जिला प्रशासन का उद्देश्य है कि मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देकर सखी मण्डल की दीदियां आजीविका वृद्धि कर सकें।जिले के मुरहू प्रखण्ड में मशरूम उत्पादन को स्वरोजगार का माध्यम बना लाभान्वित हो रही हैं महिला किसान। मुरहू प्रखण्ड में मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 300 सखी मण्डल की दीदियो को कुल 9000 आयस्टर मशरुम बैग्स उपलब्ध कराए गए। साथ ही महिलाओ को निरंतर प्रशिक्षण व अन्य सहयोग दिए जा रहे है। मशरूम उत्पादन से अच्छी आमदनी– स्वयं सहायता समूह की दीदियों द्वारा बताया गया कि मशरूम की खेती अपनाने के बाद अच्छी आमदनी भी होती है। बच्चों की पढ़ाई व रहन-सहन में काफी बदलाव आया है। इससे आजीविका में वृद्धि हो रही है। स्वयं सहायता समूह की दीदियों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मशरूम की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। ताकि सभी समूह की दीदियों को बेहतर विकल्प दिया जा सके। साथ ही ग्रामीण महिलाओं को बेहतर रोजगार उपलब्ध कराने के साथ आर्थिक सहायता भी मुहैया करायी जा सके। एसएचजी समूह की महिलाएं व्यापक स्तर पर मशरूम की खेती कर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को संबल प्रदान करने का काम कर रही हैं । महिलाओं को मशरूम उत्पादन के कार्य से जोड़ा जा रहा है जो काफी सफल साबित हो रहा है । मशरूम उत्पादन की विभिन्न जानकारियों से स्वयं सहायता समूह की दीदीयों को अवगत कराया गया है। साथ ही ऑयस्टर मिल्की, बटन, मशरूम की पैदवार व इससे होने वाले मुनाफे की जानकारी व इसके बाजार उपलब्धता की जानकारी भी दी गयी है। मशरूम एक उच्च उपज और तेजी से बढ़ने वाली फसल है और पोटेशियम, लौह, प्रोटीन इत्यादि का बड़ा स्रोत है । उपलब्ध संसाधनों, विपणन अवसर इत्यादि की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए पलाश ब्रांड के तहत पैकेजिंग करने की है योजना है। इसके अतिरिक्त मशरूम प्रशिक्षण से पहले अधिकांश महिलाएं / लाभार्थी घरेलू गतिविधियों में लगी हुई थीं और कृषि गतिविधियों में पुरुष सदस्यों की सहायता भी करती थीं जिसमें मुख्य रूप से धान की खेती शामिल है, लेकिन मशरूम की खेती से अब वो आत्मनिर्भर होने में सफल हो रही हैं।