॉयल नेवी में एचएमएस हर्मिस के रूप में 25 साल तक अपनी सेवाएं दे चुका था। इसके बाद 1987 में आईएनएस विराट को इंडियन नेवी में शामिल किआ गया था।याचिकाकर्ता ने कहा कि इसे तोड़ने से अच्छा है कि उसे म्यूजियम में तब्दील कर दिया जाए. विमान वाहक पोत विराट को 1987 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। वर्ष 2017 में इसे नौसेना से हटा दिया गया था, जिसे बाद में एक ग्रुप ने इसी साल नीलामी में 38.54 करोड़ रुपये में खरीद लिया था। भारतीय समुद्री विरासत के प्रतीक इस युद्धपोत को गुजरात के अलंग जहाज तोड़ने वाले यार्ड में पहुंचाया गया था।*समुद्री ऑपरेशनों में निभाई अहम भूमिका* करीब 226 मीटर लंबे और 49 मीटर चौड़े आईएनएस विराट ने भारतीय नौसेना में शामिल होने के बाद जुलाई 1989 में ऑपरेशन जूपिटर में श्रीलंका में शांति स्थापना के ऑपरेशन में हिस्सा लिया। साल 2001 में भारतीय संसद पर हमले के बाद ऑपरेशन पराक्रम में भी विराट की भूमिका थी। समुद्र के इस महायोद्धा ने दुनिया के 27 चक्कर लगाए। जिसमें इसने 1 करोड़ 94 हजार 215 किलोमीटर का सफर किया। शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस बाबत रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखा था। रक्षा मंत्रालय से इसके लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र मांगी गई थी। चतुर्वेदी ने कहा कि महाराष्ट्र को इस ऐतिहासिक युद्धपोत के पुनरोद्धार और संरक्षण करने में खुशी होगी। उन्होंने कहा, यह बेहद दुख और चिंता की बात है कि गुजरात के अलंग में आईएनएस विराट को कबाड़ में तब्दील करने का कार्य शुरू किया जा चुका है।*चलते फिरते छोटे शहर जैसा था* ये जहाज अपने आप में एक छोटे शहर जैसा था। इस पर लाइब्रेरी, जिम, टीवी और वीडियो स्टूडियो, अस्पताल, दांतों के इलाज का सेंटर और मीठे पानी का डिस्टिलेशन प्लांट जैसी सुविधाएं थीं। जितना गौरवशाली ये जहाज़ था उतनी ही गौरवशाली इसकी विदाई भी थी. रिटायर किए जाने से पहले 23 जुलाई 2016 को विराट ने अपनी आखिरी यात्रा मुंबई से कोच्चि के बीच की थी। अपने पूरे कार्यकाल में यह 2250 दिनों तक समुद्र की लहरों से खेलता रहा था।