गिरिडीह: ( कमलनयन) मानवता को लेकर मन में अगर सकारात्मक सोच के साथ इरादे भी मजबूत हों तो सभी विघ्न-बाधाएं हाशिए पर चली जाती हैं। गिरिडीह जिले के उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा के स्वभाव में मंगलवार को रक्तदान को लेकर कुछ ऐसा ही जज्बा देखने को मिला। गिरिडीह डीसी बनने के बाद उनके संज्ञान में आया कि गिरिडीह ब्लड बैंक में रक्त की घोर कमी है. स्टॉक शून्य के करीब है. विशेषकर थैलेसीमिया/ हीमोफ़ीलिया के मरीजों को समय पर रक्त नहीं मिलने से उनके जीवन की सांसों को खतरा हो सकता है, तो उपायुक्त ने गंभीरता दिखाई. उन्होंने बगैर समय गवाएं एक संवेदनशील प्रशासक के रूप में सामने आए और रक्तदान पर जोर दिया. उन्होंने कई बार रक्तदान शिविर लगाकर रक्तबैंक को दुरूस्त किया.
रक्तदान करनेवालों को प्रशस्ति पत्र भी मिले
इसी दौरान कल मंगलवार को ही किसी स्वास्थ्य केन्द्र के बजाय जिला समाहरणालय में ही रक्तदान शिविर लगवा दिया। शिविर में स्वंय ङीसी के अलावा डीएसपी, सरकारी अधिकारी, कर्मचारी, जिले के पुलिस जवानों ने बढ़-चढ़ कर रक्तदान किया. जिसमें सौ यूनिट रक्तसंग्रह हुआ। डीसी ने रक्तदान करनेवालों को प्रशस्ति पत्र भी दिये। इस रक्तदान शिविर में एक दिन में सौ यूनिट रक्त संग्रह हुआ, जो हाल के दिनों में ऐसा कम देखने को मिलता है। रक्तदान करने के पश्चात डीसी ने ब्लड बैंक में रक्त के प्रयाप्त भंडारण को लेकर पंचायत और प्रखण्ड स्तर पर भी समय-समय पर ऐसे शिविर आयोजित करने पर बल दिया है। उन्होंने अपने उदगार में कहा कि जब हम किसी को कोई उपहार देते हैं, तो मन में खुशी होती है। लेकिन थोड़ा आगे बढ़कर अपना अमूल्य रक्तदान कर किसी जरूरतमंद की जान बचा दे, तो मन को कितना शकुन मिलता है. आपके रक्त से किसी को जीवनदान मिल जाए, इससे बड़ी और क्या बात हो सकती है.
हीमोफीलिया-थैलेसीमिया के करीब 150 मरीज हैं
गिरिडीह की 23 लाख की आबादी है. 13 प्रखंडों के गिरिडीह जिले में हीमोफीलिया-थैलेसीमिया के 150 के करीब मरीज हैं. जिन्हें हर माह अपने जीवन की सांसों को जारी रखने के लिए कम से कम 150 यूनिट रक्त की जरूरत होती है. इसके अलावा अन्य लोगों को भी अचानक रक्त की जरूरत पड़ती है. लेकिन हाल के दिनों में विशेषकर कोरोनाकाल से ही गिरिडीह ब्लड बैंक में रक्त की कमी महसूस की जाती ऱही है. इस कमी को दूर करने के लिए रेडक्रॉस को स्वंयसेवी/समाजसेवी व धार्मिक संस्थाओं को आगे बढ़कर लगातार शिविर के जरिये रक्त अधिकोष के ग्राफ को बढ़ाना होगा। राजनैतिक दलों को भी जनसेवा के कार्यों में रक्तसंग्रह शिविर कार्यक्रम शामिल करने होंगे। कुल मिलाकर हम सभी को इस दिशा में संजीदा पहल कर सार्थक प्रयास करने की जरूरत है, तभी नमन प्रियेश जैसे संवेदनशील प्रशासक का संकल्प पूरा होगा. कुछ लोगों ने बताया कि डीसी का यह प्रयास मानव कल्याण के लिए सार्थक पहल है. उनकी संवेदनशीलता सराहनीय है. इस नेक काम के लिए उनकी हर तरफ तारीफ हो रही है.