रांची – झारखंड में मुखिया का चुनाव दोबारा लड़ना उतना भी आसान नहीं रह गया है. ग्रामीण विकास विभाग की तरफ से निदेशक सह संयुक्त सचिव (पंचायती राज) आदित्य रंजन ने एक अधिसूचना जारी की है. अधिसूचना में जो बातें हैं, उससे मुखियाओं का दोबारा चुनाव लड़ना मुश्किल का सबब बन सकता है. दरअसल मुखिया को अब अपने कार्यकाल में संपन्न योजनाओं से निर्मित इंफ्रास्ट्रक्चर और अपने फंड से खरीदी गयी सभी सामग्री की सूची बनानी है. इस काम में उन्हें पंचायत सचिव मदद करेंगे. इस लिस्ट को वह अपने ब्लॉक के बीडीओ को सौंपेंगे. यह सारा हिसाब-किताब क्लीयर करने के बाद ही उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति मिलेगी।*बीडीओ की हरी झंडी के बाद ही लड़ सकते हैं चुनाव*मुखिया जो लिस्ट तैयार कर बीडीओ को सौंपेंगे, उस योजना या सामग्री का फिजिकल वेरिफिकेशन बीडीओ खुद करेंगे. जब बीडीओ सभी बातों से संतुष्ट हो जाएंगे, तो उस लिस्ट को जिला पांचयती राज पदाधिकारी को फॉरवर्ड करेंगे. पंचायती राज पदाधिकारी फिर से लिस्ट में दी गयी 10 फीसदी चीजों का फिजिकल वेरिफिकेशन करेंगे. इसके बाद लिस्ट को विभाग को भेज दिया जायेगा. इस पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन करने की दिशा में भी विभाग काम कर रहा है. जल्द ही विभाग की तरफ से एक ऐप तैयार कर प्ले स्टोर या दूसरे प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराया जाएगा. मुखिया इसे डाउनलोड कर प्रक्रिया को पूरा करेंगे।*लिस्ट के बगैर नहीं लड़ सकेंगे मुखिया चुनाव*अगर कोई मुखिया यह समझ रहा है कि वो लिस्ट बीडीओ को नहीं सौंपेंगे और दोबारा चुनाव लड़ सकेंगे. तो वो गलतफहमी में हैं. दरअसल दोबारा चुनाव लड़ते वक्त जो शपथ पत्र मुखिया पद के कैंडिडेट की तरफ से निर्वाचन कार्यालय को सौंपा जायेगा, उसमें इस लिस्ट को जोड़ना अब विभाग की तरफ से अनिवार्य कर दिया गया है. अधिसूचना में इस बात का साफ तरह से उल्लेख है कि आगामी चुनाव के लिए इस लिस्ट को अनिवार्य कर दिया गया है. ऐसा नहीं करने पर शपथ पत्र को अपूर्ण या अधूरा समझा जायेगा. साथ ही संबंधित पदाधिकारी की तरफ से मुखिया के खिलाफ कार्रवाई भी की जायेगी।।