कन्या भ्रूण हत्या के रोकथाम को लेकर जिले के अल्ट्रासाउण्ड सेंटर संचालकों के साथ आज जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन रविन्द्र भवन साक्ची में किया गया। उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी श्री सूरज कुमार ने कार्यशाला में शिरकत की तथा अल्ट्रासाउण्ड सेंटर संचालन को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उपस्थित सदस्यों को कन्या भ्रूण हत्या के रोकथाम को लेकर बनाए गए पी.सी & पी.एन.डी.टी एक्ट के विभिन्न कानूनी पहलुओं से अवगत कराया गया ।
उपायुक्त श्री सूरज कुमार ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालन में जो भी व्यक्ति कानून का अक्षरश: अनुपालन नहीं करेंगे उनके विरूद्ध जिला प्रशासन द्वारा सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होने जिले में बालिका-बालिका लिंगानुपात में कमी पर चिंता जताते हुए कहा कि जिला प्रशासन की टीम द्वारा अल्ट्रासाउंड सेंटरों का औचक निरीक्षण किया जाएगा तथा जिन जगहों में पी.सी & पी.एन.डी.टी एक्ट का उल्लंघन पाया जाएगा उनके विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होने कहा कि इस कार्यशाला के आयोजन का उद्देशय यही है कि आप सभी इस कानून के विभिन्न पहलुओं से अवगत हों तथा जांच के वक्त कोई कमी पाये जाने पर बहाना ना ढूंढें ।
उपायुक्त श्री सूरज कुमार ने कहा कि आप सभी एक महान पेशे से जुड़े व्यक्ति हैं, जहां लोग आपको भगवान की तरह देखते हैं वहीं कुछ लोग कन्या भ्रूण की हत्या कर एक जीवन को इस संसार में आने से पहले ही खत्म कर दे रहे हैं। आपसे उम्मीद की जाती है कि आपने अगर अल्ट्रासाउंड सेंटर के संचालन का लाइसेंस लिया है तो पी.सी & पी.एन.डी.टी एक्ट के विभिन्न पहलुओं से भी अवगत होंगे। अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालक अगर उक्त कानून से परिचित नहीं हैं तो इसकी कानूनी बाध्यताओं से अवगत हो जाएं।
पी.सी & पी.एन.डी.टी एक्ट के तहत अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालकों द्वारा ध्यान रखने हेतु मुख्य बिन्दु निम्नवत है-
1. सामान्य सरल एवं क्षेत्रीय भाषा में जनसामान्य की जानकारी के लिए बोर्ड लगाना आवश्यक है कि लिंग निर्धारण कानूनन गलत है और ऐसा करना कानूनी अपराध है- यहां लिंग परीक्षण नहीं किया जाता है।
2. पी.सी & पी.एन.डी.टी एक्ट की एक प्रति अवश्य उपलब्ध होनी चाहिए और मांगन पर प्रार्थी अथवा निरीक्षण टीम को प्रस्तुत करें।
3. किसी ऐसे चिकित्सक को अल्ट्रासाउंड करने हेतु नहीं रखना चाहिए जिसके पास कानून में की गई व्याख्या के अनुरुप योग्यता न हो।
4. प्रत्येक महिला जिसकी जांच की गई हो उसका कानून के अंतर्गत निर्धारित प्रपत्र भरा होना चाहिए। अल्ट्रासाउंड के संबंध में प्रारूप एफ भरा जाना चाहिए।
5. अधूरा या गलत सूचना अनु. 5 या 6 का उल्लंघन माना जाएगा।
6. प्रतिमाह जांच की हुई गर्भ संबंधी ऐसी सभी जांचों का ब्यौरा हर माह की 5 तारीख तक सिविल सर्जन को समर्पित करें।
कार्यशाला में उपस्थित चिकित्सकों एवं अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालकों को पी.सी & पी.एन.डी.टी एक्ट के अन्य प्रावधानों की भी विस्तृत जानकारी दी गई । कार्यशाला में सिविल सर्जन डॉ आर एन झा, एसीएमओ डॉ साहिर पाल, जिला यक्ष्मा पदादिकारी डॉ ए. के लाल, डॉ वीणा सिंह- डीटीओ सरायकेला खरसांवा, डॉ बीएन ऊषा, पूर्वी पॉल तथा अन्य चिकित्सक एवं सिविल सर्जन कार्यालय के कर्मचारी शामिल हुए