रामगढ़: फ्लोरोसिस के रोकथाम एवं इससे बचाव के संबंध में मंगलवार को सिविल सर्जन कार्यालय रामगढ़ के सभागार में सिविल सर्जन डॉक्टर नीलम चौधरी की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया
बैठक के दौरान सबसे पूर्व पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा रामगढ़ जिला के विभिन्न स्रोतों जिनमे फ्लोरिन की मात्रा अधिक है की सूची दी गई। इस संबंध में सिविल सर्जन ने बैठक में मौजूद सभी अधिकारियों को बीटीटी एवं सहीयाओ के माध्यम से अधिक फ्लोरीन वाले जल स्रोतों के निकट निवास कर रहे लोगों को फ्लोरोसिस की बीमारी से बचने के उपायों के प्रति जागरूक करने का निर्देश दिया।
बैठक के दौरान सिविल सर्जन डॉक्टर नीलम चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान कार्यक्रम के अंतर्गत सभी गर्भवती महिलाओं के प्रसव पूर्व देखरेख के दौरान फ्लोरोसिस की जांच की जानी है। इसके लिए जिला स्तर पर सदर अस्पताल रामगढ़ में लैब की सुविधा उपलब्ध है कोई भी व्यक्ति अपने यूरीन सैंपल के माध्यम से फ्लोरोसिस की जांच करवा सकता हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत भी सभी गर्भवती महिलाओं की अनिवार्य रूप से क्लोरोसिस जांच हेतु कार्रवाई की जाए।
इस दौरान नोडल एनपीपीसीएफ रामगढ़ डॉ के एन प्रसाद ने बताया कि दांतों का पीलापन, जोड़ो में दर्द, हड्डियों का टेढ़ापन, मास पेशियों में अकड़न आदि फ्लोरोसिस बीमारी के लक्षण होते हैं। पीने के पानी में फ्लोराइड जैसे घातक रसायन के कारण दांतों (डेन्टल फ्लोरोसिस) तथा हड्डियों (स्कैलटल फ्लोरोसिस) संबंधित बीमारियों में लगातार बढ़ोतरी हो रही हैं। इसलिए लोगों को नियमित अंतराल पर पीने के पानी में फ्लोराइड की मात्रा की जाच करवा लेनी चाहिए। फ्लोराईड के कारण रिपिटिड अबोर्सन, एनिमिया होने का अंदेशा बना रहता है।
बैठक के दौरान एनपीपीसीएफ, रामगढ़ की जिला कंसलटेंट डॉ पल्लवी कौशल ने बताया कि फ्लारोईड की समस्या से लोगों को निजात दिलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा नेशनल प्रोग्राम फ़ॉर प्रेवेन्शन एंड कन्ट्रोल ऑफ फ्लोरोसिस (एनपीपीसीएफ.) नामक परियोजना आरंभ की गई हैं। इस कार्यक्रम के तहत फ्लोरोसिस नामक बीमारी के रोकथाम व नियंत्रण पर विशेष बल दिया जा रहा हैं।