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Monday, December 23, 2024
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सिस्टम की सड़ांध के साथ रहना हमारी मजबूरी : नारायण विश्वकर्मा

विशिष्ट अतिथि के रूप में पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता नारायण विश्वकर्मा ने युवाओं की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि सरकार हो या निजी संस्थान, सभी ठगने में आगे हैं. श्री विश्वकर्मा ने कहा कि सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए खाद-बीज से अक्सर किसानों को धोखा खाना पड़ता है जब खेतों में उनकी फसल खराब हो जाती है तो किसान सरकार से ठगा महसूस करता है. फसल बीमा योजना के तहत मिलनेवाली क्षतिपूर्ति की राशि लेने में उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ती है. वहीं प्रतियोगिता परीक्षाओं में सरकार द्वारा फीस ली जाती है, पर समय पर उसकी परीक्षाएं नहीं होती या रद्द हो जाती हैं. इस चक्कर में छात्रों की उम्र निकल जाती है, जिससे सरकार को कोई मतलब नहीं होता. कॉलेजों में तीन साल के कोर्स पांच साल में पूरे होते हैं. इसके लिए सिस्टम दोषी है. अलबत्ता, जांच के नाम पर लंबा समय निकल जाता है. दरअसल, सिस्टम की सड़ांध के साथ रहना हमारी मजबूरी है.

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