रनिया प्रखंड के तुटीकेल गाँव की प्रतिमा अपने घर में सबसे छोटी हैं। खरीफ के मौसम में धान की खेती और बाकी बचे दिनों में दिहारी मजदूरी उनके परिवार के मुख्य आजीविका का श्रोत रहा है। हालाँकि प्रतिमा शुरुआत के दिनों से ही पढने और सीखने की चाह रखती थीं। इसी ललक ने उन्हें हुनरमंद बनने की प्रेरणा मिली। जेएसएलपीएस द्वारा क्रियान्वित दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY) के तहत उनकी सपनों को उड़ान मिली। इस कार्यक्रम के तहत प्रतिमा का चयन सिलाई मशीन संचालक के रूप में हुआ।प्रतिमा को हुनरमंद बनाने के लिए कॉटन ब्लूसम नामक एक क्रियान्वन संसथान में 6 माह का मुफ्त आवासीय प्रशिक्षण मिला। इस प्रशिक्षण के दौरान प्रतिमा ने पेशेवर के तर्ज़ पर विस्तृत प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रतिमा का कौशल और लगन देख कर क्रियान्वन एजेंसी ने अपने तमिलनाडु स्थित वर्कशॉप में उसका प्लेसमेंट कर दिया। प्रशिक्षण की अवधि पूर्ण होने के पश्चात अब प्रतिमा तमिलनाडु में अपना जीविकोपार्जन कर रही हैं। वहां तमिलनाडु में प्रतिमा को मासिक वेतन के रूप में 11 हज़ार 250 रुपए प्राप्त हो रहा हैं। इसके अतिरिक्त रहने व खाने का खर्च कंपनी की ओर से वहन किया जा रहा है। इस राशि से अब प्रतिमा महज़ 19 साल की उम्र में अपने घर वालों को आर्थिक मदद कर पा रही हैं। प्रतिमा के सपने बड़े हैं, और वह खूंटी में खुद का बुटिक शुरू करने का सपना रखती हैं।