मन में कुछ नया और अलग करने की चाहत हो और मंजिल की ओर कदम बढ़े तो कामयाबी की राह आसान हो जाती है। कुछ यही हाल पलामू में भी देखने को मिल रही है। समय के साथ-साथ पलामू कृषि के क्षेत्र में उन्नति की ओर बढ़ रहा है। प्रशासनिक सहयोग से किसानों का आत्मबल मजबूत हुआ है। सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ किसानों को मिले, इसके लिए कृषि विभाग भी कटिबद्ध है। बीज विनिमय एवं वितरण योजना अंतर्गत 50 प्रतिशत अनुदान पर विभिन्न फसलों का उन्नत बीज उपलब्ध कराये जाते हैं एवं किसानों के हितार्थ अन्य लाभकारी योजनाएं संचालित की जा रही है। सरकार के विभिन्न योजनाओं की जानकारी हेतु कार्यशाला सहित अन्य गतिविधियों के माध्यम से किसानों को जागरूक किया जा रहा है, ताकि कृषि योजनाओं का अधिकाधिक लाभ किसानों को मिल सके।किसानों में जागरूकता एवं उनकी दृढ़ शक्ति का ही परिणाम है कि पलामू प्रमंडल के किसान फलदार पौधों के अलावा कभी औषधीय पौधे, तो कभी मौसमी सब्जियों की उन्नत खेती कर मिसाल कायम कर रहे हैं। अपनी खेत में खेती की बात हो या फिर लीज पर खेत लेकर खेती करने की। सीजन अनुरूप भिन्न-भिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन कर किसान अपनी आमदनी दोगुनी-तीगुनी करने का सपना साकार कर रहे हैं। आज हम बात कर रहे हैं झारखंड राज्य के पलामू जिले के हुसैनाबाद प्रखंड अंतगर्त दंगवार एवं डुमरहाथा गांव के किसानों की।किसानों ने कृषि के क्षेत्र में अलग-अलग प्रयोग करते रहें हैं। कभी औषधीय पौधों की खेती, तो कभी काला धान एवं काला गेंहू की खेती कर चर्चा में रहते हैं। इस बार गांव के किसानों ने सुगर फ्री आलू एवं चिप्स बनाने वाली आलू की खेती की है। शुगर फ्री आलू की सोना फ्राई एवं चिप्स बनाने वाली कुफरी चिप्सोना-3 (चिप्सोना) प्रजाति को किसानों ने खेत में लगाया। फसल अच्छी थी, तो उत्पादन भी अच्छा ही हुआ। इसकी कोड़ाई कर खेत से निकाला गया, तो उत्पादन का आकलन भी सही निकला। दंगवार एवं डुमरहाथा के करीब आधा दजर्न से अधिक किसानों ने सामूहिक रूप से शुगर फ्री आलू तथा चिप्सोना प्रजाति के आलू लगाये। उत्तरप्रदेश के राजधानी लखनऊ स्थित कृषि अनुसंधान केन्द्र से प्रेरणा एवं मार्गदर्शन के बाद यहां के किसानों ने बीर कुंअर सिंह कृषक सेवा सहकारी समिति लिमिटेड, डुमरहाथा की बैनर तले सेट्रल पोटैटो रिसर्च इंस्टिच्यूट, शिमला के कुफरी शाखा से बीज मंगाकर शुगर फ्री एवं चिप्स बनाने वाली आलू की खेती प्रारंभ की है।हुसैनाबाद के दंगवार, डुमरहाथा, कजरात नावाडीह, एकौनी गांव में आलू के सोना फ्राई की खेती हुई है, जबकि चिप्सोना की खेती दंगवार एवं डुमरहाथा में की गयी। साथ ही सुगर फ्री आलू की खेती गढ़वा जिले के उचरी गांव में भी की जा रही है। दंगवार एवं डुमरहाथा में सुगर फ्री आलू की खेती तो पिछले दो साल से हो रही है, लेकिन चिप्स बनाने वाली आलू कुफरी चिप्सोना की खेती पहली बार की गयी है। हुसैनाबाद प्रखंड क्षेत्र में 5 एकड़ से अधिक एवं गढ़वा जिले के उचरी गांव में एक एकड़ में सुगर फ्री आलू की खेती की जा रही है।कृषि विज्ञान केन्द्र के हेड सह कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजीव कुमार ने बताया कि सामान्य आलू में कार्बोहाइड्रेट अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है। इसमें विटामिन, प्रोटीन, फाइवर, पोटैशियम, आयरन आदि भी पाये जाते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद हैं। उपज भी अधिक:बीर कुअंर सिंह कृषक सेवा सहकारी समिति लिमिटेड, डुमरहाथा के अध्यक्ष व किसान प्रियरंजन सिंह ने बताया कि इसकी खेती सामान्य आलू की तरह ही होती है। मेहनत भी बराबर पड़ती है, लेकिन इसकी उपज सामान्य आलू से करीब तीगुनी अधिक हो जाती है। बाजार मूल्य अधिक होने से आमदनी अच्छी:किसानों ने बताया कि सुगर फ्री एवं चिप्स बनाने वाली आलू का बाजार मूल्य भी अधिक है। सामान्य आलू की बिक्री जहां 10-15 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से होती है। वहीं सुगर फ्री आलू 50-80 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से बिकता है। इसके खरीददार भी कम नहीं हैं।जैविक तरह से होती है इसकी खेती:पलामू में हो रही शुगर फ्री आलू एवं चिप्स बनाने वाली आलू की खेती की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां रसायनिक खाद मुक्त खेती की जा रही है। जैविक खाद का प्रयोग कर आलू के उपज का उत्पादन लिया जा रहा है। किसानों ने बताया कि जैविक खाद का उपयोग किये जाने से शुगर फ्री आलू एवं चिप्सोना प्रजाति के आलू की फसल का पैदावार सामान्य आलू की खेती से ज्यादा होती है। इसमें कीड़े-मकोड़े भी कम लगते हैं।6 क्विंटल मंगाये थे बीज, 30 क्विंटल से अधिक हुई उत्पादन:किसान प्रियरंजन एवं अशोक मिस्त्री ने बताया कि शुगर फ्री आलू के सोना फ्राई प्रजाति के 4 क्विंटल एवं चिप्सोना प्रजाति के आलू का दो क्विंटल बीज मंगाये गये थे। सोना फ्राई का उत्पादन 19 क्विंटल से अधिक एवं चिप्सोना का 11 क्विंटल से ज्यादा उत्पादन का आकलन किया गया है। इस प्रजाति के एक आलू का वजन 400-500 ग्राम की होती है। चिप्सोना प्रजाति के आलू में किसानों को दो बार जैविक खाद देना पड़ता है। इन किसानों ने लगाये हैं शुगर फ्री आलू:डुमरहाथा एवं नदियाइन के कई किसानों ने शुगर फ्री आलू की खेती की है। इसमें मुख्य रूप से किसान प्रियरंजन सिंह के अलावा अशोक मिस्त्री, राजकुमार मेहता, सुधीर मेहता, जितेन्द्र मेहता, टहल मेहता, राम अवतार मेहता आदि किसान शामिल हैं। जबकि गढ़वा जिले के उचरी गांव में प्रशांत तिवारी ने सुगर फ्री आलू की खेती की है।किसानों ने बताया कि पिछले दो वर्ष से वे इसकी खेती कर रहे हैं। लोकल बाजार जाकर बेचने की भी आवश्यकता नहीं होती। किसानों के खेत एवं घर से ही आसपास के लोग इसे खरीद ले जाते हैं। वहीं छत्तीसगढ़, झारखंड के रांची एवं बिहार के डिहरी आदि स्थानों के लोग इसे खरीदकर ले जाते हैं। चिप्स बनाने वाली आलू चिप्सोना प्रजाति के आलू की खरीद के लिए बिहार राज्य के डिहरी के व्यापारी उनके संपर्क में होते हैं। खेत से आलू निकलने के बाद व्यापारी चिप्स बनाने के उद्देश्य से खरीदकर ले जाते हैं। इस आलू की भी अच्छी कीमत किसानों को मिलती है।नये-नये प्रभेदों को अपनाएं किसान, लाभदायक सिद्ध होगी कृषि: आयुक्तआलू के विभिन्न किस्म की खेती किसान करते हैं। आलू के विषय में मान्यता है कि इसे खाने से सुगर की बीमारी बढ़ती है। आलू के चिप्स भी बनाये जाते हैं, सब्जियां भी बनती है। इसे कई तरह से उपयोग में लाया जाता है। सेंट्रल पोटैटो रिसर्च इंस्टिच्यूट, शिमला में है। पटना में भी इसकी शाखा है। इस इंस्टिच्यूट में कई प्रजाति के आलू के प्रभेद विकसित किए गए हैं और उसे किसान लगा रहे हैं। किसान व्यापक स्तर पर सुगर फ्री आलू की खेती करें और यह बाजार में मिले तो सुगर के मरीजों को भी फायदा होगा। वे भी आलू का स्वाद ले पाएंगे। कुफरी चिप्सोना प्रजाति के आलू का चिप्स अच्छी तरह से बनते हैं। चिप्स की मांग भी बाजारों में बढ़ी है। इस प्रजाति के आलू की मांग चिप्स बनाने वाली कंपनी में ज्यादा होती है। पलामू के किसान शिमला से बीज मंगाकर सुगर फ्री आलू एवं कुफरी चिप्सोना प्रजाति के आलू का उत्पादन कर रहे हैं। ऐसे किसानों को धन्यवाद एवं शुभकामनाएं है, जिन्होंने नये प्रभेद की खेती को प्रारंभ किया। इच्छुक किसानों से अपील है कि वे भी नये-नये प्रभेदों को अपने खेतों में लगाएं। इससे ज्यादा मुनाफा होगा और खेती लाभदायक सिद्ध होगी। वैज्ञानिक तरीके एवं उच्च किस्म की खेती को दिया जा रहा बढ़ावा: उपायुक्त पलामू के किसानों द्वारा शुगर फ्री एवं चिप्स बनाने के लिए विशेष प्रजाति के आलू का उत्पादन किया जा रहा है। काफी अच्छी पैदावार भी हुई है। आलू के फसल को पूरी तरह से जैविक विधि की गयी है। पारंपरिक खेती के तरीकों से हटकर वैज्ञानिक तरीके से खेती करना और नये तरीके के उन्नत बीज के साथ खेती करना पलामू जिले के किसानों के लिए अच्छा है। कृषक भाई-बंधु अच्छा कर रहे हैं। आशा है कि भविष्य में इसी तरह के नये प्रभेद/प्रजाति वाले फसल की उपज होगी और किसान इससे समृद्ध होंगे। अच्छा बाजार भी मिलेगा। जिला प्रशासन मार्केट लिंकेज के लिए काम कर रही है, ताकि उपज का अच्छा बाजार मूल्य मिले। चिप्स बनाने की आलू का उत्पादन भी हो रहा है। पलामू में ज्यादा मात्रा में इसकी उत्पादन होगी, तो प्रोसेसिंग यूनिट का अधिष्ठापन भी इस क्षेत्र में हो सकेगा, इससे उद्योग-धंधों का बढ़ावा मिलेगा और किसानों को भी इसका लाभ होगा। जिला प्रशासन द्वारा वैज्ञानिक तरीके से खेती और ज्यादा मूल्य वाली नकदी खेती का बढ़ावा दिया जायेगा। पलामू में कृषि आधारिक कार्य एवं कृषि आधारित उद्योग की काफी संभावनाएं हैं। ज्यादा-से-ज्यादा किसान इस तरह की खेती से जुड़े, प्रशासन उनकी मदद करेगी।