रामगढ़: मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि शहीद सोबरन सोरेन जी के शहादत दिवस के पर बरलंगा के लुकैयाटांड में हर साल की भांति इस साल भी एकत्रित हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह पवित्र भूमि को झारखंड के हर एक व्यक्ति जानते हैं। यह वही भूमि है, जहां से इस अलग झारखंड राज्य के लिए, मूलवासी-आदिवासी के लिए, जल, जंगल, जमीन के लिए क्रांतिकारी आवाज बुलंद हुई थी। उक्त बातें मुख्यमंत्री ने शहीद सोबरन सोरेन के 63वीं शहादत दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।
क्रांतिकारी आवाज की यादें ताजा करती हैं
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज शहीद भूमि पर हमें मार्गदर्शन करने वाले हमारे पूर्वज मेरे दादाजी सोबरन सोरेन का 63वं शहादत दिवस है। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से यह दिवस हम सभी को क्रांतिकारी आवाज के प्रारंभ की यादें ताजा करती हैं। यहां की खूबसूरत वादियों से क्रांतिकारी आवाज के आज कई मायने हैं। यहां से उठाई गई बुलंद आवाज व्यर्थ नहीं गया। इसी क्रांतिकारी आवाज से आज हम अपना वजूद बचा पाए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अलग झारखंड राज्य निर्माण की लंबी लड़ाई पूर्वजों ने लड़ी। आज इस अवसर पर झारखंड राज्य के जन्मदाता दिशोम गुरु श्री शिबू सोरेन भी हमारे साथ मौजूद हैं।
*आपका एकत्रित होना निश्चित रूप से हमें ताकत प्रदान करता है*
मुख्यमंत्री ने कहा कि खराब मौसम के बावजूद भी आप सभी लोग बड़ी संख्या में यहां एकत्रित हुए हैं। आपका एकत्रित होना निश्चित रूप से हमें ताकत प्रदान करता है। इस ताकत के बदौलत ही राज्य के जरूरतमंद लोगों को हम गरीब, किसान, आदिवासी-मूलवासी सभी को उनका हक अधिकार को दिलाने का काम कर पा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बरलंगा के लुकैयाटांड में इस दिवस के अवसर पर कई बार हमें विपक्ष के नेता, मुख्यमंत्री, विधायक और एक सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते संबोधित करने का अवसर प्राप्त हुआ है।