जिला समाज कल्याण एवं पीरामल फाउंडेशन के सहयोग से सभी महिला पर्यवेक्षिकाओ के साथ कुपोषण से संबंधित कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला के दौरान उन्हें बताया गया कि 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण एक गंभीर समस्या है अति गंभीर कुपोषित या मध्यम गंभीर कुपोषित श्रेणी में आने वाले बच्चों को चिकित्सकीय परामर्श अतिरिक्त देखभाल और नियमित निगरानी की आवश्यकता होती है।
सामान्य बच्चों की तुलना में ऐसे बच्चों में मृत्यु की संभावना 8 गुना ज्यादा होती है ज्यादातर माता-पिता को इसके बारे में जानकारी नहीं है।
कार्यशाला में बताया गया की इसी संदर्भ में उनकी भूमिका अति महत्वपूर्ण है यह उनकी जिम्मेदारी है कि वह बच्चों को माता-पिता और देखभालकर्ताओं के निरंतर संपर्क में रहें इस स्थिति में उनके बच्चों के सामान्य होने में आवश्यक सहयोग दें उनका मार्गदर्शन करें और मनोबल भी बढ़ाएं।
कार्यशाला के दौरान उन्हें कुपोषित बच्चे की पहचान कुपोषित बच्चों की पहचान के लिए नियमित रूप से उनकी शारीरिक वृद्धि मापना और उनके एमसीपी कार्ड में दर्ज कराना जरूरी है गौर ग्रोथ चार्ट में चिन्हित किए गए नारंगी लाल और पीले रंग की श्रेणी में आने वाले बच्चों के माता-पिता और देखभाल कर्ताओं के साथ कुपोषण से जुड़े तथ्यों पर चर्चा करने की जरूरत है।
इस दौरान बताया गया की आप सभी को मिलकर इस समस्या का हल निकालना होगा इसलिए आपकी जिम्मेदारी अति आवश्यक है।
कार्यशाला में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका के बारे में बताया कि हर महीने 0 से 5 साल के सभी बच्चों की ऊंचाई लंबाई और वजन मापे और जो बच्चे नारंगी लाल श्रेणी में है उनकी जांच वीएचएसएनडी में एएनएम द्वारा करवाए यदि आपको लगता है कि बच्चों को तुरंत एनएम द्वारा जांच की आवश्यकता है तो वीएचएसएनडी का इंतजार ना करें ताकि ताकि उपचार या विशेषज्ञ द्वारा जांच कराना सुनिश्चित करें।
इसी संबंध में आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका के बारे में बताया गया कि आंगनबाड़ी केंद्रों को जांच में सहयोग करें और यह सुनिश्चित करें कि गांव के सभी बच्चे हर महीने आंगनबाड़ी केंद्र पर शारीरिक वृद्धि निगरानी जांच कराएं और जो बच्चे आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा चिन्हित नारंगी/लाल रंग श्रेणी वाले बच्चों को वीएचएसएनडी पर जरूर बुलाएं।
कार्यशाला में अति गंभीर कुपोषित बच्चों का समुदाय आधारित प्रभावी प्रबंधन बताया गया जिसमें समुदाय में अति गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान कर उनका सामान सामुदायिक स्तर पर सरकारी सुविधा केंद्र पर उचित उचित प्रबंधन सुनिश्चित कराने के लिए कार्यक्रम कराने पर चर्चा की गई।
इसके अलावा कार्यशाला में कुपोषण,अति कुपोषण, वजन कैसे मापा जाए, शिशु की लंबाई कैसे मापा जाए, शिशु की ऊंचाई कैसे मापा जाए,अति गंभीर कुपोषित बच्चे की घर पर देखभाल या एनआरसी में उपचार, अस्पताल में ना भर्ती किए गए बच्चों की घर पर देखभाल आदि विषयों के बारे में विस्तृत जानकारी भी दी गई।