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Monday, December 23, 2024
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खूंटी – वन धन विकास से सम्बंधित एक दिवसीय प्राशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

आज समाहरणालय सभागार में उपायुक्त, श्री शशि रंजन की अध्यक्षता में वन धन विकास से सम्बंधित प्राशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान उपायुक्त द्वारा वन धन विकास केंद्रों द्वारा किये जा रहे कार्यों के सम्बन्ध में चर्चा की गई।
प्राशिक्षण कार्यक्रम के दौरान उपायुक्त द्वारा बताया गया कि वन उत्पादन के मूल्यवर्धन के लिए कौशल उन्नयन और क्षमता निर्माण प्रशिक्षण भी प्रदान करना महत्वपूर्ण है। इस योजना के तहत वन धन विकास केंद्र में माइनर फारेस्ट प्रोडक्ट्स एवं क्षेत्र में पायी जाने वाली अनेक प्रकार की जड़ी बूटियों के रख-रखाव की ट्रेनिंग एवं मार्केटिंग से सम्बंधित आवश्यक जानकारियां प्राप्त की जा सकती हैं, जिससे कार्यकुशलता में वृद्धि होगी।
साथ ही लाह के माध्यम से महिलाओं द्वारा चूड़ियों का निर्माण कर उन्हें खुले बाज़ार में बेचने आदि के सम्बंध में विस्तार से चर्चा की गई। इसके साथ ही उपायुक्त द्वारा बताया गया कि हमारा मुख्य उद्देश्य है कि उत्पादन एवं प्रसंस्करण को सुदृढ किया जाय। इसके साथ हीं प्राथमिक प्रसंस्करण एवं मूल्य वर्धन से सम्बंधित जानकारी उपस्थित वन धन केंद्र के प्रबंधकों को दी गयी।
जिससे उनके कार्यकुशलता में वृद्धि होगी और वन धन विकास केंद्रों के माध्यम से उन्हें सीधा लाभ मिल सके।
उन्होंने कहा कि वन धन केंद्रों को बेहतर रूप से विकसित किया जाना चाहिए।
मौके पर उप विकास आयुक्त द्वारा बताया गया कि योजना के जरिए ग्रामीणों के जीवन यापन को बेहतर बनाया जा सकता है। उनके द्वारा तैयार किए गए उत्पादों को बेहतर बनाना और उन्हे उनके उत्पादों का उचित मुल्य दिलाना। ताकि इनकी आय को बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा कि हर एक वन धन केंद्र में सखी मंडलों से कुल 300 सदस्यों को जोड़कर ट्रेनिंग दी जाए और उन्हे आर्थिक रूप से मदद मुहैया की जा सके।
इसके साथ ही जिले में एम.एफ.पी उपलब्धता में इमली, करंज बीज, साल बीज, महुआ बीज, साल के पत्ते, चिरौंजी आदि के सम्बन्ध में चर्चा की गई।
मौके पर डीपीएम जे.एस. एल.पी.एस द्वारा बताया गया कि जिले में कुल दो वन धन केंद्र पूर्व में संचालित है।
खूँटी जिले के सदर प्रखंड के सिलादोन गांव एवं मुरहू प्रखण्ड अंतर्गत पेरका में स्थित वन धन विकास केंद्र (VDVK) के माध्यम से संगठित हुए 300-300 किसान अपनी-अपनी उपज को एकत्रित करते हैं। इन एकत्रित किए गये सामग्रियों की गुणवत्ता के अनुसार छटाई भी की जाती है। छटाई के पश्चात प्रसंस्करण के लिए भेजा जाता है, जहाँ सम्बन्धित सामग्रियों का निर्माण होगा।
साथ ही 7 नए वन धन केंद्र का गठन किया जा रहा है। बाजार में उत्पादो की कीमत में उतार चढ़ाव होते है, इसके मद्देनजर TRIFED कृषि मंत्रालय के माध्यम से जनजाति लोगों के लिए मुआवजे की व्यवस्था करता है।
कार्यशाला के दौरान जिला प्रबंधक, स्किल्स द्वारा जानकारी दी गयी कि वन छेत्र में रहने वाले लोगों के लिए, लघु उत्पादन उनकी जीवन यापन का एक मात्र जरिया है , इस योजना के तहत उन्हें लघु वनोपज के संग्रह और मूल्य संवर्धन में समुदाय के प्रयासों के प्रति निष्पक्ष और पारिश्रमिक रेतुर्न सुनिश्चित करके आजीविका बनाने और अन्य आय उत्पन करने का मौका मिलेगा। इसके साथ ही प्राशिक्षण के दौरान वन धन विकास केंद्र मुरहू व सिलादोन के कोषाध्यक्ष द्वारा बताया गया कि योजना में वन धन विकास केंद्र के जरिये जनजातीय वर्ग के लोगों को लघु वनोपज जैसे लाह, इमली, महुवा, चिरौंजी, करंज, डोरी, साल पत्ता, साल बीज, कुसुम, बहेरा, कालमेघ एवं अन्य आदिवासी क्षेत्रों में पाए जाने वाले अनेक प्रकार के जड़ी बूटियों को एकत्रित कर उसके रख रखाव और मार्केटिंग के लिए कार्य करें। प्राशिक्षण के माध्यम से आवश्यक जानकारियां प्राप्त कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

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