आज विश्व जल दिवस के अवसर पर जिला अंतर्गत जल संरक्षण की दिशा में आमजनों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से जिले के 86 पंचायतों में मनरेगा के तहत 100’×100’×10′ तालाब निर्माण हेतु अधिकारियों व आमजनों द्वारा संयुक्त रूप से श्रमदान किया गया। इसमें उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक द्वारा लिमड़ा एवं लरता पंचायत में श्रमदान किया गया। श्रमदान कर उपायुक्त द्वारा ग्रामीणों को सामूहिक भागीदारी से जल संरक्षण की दिशा में करने हेतु प्रेरित किया गया।इसके साथ ही सभी प्रखण्ड के वरीय पदाधिकारी द्वारा अपने सम्बन्धित प्रखण्ड के पंचायतों में श्रमदान किया गया। इसमें क्षेत्र के ग्रामीणों ने बढ़-चढ़ कर अपनी हिस्सेदारी निभाई है। वहीं बोरीबांध के निर्माण से जल संचयन के प्रति उत्साह बनता नजर आया है। जिला प्रशासन, सेवा वेलफेयर सोसाईटी एवं क्षेत्र के ग्रामसभाओं के द्वारा संयुक्त प्रयास से एक ही दिन में जिले के अलग-अलग गांवों में 800 से ज्यादा ग्रामीणों ने श्रमदान कर 26 बोरीबांध बनाने का काम किया है। जल संरक्षण की दिशा में इसे एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। जल दिवस के अवसर पर मुख्य कार्यक्रम कर्रा प्रखंड के लिमड़ा गांव में आयोजित की गई। इस पंचायत में जल महापर्व मनाया गया। लिमड़ा गांव में लगभग 400 ग्रामीण महिला-पुरूषों ने श्रमदान कर 10 बोरीबांध बनाया। *जल महापर्व के अवसर पर आयोजित सामारोह में उपायुक्त द्वारा ग्रामीणों को अपने सम्बोधन में बताया गया कि हमारी सबसे बड़ी चुनौती जल संरक्षण की है।*उपायुक्त ने कहा कि पानी के प्रति हमें अपने व्यवहार परिवर्तन की जरूरत है। गांव में हमें पानी का बजट बनाना होगा। हमें पीने और सिंचाई के लिए और भूगर्भिय जलस्तर को बेहतर बनाने के लिए कितने पानी की आवश्यकता होगी। इसपर विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि खूंटी में बारिश कम नहीं होती है, लेकिन पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण पानी बहकर निकल जाता है। हमें बहते पानी की गति को कम कर उसे गांव के नालों में सिरियल बोरीबांध बनाकर रोकना है। ऐसा करके हम जल संकट की समस्या से उबर सकते हैं। आगे उन्होंने लिमड़ा गांव के लोगों के द्वारा सामुहिक रूप से श्रमदान कर बोरीबांध बनाये जाने पर उन्हें बधाई दी। उन्होंने बोरीबांध के साथ गांव में मनरेगा के तहत टीसीबी, पौधारोपण और तालाब बनाने पर भी बल दिया। साथ ही उन्होंने लोगों को सचेत करते हुए कहा कि अगर जल संरक्षण को लेकर हम चिंता नहीं करते हैं, तो आने वाले दिनों में हमें भीषण जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। मौके पर पुलिस अधीक्षक द्वारा जल संचयन की दिशा में किए जा रहे कार्यों की सराहनीय की गई। उन्होंने कहा कि लिमड़ा गांव में जिस तरह से गांव के नाले को सिरियल बोरीबांध बनाकर जिंदा करने का प्रयास किया गया है, वह अपने आप में गांव की एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि हमें जल और हवा के संरक्षण को लेकर जागरूक होना होगा। उन्होंने कहा कि समाज और देश में बदलाव के लिए लिमड़ा पंचायत के लोगों की तरह ही सामुदायिक रूप से काम करने की जरूरत है। आगे उन्होंने कहा कि गांव के लोग स्थानीय संसाधनों का इस्तेमाल कर आगे बढ़ें, प्रशासन हर सम्भव मदद को तत्पर है। *जल दिवस पर उत्सवी माहौल में बना बोरीबांध*================जिलावासियों ने जल संरक्षण को लेकर गांवों में बोरीबांध बनाया। खूंटी के अलग-अलग गांवों में कुल 26 बोरीबांध का निर्माण किया गया। जिसमें 800 ग्रामीण महिला-पुरूषों ने और 50 पुलिसकर्मियों ने श्रमदान किया। लिमड़ा, सुरूंदा, सरजोमा, गजगांव, कोलोम्दा, पुलिस लाईन के पास, चीरूहातु और पेलौल में बोरीबांधों का निर्माण हुआ। 26 बोरीबांधों के निर्माण में जिन लोगों ने अग्रणी भूमिका निभाई उनमें लिमड़ा की मुखिया लक्ष्मी देवी, गणेश कच्छप, सुरेंद्र गोप, शिबू उरांव, लखीराम बड़ाईक, सुनी खान, मंसूर आलम, कंचन उरांव, नंदू उरांव, जोगिया पाहन, गजगांव में मुखिया विलशन पुर्ती, सरजमा में सुरजू टुटी, मोसो मुंडा, मंदरू मुंडा, चाड़ा पुर्ती, बिरसकेतु मुंडा, बहादूर मुंडा, अन्या गोस्वामी, सुरूंदा में सवना मुंडू, जोहन मुंडू, अब्रहाम पाहन, करम मुंडू, पौलुस मुंडू, डीबर मुंडा, संतोष मुंडू समेत ग्रामसभाओं के सैकड़ों सदस्य शामिल थे।